भागवत कथा

वृंदावन से आईं देवी माहेश्वरी श्रीजी ने रोज 1000 किलोग्राम स्वर्ण देना वाली स्यमंतिक मणि प्राप्त करने की विधि बताई

RELIGION/ CULTURE

भागवत कथा के समापन पर अश्रुपात, फूलों की होली में भक्ति का अतिरेक

मैंने तो अपने गोविंद का वरण करके चूडियां अमर कर ली हैं: श्री जी

कथा के लिए दान दे दिया करो, हो सकता है वेंटिलेटर पर जाने से बचा ले

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.

आगरा। विश्व मंगल परिवार सेवा संस्थान, वृंदावन, मथुरा द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा का समापन अश्रुपात के साथ हुआ। व्यासपीठ पर विराजमान अंतरराष्ट्रीय कथाव्यास देवी माहेश्वरी श्रीजी ने कृष्ण-रुकमणि विवाह की शेष कथा, बेटी की विदाई, भक्त नरसी, नरसी का भात, कृष्ण के 16107 विवाह, जामवंत और कृष्ण का युद्ध, कृष्ण-सुदामा मिलन, यादव वंश का विनाश, शिशुपाल वध, राजसूय यज्ञ, कृष्ण का अपने धाम जाना और राजा परीक्षित की मृत्यु की कथा सुनाई। स्पष्ट कहा कि सूर्यदेव की साधना से स्यमन्तक मणि मिलती है, जो 1000 किलोग्राम सोना प्रतिदिन देती है। श्रेष्ठ गुरु से स्यमंतिक विद्या सीखकर स्यमंतिक मणि को कोई भी प्राप्त कर सकता है। विदाई का क्षण आया तो श्याम बाबा, मुकेश चंद गोयल, मुख्य यजमान लालता प्रसाद सारस्वत और विमलेश सारस्वत, सीमा सिंह, मुकेश नेचुरल, प्रतिभा जिंदल, दीपक तोमर एडवोकेट आदि के अश्रुपात होने लगे। देवी माहेश्वरी का ममत्व भी आँखों से आंसू बनकर छलक उठा। अंत में जब फूलों की होली हुई तो हर कोई भक्ति के अतिरेक में नृत्य करने लगा।

देवी माहेश्वरी ने सबसे पहले श्रोताओं का अभिनंदन करते हुए आशीर्वाद दिया। कहा- मैं यहीं से सबको पटका पहना रही हूँ। राधे-राधे कहते हुए भूलचूक की क्षमा मांगी। श्यामवीर सिंह से बने श्याम बाबा को अपना भाई कहा। उनके पुत्र अनिरुद्ध और शौर्य का नाम लिया। अमर भइया (पूर्व प्रचारक आरएसएस) को पिता और मां का दर्जा दिया। देवेंद्र गुप्ता, इंजीनियर अरुण गुप्ता, टीपी सिंह का नाम लिया। आरएस त्यागी के यहां उनका आवास रहा। मुख्य यजमान लालता प्रसाद सारस्वत और विमलेश सारस्वत, उनके परिजन अंकुर सारस्वत, प्रियंका, निधि का नाम लिया।

नकारात्मक ऊर्जा अनिष्ट नहीं कर सकती

फिर उन्होंने कथा की ओर रुख किया। उन्होंने कहा- धुंधकारी ने सात दिन तक श्रीमद भागवत कथा का श्रवण किया। इसके लिए सप्त ग्रंथि का बांस लगाया गया था। हर दिन एक ग्रंथि खुलती थी। सातवें दिन बांस चटका तो धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली। वह भगवान का पार्षद बना। अगर हम श्रद्धाभाव से कथा सुनते हैं को घर में छिपकर बैठी नकारात्मक ऊर्जा अनिष्ट नहीं कर सकती है। भागवत कथा प्रेत पीड़ा का हरण करने वाली है।

कलश का क्या करें

उन्होंने कहा कि श्रीमद भागवत कथा का कलश ऊर्जा का बड़ा खजाना है। इसमें कथा रस प्रवेश कर चुका है। यहां से ले जाकर कलश को ईशान कोण में रखना है। अगर इसमें कोई समस्या है तो लाल कपड़ा बिछाकर पूजा स्थल पर रखें।

सात दिन में सबसे बड़ी कमाई

उन्होंने कहा कि कथा की स्मृति को बनाकर रखें। जिस प्रसंग ने आपको आंदोलित किया है, उसका स्मरण करें। सात दिन में यही सबसे ब़ड़ी कमाई है। जो देवताओं को भी दुर्लभ है, वह आपको सहजता से मिल गया है। रस से लबालब भागवत कथा मिल गई है, अपने घर में इसकी छीटें डाल दें। संपूर्णता, संपन्नता, मनोकामना सिद्धि के लिए है भागवत कथा। अगर हृदय का पात्र स्वच्छ है तो भागवत कथा रखने से कल्याण होगा। विश्वास रखें कि सांवरिया मेरे साथ है और फिर डरने की क्या बात है।

