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4 फरवरी से प्रत्येक शनिवार को निःशुल्क ज्योतिष एवं वास्तु परामर्श, नोट करें मोबाइल नम्बर

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Agra, Uttar Pradesh, India. वैदिक सूत्रम चेयरमैन विश्वविख्यात ख्याति प्राप्त भारत के नास्त्रेदमस एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने नई पहल की है। वे आगरा के दयालबाग स्थित संस्था के कैम्प कार्यालय 8A टैगोर नगर, जैन मंदिर के सामने वैदिक सूत्रम रिसर्च संस्था की संस्थापिका प्रमुख समाजसेवी योग-गुरु स्व. श्रीमती दिनेशवती गौतम की स्मृति में 04 फरवरी 2023 से प्रत्येक शनिवार को पूर्वान्ह 11 से शाम 4 बजे तक निःशुल्क ज्योतिष एवम वास्तु परामर्श देंगे।

 

उन्होंने कहा कि वैदिक हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को सेवा का कारक ग्रह कहा जाता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति का किसी न किसी रूप में शनिवार को आम जनमानस की सेवा जरूर करनी चाहिए, चाहे वो किसी भी व्यवसाय से क्यों न जुड़ा हुआ हो। विशेषकर चिकित्सा और वकालत के व्यवसाय से जुड़े हुए व्यक्तियों को तो शनिवार के दिन सेवा का भाव आम जन-मानस के प्रति अवश्य रखना चाहिए। आम जन-मानस के प्रति सेवा भाव से ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि ग्रह की सम्पूर्ण कृपा बनी रहती है।

 

वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वैदिक सूत्रम की संस्थापिका ने वर्ष 2019 में 02 फरवरी दिन शनिवार, माघ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मध्यान्ह 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में अपने भौतिक शरीर का परित्याग करके शिवजी के आशीर्वाद से पूर्ण रूप से निर्वाण प्राप्त किया। वैदिक सूत्रम की संस्थापिका हमेशा अपने गले में दुर्लभ प्रजाति का नेपाली गोल एकमुखी रुद्राक्ष धारण किया करती थीं। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार नेपाली गोल दुर्लभ एकमुखी रुद्राक्ष में साक्षात शिवजी का वास माना गया है। शिव पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति शिव का किसी भी मुख का रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला को धारण किये हुए अपने भौतिक शरीर का परित्याग करता है वो पूर्ण मोक्ष का अधिकारी होता है।

 

वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि “वैदिक सूत्रम” वैदिक हिन्दू ज्योतिषीय विश्लेषण एवम ब्रह्माण्ड में ग्रहों के सकारात्मक और नकारात्मक गोचरीय परिवर्तनों के कारण उनके परिणामस्वरूप संसार में घटित होने वाले घटनाक्रमों की भविष्यवाणियों के लिए पूरी तरह अप्रैल 2000 से समर्पित है। वैदिक हिन्दू ज्योतिष में सटीक ज्योतिषीय विश्लेषणात्मक परिणामों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इस वैदिक विज्ञान ने संसार में मानव प्रजातियों को सकारात्मक दिशा निर्देशन देने में पौराणिक काल से एक उचित मार्गदर्शन प्रदान करने का बहुत अच्छा कार्य किया है।

 

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि संसार में एक ही चीज है जो प्राण वायु का काम करती है और वह है आने वाले भविष्य के प्रति एक सकारात्मक आशा की किरण। वैदिक हिन्दू ज्योतिषीय विश्लेषणात्मक परिणाम निराशावादी व्यक्तियों में एक आशा की किरण जगाता है। जन्मकुंडली विज्ञान भारतीय वैदिक हिन्दू ज्योतिष का सबसे महत्वपूर्ण विज्ञान है, क्योंकि जन्मकुंडली से कोई भी ज्ञानवान शख्स पूरे ब्रह्मांड के एक विस्तृत स्पेक्ट्रम को इस दैवीय विज्ञान के माध्यम से देख सकता है। इस ज्ञान से वैदिक विश्लेषण के रहस्यमयी महत्व को पूरी तरह जाना जा सकता है। इसकी वर्तमान युग में विशेष आवश्यकता और महत्व को समझते हुए हमने “वैदिक सूत्रम” नाम से अपने संगठन की भारत में 11 अप्रैल 2000 में स्थापना की।

 

वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि इस ब्रह्मांड में वैदिक हिन्दू ज्योतिष एक विज्ञान है, यह हमारी पृथ्वी की जीवित चीजों पर, विशेष रूप से मानव जीवन पर सौर धाराओं के प्रभाव को जानने और समझने का रहस्यमयी विज्ञान एवम ज्ञान की शक्ति है, और ज्योतिष विज्ञान रहस्यों से भरे उस वास्तविक सत्य के ताले को खोलने की सबसे बड़ी चाभी है। वैदिक हिन्दू ज्योतिष व्यक्ति की क्षमताओं, और सीमाओं को पूरी तरह इंगित करता है।

 

वैदिक सूत्रम रिसर्च संस्था की प्रबंधक आध्यात्मिक हीलर श्रीमती निधि शर्मा ने बताया कि 04 फरवरी 2023 दिन शनिवार से व्यक्तिगत समस्याओं से ग्रसित कोई भी व्यक्ति जो आजकल के ज्योतिषियों की महँगी फीस को देने में सक्षम नहीं हैं, ऐसे व्यक्ति प्रत्येक शनिवार को पूर्वान्ह 11 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक 8A टैगोर नगर, जैन मंदिर के सामने स्थित संस्था के कैम्प कार्यालय पर किसी भी प्रकार की अपनी व्यक्तिगत समस्या का समाधान प्राप्त करने के लिए वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम से व्यक्तिगत रूप से उनके व्यक्तिगत व्हाट्सएप मोबाइल 8899626767 पर प्रत्येक शुक्रवार को केवल सन्देश के रूप में अपॉइंटमेंट ले सकते हैं। व्हाट्सएप संदेश के माध्यम से किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत सलाह नहीं दी जाएगी। केवल व्यक्तिगत मुलाकात के बाद ही व्यक्तिगत समस्याओं का उचित मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।

Dr. Bhanu Pratap Singh