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वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर एस्ट्रोलॉजर प्रमोद गौतम ने योगी आदित्यनाथ के बारे में की बड़ी भविष्यवाणी

Horoscope

17 जनवरी 2023 से ढाई वर्ष के लिए ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि ग्रह अपनी स्वराशि कुम्भ पर गोचरीय परवर्तित चाल में भारत के साथ-साथ सम्पूर्ण विश्व में अंहकारी शासकों के अंहकार का पूर्ण विनाश वर्ष 2025 के अंत तक कर देंगे।

Agra, Uttar Pradesh, India. वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि ग्रह के रहस्यमयी तथ्यों के सन्दर्भ में गहराई से विवेचन किया है। उन्होंने बताया कि शनि अपनी दण्ड देने की उपयुक्त अवधि में अंहकारियों का पूर्ण विनाश कर देते हैं, चाहे वो अंहकार किसी सर्वोच्च पद के कारण आया हो, चाहे वो अति समृद्धि के कारण आया हो, चाहे वो अंहकार अति ज्ञान के कारण आया हो, चाहे वो अंहकार अति प्रसिद्धि के कारण ही क्यों न आया हो। शनि अपनी दण्ड देने की अवधि में राजा से भिखारी बनाने की क्षमता भी रखते हैं। इसलिए 17 जनवरी 2023 से ढाई वर्ष के लिए ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि ग्रह अपनी स्वराशि कुम्भ पर गोचरीय परवर्तित चाल में भारत के साथ-साथ सम्पूर्ण विश्व में अंहकारी शासकों के अंहकार का पूर्ण विनाश वर्ष 2025 के अंत तक कर देंगे।

 

एस्ट्रोलॉजर पंडित गौतम ने भारत के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में शनि ग्रह की भूमिका का भा विवेचन किया है। उन्होंने कहा कि स्वतन्त्र भारत का निर्माण 15 अगस्त 1947 को मध्य रात्रि 12 बजे अभिजीत महूर्त में 27 नक्षत्रों के सम्राट पुष्य नक्षत्र में हुआ है जो कि कर्क राशि के अधीन आता है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि ग्रह स्वयं हैं। वर्तमान में 17 जनवरी 2023 से ढाई वर्ष की स्वतंत्र भारत की कर्क राशि पर शनि ग्रह की अष्टम ढैय्या का प्रभाव आरम्भ हो गया है जो वर्ष 2025 के अंत तक रहेगा। दूसरी तरफ भारत देश में भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वृश्चिक राशि पर 17 जनवरी 2023 से शनि ग्रह की चतुर्थ ढैय्या का प्रकोप आरम्भ हो गया है। इसके साथ ही भाजपा स्थापना दिवस की चन्द्र राशि वृश्चिक पर शनि की चतुर्थ ढैय्या का प्रकोप भी 17 जनवरी 2023 से आरम्भ हो गया है जो कि लगभग वर्ष 2025 के अंत तक रहेगा।

 

कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा और भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोकसभा चुनावों में पूर्ण स्पष्ट विजय के लिए शनि के सम्पूर्ण आशीर्वाद की जरूरत पड़ेगी। वृश्चिक राशि पर 17 जनवरी 2023 से आरम्भ हुआ शनि की चतुर्थ ढैय्या के कारण भाजपा के लिए उथलपुथल भरा रहने की संभावना प्रबल है। वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल और शनि ग्रह में आपस में महाशत्रुता है। इस तरह की विपरीत परिस्थितियों में भाजपा को लोकसभा 2024 के चुनावों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दावेदार बनाना ग्रहों के अनुसार ज्यादा उपयुक्त रहेगा। योगी आदित्यनाथ 05 जून 1972 की उनकी जन्मतिथि के अनुसार कुम्भ राशि के व्यक्ति हैं, जिसका कि स्वामी शनि ग्रह होता है। वर्तमान में 17 जनवरी 2023 से शनि ग्रह अपनी गोचरीय परवर्तित चाल में ढाई वर्ष के लिए अपनी स्वराशि कुम्भ पर ही विराजमान हो गए हैं, जो कि योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री पद के लिए वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में पूर्ण विजय श्री के लिए एक योग्य उम्मीदार बनाते हैं। योगीजी स्वयं शनि प्रधान व्यक्ति हैं। एक कट्टर संत समुदाय से आते हैं। उन पर शनि ग्रह की वर्तमान में सम्पूर्ण कृपा है।

 

वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि देव सनातन धर्म में ग्रह व देवता दोनों रूप में पूजे जाते हैं। पौराणिक मान्यतानुसार शनि व्यक्ति को उसके अच्छे व बुरे कर्मो का फल प्रदान करते हैं। इसी कारण इन्हें कर्म दंडाधिकारी का पद प्राप्त है। यह पद उन्हें भगवान शंकर से प्राप्त है। मूलतः शनि कर्म प्रधान ग्रह है, जिसका पुराणों ने साकार दार्शनिक चित्रण किया है। वैदिक शास्त्रानुसार शनि के अधिदेवता ब्रह्मा व प्रत्यधिदेवता यम हैं। कृष्ण वर्ण शनि का वाहन गिद्ध है। शनि लोह के रथ की सवारी करते हैं। देवी संवर्णा की कोख से ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पर जन्मे शनि ने अपनी दृष्टि से पिता सूर्य को कुष्ठ रोग दे दिया था। शिव अवतार पिप्पलाद ने शनि पर ब्रह्मदंड का संधान करके इन्हें विकलांग भी कर दिया था। शनि-महेश युद्ध में इन्हें महेश्वर ने 19 सालों तक पीपल के पेड़ से उल्टा लटका दिया था।

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पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि पौराणिक वृतांत अनुसार सूर्य ने अपने पुत्रों की योग्यतानुसार उन्हें विभिन्न लोकों का अधिपत्य प्रदान किया परंतु असंतुष्ट शनि ने उद्दंडता वश पिता की आज्ञा की अवहेलना करते हुए दूसरे लोकों पर कब्जा कर लिया। सूर्य की प्रार्थना पर भगवान शंकर ने अपने गणों को शनि से युद्ध करने भेजा परंतु शनि देव ने उनको परास्त कर दिया। इसके उपरांत भगवान शंकर व शनि देव में भयंकर युद्ध हुआ। शनि देव ने भगवान शंकर पर मारक दॄष्टि डाली तो भगवान शंकर ने तीसरा नेत्र खोलकर शनि व उनके सभी लोकों का दमन कर शनि पर त्रिशूल का प्रहार कर दिया जिसके कारण शनि देव संज्ञा-शून्य हो गए। इसके पश्चात शनि को सबक सिखाने हेतु महादेव ने उन्हें पीपल के पेड़ से 19 वर्षों तक उल्टा लटका दिया। इन्हीं 19 वर्षों तक शनि शिव उपासना में लीन रहे। इसी कारण शनि की महादशा 19 वर्ष की होती है परंतु पुत्रमोह से ग्रस्त सूर्य ने महेश्वर से शनि का जीवन दान मांगा। तब महेश्वर ने प्रसन्न होकर शनि को मुक्त कर उन्हें अपना शिष्य बनाकर संसार का दंडाधिकारी नियुक्त किया।

 

वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने शनि ग्रह के पौराणिक रहस्यमयी तथ्यों के सन्दर्भ में गहराई से बताते हुए कहा कि ब्रह्मपुराण के अनुसार ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि बाल्यकाल से ही श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे। पिता सूर्य-देव ने चित्ररथ कन्या से इनका विवाह कर दिया था। विवाह उपरांत भी यह स्त्री गमन से दूर रहे जिसके कारण शनि की पत्नी ने क्रुद्ध होकर इनकी दृष्टि को शापित कर दिया था। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार शनि की दृष्टि के कारण गणपति का स‌िर कटा व इसी कारण गणेश जी गज मुख कहलाए। पौराणिक मान्यतानुसार राजा विक्रमादित्य को भी क्रोधित शनि के कारण असामान्य कष्ट झेलने पड़े। ब्रह्माण्ड के न्यायधीश शनि ग्रह ने ही राजा हरिशचंद्र को दर-दर की ठोकरें खिलाई। राजा नल व रानी दमयंती ने भी शनि के कारण जीवन में कई असामान्य कष्ट सहे। शनि ग्रह की महादशा के कारण ही श्रीराम को वनवास हुआ व इसी कारण लंकापति रावण का वंश हनन हुआ। महाभारत में कुंती पुत्र पांडवों को भी अपने राज्य से शनि के कारण ही भटकना पड़ा।

 

वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने कहा कि वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि जिन व्यक्तियों पर वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती, शनि की चतुर्थ ढैय्या, शनि की अष्टम ढैय्या चल रही है वह व्यक्ति इस बात का विशेष ध्यान अवश्य रखें, चाहे वो किसी सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे हों या किसी उच्च पद पर विराजमान हों या किसी उच्च पद से सेवानिवृत्त हो चुके हों वो व्यक्ति वर्तमान में किसी से उलझें नहीं। वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती एवम ढैय्या की शनि इन दण्ड की अवधियों में अर्थात ज्यादा वाद विवाद किसी से अधिक न करें, विशेषकर अपने कार्यस्थल या घर परिवार में क्योंकि शनि अपनी दण्ड की अवधि में पूरी तरह अहंकारी व्यक्ति के अहम का विनाश कर देता है, चाहे वो अहम किसी व्यक्ति के अंदर किसी भी कारण से पैदा हो रहा हो। पौराणिक मान्यता है कि शनि अपनी दण्ड की अवधि में व्यक्ति को राजा से भिखारी भी बना देता है और साथ उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी धूमिल कर देता है। शनि का एक दूसरा सकारात्मक पहलू यह भी है कि जिस व्यक्ति पर शनि ग्रह की पूर्ण कृपा दृष्टि होती है, उस व्यक्ति को शनि ग्रह भिखारी से राजा भी बना देता है। समाज में अति मान-सम्मान भी अचानक प्रदान कर देता है और उच्च पद पर विराजमान भी कर देता है, जिसकी उस व्यक्ति ने जीवन में कभी कल्पना भी नहीं की हो। यह कार्य शनि ग्रह उस व्यक्ति को अपनी शनि की साढ़ेसाती, व ढैय्या की अवधि में ही करता है। इसलिए शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि हर व्यक्ति के लिए नुकसानदेह साबित नहीं होती है, जो सत्य के पथ पर निष्पक्ष रूप से बेबाकी से बिना किसी भय के चलते हैं और अपने जीवन में सभी प्रकार के आडम्बरों से दूर रहते हैं ऐसे व्यक्ति पर शनि ग्रह की साढ़ेसाती व ढैय्या का नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है।

