विश्व में विकास की बात होती है, तो सभी देशों से सूचना व समस्याओं को एकत्रित करके व्यापार एवं विकास संबंधी समस्याओं का हल तलाश किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के तत्वधान में पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बल देने की जरूरत को महसूस करते हुए व सभी देशों का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से हर वर्ष 24 अक्टूबर को विश्व विकास सूचना दिवस मनाया जाने लगा है। विश्व विकास सूचना दिवस को सबसे पहले 17 मई 1972 को व्यापार एवं विकास पर सम्मेलन करके विकास संबंधी सूचना एकत्रित करने की आवश्यकता महसूस की गई। इसके बाद 19 दिसंबर 1972 को एक प्रस्ताव पारित करके प्रतिवर्ष 24 अक्टूबर की तारीख निश्चित की गई।
वैसे तो हर देश इसे अपने देश में विभिन्न तरीकों से मनाते हैं लेकिन सभी का उद्देश्य लोगों को व्यापार एवं विकास संबंधी समस्याओं की सूचना देने के साथ समाधान तलाशना तथा इसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर बल देना रहता है। इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर व राष्ट्रीय स्तर की इकाइयों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करके उनके साथ विकास की बात की जाती है। पहले यह बड़े-बड़े विज्ञापन और सम्मेलनों के माध्यम से संभव होता था लेकिन अब विभिन्न देशों की सरकारें एवं व्यापारिक संगठन सम्मेलन, विज्ञापन एवं कार्यक्रम के साथ मोबाइल, इंटरनेट एवं संचार क्रांति के अन्य माध्यम से इसको और विस्तार दिया गया है।
आज 24 अक्टूबर 2020 को एक बार फिर राष्ट्र और विश्व के विकास के लिए कोविड-19 महामारी को देखते हुए विश्व विकास सूचना दिवस बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। भारतवर्ष में सीआईआई, फिक्की, एसोचैम एवं केंद्र सरकार की औद्योगिक संस्थाएं इसमें अपना योगदान व अन्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ कार्यक्रम करते हैं।
किसी ने सही कहा है डॉक्टर व वकील और सरकार से कुछ न छुपाएं अन्यथा भुगतान पड़ेगा गम्भीर परिणाम। डॉक्टर को सही बीमारी बताएंगे तो सही इलाज होगा। वकील को तथ्य सही बताएंगे तो न्यायालय में पैरवी ठीक से होगी। सरकार को सही आंकड़े बताएंगे तो तदनुसार विकास की योजनाएं ठीक बनेंगी। उदाहरण के तौर पर तमाम लोग सूचनाएं छिपाकर बीपीएल कार्ड बनवा लेते हैं और लाभ उठाते हैं। इसका कुप्रभाव यह है कि असली बीपीएल (गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाला) टापता रह जाता है। फिर वह सरकार को दोष देता रहता है। इसलिए विश्व विकास सूचना दिवस पर संकल्प लें कि हम सूचनाएं छिपाएंगे नहीं। एकदम सही जानकारी सरकार को देंगे ताकि देश के विकास के लिए सही योजना बनाई जा सके। सरल भाषा में यूं समझिए कि मयखाने से आ रहे हैं तो मंदिर क्यों बता रहे हैं?
-राजीव गुप्ता ‘जनस्नेही’
लोक स्वर आगरा
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