कान के पास बाल सफेद होना यानी ईश्वर की चेतावनी

अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास देवी माहेश्वरी ने बताया कि सबसे पहले कान के पास वाले बाल सफेद होते हैं। ईश्वर चेतावनी देते हैं कि भोग के कीचड़ में प्रवेश बंद करो और आत्म कल्याण की ओर अग्रसर हो जाओ। भागवत, गीता, रामचरितमानस आत्म कल्याण के साधन हैं। वृद्धावस्था में कितनी ही डेंटिंग-पेंटिंग करा लो, अंदर का सिस्टम तो बूढ़ा होता ही है। मृत्यु अवश्य आती है। इस संबंध में उन्होंने गरुण पुराण की कथा सुनाई कि किस तरह से एक तोता अपने मृत्यु स्थल सप्तद्वीप गुफा में पहुँच गया।

दहेज मांगने वालों को बेटी न देना

उन्होंने रुकमणि और सीता की विदाई का मार्मिक वर्णन किया। बेटी और पिता के रिश्ते की व्याख्या की। कहा कि बेटी को बोझ कहना मानसिक विकलांगता है। बेटी बाप के सम्मान के लिए मिट जाती है। मायका मां के कारण नहीं, बाप के कारण होता है। दहेज मांगने वाले को बेटी मत देना। भिखारी के यहां बेटी कभी सुखी नहीं रहेगी। मैंने तो अपने गोविंद का वरण करके चूडियां अमर कर ली हैं।

नरसी का भात

देवी माहेश्वरी ने सेठ नरसी से भक्त नरसी बनने और नरसी का भात का मार्मिक कथा सुनाई। वे जब केदारा राग (राग केदार) गाते थे तो ठाकुर जी के गले की माला टूट जाती थी। उनके साथ 16 नेत्रहीन साधु रहते थे। एक बार साधुओं को भोजन कराने के लिए नरसी ने सेठ के यहां केदारा राग गिरवी रख दिया। उसी समय ग्रामीणों ने नरसी की परीक्षा लेने के लिए स्वयं की बनाई माला ठाकुर जी को पहनाई और केदारा राग गाने को कहा। नरसी ने मना कर दिया क्योंकि केदारा राग गिरवी रखा था। इस पर ठाकुर जी सेठ को पैसे वापस किए। फिर नरसी ने केदारा राग गाया तो ठाकुर जी के गले से माला गिर गई। उनकी ख्याति हो गई। फिर बेटी का भात भरने की गुहार गोविंद से लगाई- सांवरियो के आगे खड़ा हूँ कर जोर, माईरो भरेगो म्हारो नंद किशोर। नरसी को विश्वास था कि ठाकुर जी साथ हैं। इसीलिए  ठाकुर जी भैया बनकर गए और भात भरा।

पांच चीजों से भगवान की प्राप्ति

विभिन्न कथाओं के बीच उन्होंने मार्मिक अपील की कि यमुना को गंदा मत करो। भगवान की दिखाई राह पर चलो। बृज और किशोरी को पानी है तो वृंदावन की रज, गौसेवा, रसिकों का साथ, गिरिराज जी का आश्रय और यमुना सेवा करो। इन पांच चीजों से भगवान की प्राप्ति होगी। भगवान की लीलाओं के विषय में शंका मत करो।

रासलीला पर टिप्पणी करने वालों को धिक्कारा

उन्होंने रासलीला पर टिप्पणी करने वालों को धिक्कारा और कहा- भगवान ने जब पूतना का वध किया तो छह दिन के थे। भगवान जो करते हैं, उसमें रहस्य छिपा हुआ है। उनसे कंपटीशन नहीं कर सकते हो।

कृष्ण के 16107 विवाह

देवी माहेश्वरी ने जामवंती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा से कृष्ण के विवाह की कथा सुनाई। जिन 16100 बेटियों की लज्जा का अपहरण किया गया था, उनसे विवाह किया। स्यमंतिक मणि के चक्कर में काफी उथल-पुथल हुई। कहा कि लोभ बड़ा खतरनाक है। धन को छिपाकर रखोगे तो आप ही नाग बनकर बैठोगे। इसलिए थोड़ा दान करो। कथा के लिए दे दिया करो। हो सकता है दान वेंटिलेटर पर जाने से बचा ले। सबने प्रेमपूर्वक प्रसादी पाई। (क्रमशः)

Dr. Bhanu Pratap Singh