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एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने शनि की वर्तमान गोचरीय चाल के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि वर्तमान में 17 जनवरी 2023 से मीन राशि के व्यक्तियों पर शनि की साढ़ेसाती की अवधि आरम्भ हो गयी है, कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि वर्तमान में मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रथम चरण आरम्भ हो गया है जो कि लगभग वर्ष 2025 के अंत तक रहेगा और शनि का प्रथम चरण मीन राशि के व्यक्तियों के लिए गम्भीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है इसलिए शनि की साढ़ेसाती के प्रथम चरण में मीन राशि के व्यक्ति अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि शनि की साढ़ेसाती मीन राशि पर जो कि 17 जनवरी 2023 से आरम्भ हो चुकी है अर्थात शनि की साढ़ेसाती मीन राशि के व्यक्तियों पर आने वाले साढ़े सात वर्षों तक चलेगी इसलिए मीन राशि के सभी जातक पूरी तरह अपने अंदर वर्तमान में सकारात्मक परिवर्तन करना आरम्भ कर दें, नहीं तो शनि की साढ़ेसाती आने वाले साढ़े सात वर्षों में उनके आंतरिक अहम का पूरी तरह विनाश कर देगी।

 

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि दूसरी तरफ वर्तमान में वृश्चिक राशि के व्यक्तियों पर शनि ग्रह की 17 जनवरी 2023 से शनि की चतुर्थ ढैय्या आरम्भ हो गयी है जो कि लगभग वर्ष 2025 के अंत तक रहेगी। इस राशि के व्यक्ति भी अपने घर परिवार और सामाजिक क्षेत्र में किसी से उलझें नहीं और न ही किसी से अधिक वाद विवाद करें नहीं तो शनि की दण्ड की अवधि के कारण उन्हें अपयश का सामना भी करना पड़ेगा और व्यक्ति का मान सम्मान पूरी तरह धूमिल हो जाएगा।

 

वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वर्तमान में गोचरीय ग्रह चाल में कर्क राशि के व्यक्तियों पर 17 जनवरी 2023 से शनि की अष्टम ढैय्या आरम्भ हो गयी है जो कि लगभग वर्ष 2025 के अंत तक रहेगी, ऐसे व्यक्ति भी वर्तमान में अपनी वाणी का सही उपयोग करें और अपने कुटुम्ब एवं अपने कार्यस्थल और अपने सामाजिक क्षेत्र में किसी से उलझें नहीं, नहीं तो शनि के दण्ड की अवधि के कारण कर्क राशि के व्यक्तियों को नकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे, शनि की अष्टम ढैय्या की अवधि में और इसके साथ ही कर्क राशि के व्यक्ति वर्तमान की इस शनि की दण्ड की अवधि में अपने स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखें और साथ ही इस दौरान कर्क राशि के व्यक्तियों को अष्टम ढैय्या में अकाल मृत्यु तक के कष्ट का सामना करने की भी प्रबल संभावना बनी रहेगी, शनि की अष्टम ढैय्या की अवधि में क्योंकि किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली का अष्टम भाव अप्रत्याशित घटनाओं एवम मृत्यु का भाव वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार माना जाता है, दूसरी तरफ आध्यात्मिक परिपेक्ष्य में जन्मकुंडली का अष्टम भाव गहन अनुसंधान का भी होता है अर्थात जो व्यक्ति लम्बे समय से समर्पित भाव से आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर हैं उनके लिए शनि ग्रह की अष्टम ढैय्या गहराई लिए हुए गहन ज्ञान का अनुभव प्राप्त कराने वाली भी साबित होती है अर्थात आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर व्यक्ति कभी-कभी शनि ग्रह की अष्टम ढैय्या में मोक्ष की सर्वोच्च सीढी तक पहुंचने की भी उनके लिए एक प्रबल सम्भावना होती है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि कर्क राशि के सभी व्यक्तियों को वर्तमान में शनि की अष्टम ढैय्या में वाहन चलाने में विशेष सावधानी बरतने की प्रबल आवश्यकता है।

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Dr. Bhanu Pratap Singh