Mathura Sri Krishana Janmasthan

‘श्रीकृष्ण विराजमान’ पहुंचे अदालत, जन्मभूमि का मांगा मालिकाना हक

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Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा। अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि के बाद अब मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला भी अदालत पहुंच गया है। श्रीकृष्ण विराजमान नाम से मथुरा की अदालत में एक सिविल मुकदमा दायर कर 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा गया है, इसके साथ ही शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई है। 60 पेज की याचिका में श्री कृष्ण जन्म स्थान की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग की गई है, मुगल काल में बनी शाही मस्जिद को हटाने की याचिका दायर की गई है। कटरा केशव देव मंदिर की तरफ से खेवट मौजा मथुरा शहर की ओर से अंतरंग सखी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन सहित छः अन्य भक्तों ने मथुरा कोर्ट में याचिका दाखिल की है, मथुरा कोर्ट में श्री कृष्ण जन्म भूमि को मुक्त कराने की याचिका दायर की गई है।

लखनऊ के छह अधिवक्ताओं ने दायर की मथुरा कोर्ट में याचिका

श्री कृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई है और श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13 पॉइंट 30 एकड़ भूमि के स्वामित्व  कि मांग की गई है। अदालत में सिविल मुकदमा दायर कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्त कराने की गुहार लगाई है। इतिहासकारों के अनुसार, सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए इस भव्य मंदिर पर महमूद गजनवी ने सन 1017 ई. में आक्रमण कर इसे लूटने के बाद तोड़ दिया था। श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर तीन बार तोड़ा और चार बार बनाया जा चुका है। 60 पेज की याचिका में कहा गया है श्रीकृष्ण जन्मभूमि को शाही ईदगाह से मुक्त किया जाये
अगस्त माह में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास का गठन किया गया है। इस न्यास से देश के 14 राज्यों के 80 संतों को जोड़ा है। न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य देवमुरारी बापू ने बताया था कि ट्रस्ट 23 जुलाई हरियाली तीज को रजिस्टर्ड कराया गया है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को जमीन देने को गलत बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दावा पेश किया गया है। श्रीकृष्ण विराजमान, अस्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि, उनकी सखा लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री व त्रिपुरारी त्रिपाठी, दिल्ली निवासी कृष्ण भक्त प्रवेश कुमार, करुणेश कुमार शुक्ला व शिवा जी सिंह, सिद्धार्थ नगर निवासी कृष्ण भक्त राजमणि त्रिपाठी की ओर से पेश किए दावे में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी। वादी के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम पर है। ऐसे में सेवा संघ द्वारा किया गया समझौता गलत है। उन्होंने मस्जिद को हटाने की मांग की है।
पटनी मल परिवार के बाद स्वामित्त ट्रस्ट को ही माना गया है
गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदीने कहा कि  याचिका के बारे में  कोई जानकारी नहीं है। मुझसे किसी ने इस बारे में कोई संपर्क नहीं किया है। जहां तक श्रीकृष्ण जन्मभूमि का संबंध है जहां से में संबद्ध हूं, वह परंपरा से जब से राजा पटनी मल ने 1815 में खरीदा है। जब से विवाद हुए हैं पटनी मल परिवार मालिये, बाद में महामना मदनमोहन मालवीय को यह एक तरह से दान कर दी। पटनी मल परिवार के बाद स्वामित्त ट्रस्ट को ही माना गया है। हर जगह रेवेन्यू भी हम ही दे रहे हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh