डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल गोली चलाने के साथ-साथ कलम चलाने में भी माहिर हैं। उनकी नौवीं पुस्तक “डेढ़ बिस्वा जमीन- उत्तर प्रदेश क्राइम फाइल्स” प्रभात प्रकाशन नई दिल्ली ने प्रकाशित की है। इस पुस्तक में आप जानेंगे माफिया अतीक अंसारी के उदय की कहानी। यह ऐसी कहानी है जिसमें सिर्फ डेढ़ बिस्वा जमीन के लिए परिवार के नौ लोगो की हत्या की गई थी।
इस पुस्तक के संबंध में बृजलाल कहते हैं, “तीन सौ से कुछ अधिक पेज की यह पुस्तक दिल्ली की प्रसिद्ध प्रकाशन “प्रभात प्रकाशन नई दिल्ली” ने प्रकाशित किया है। यह पुस्तक काफी रोचक है और पाठकों को बहुत अच्छा लगेगा, यह मेरी गारंटी है।”
“डेढ़ बिस्वा ज़मीन -उत्तर प्रदेश क्राइम फ़ाइल्स” सत्य घटनाओं पर आधारित है। इसकी शुरुआत जिला गाजीपुर के गाँव मुड़ियार से शुरू होती है। ठाकुर रमापति सिंह उर्फ रमपत सिंह इसी गाँव के रहने वाले थे और ग्राम प्रधान थे। उनके 6 बेटे थे जिसमें तीन पुलिसकर्मी थे। वे पहलवान थे और उनका परिवार बहुत सम्मानित था। रमापति सिंह तीन भाई थे- स्वयं रमापति सिंह, श्याम नारायण सिंह और रामदेव सिंह। श्याम नारायण सिंह की मृत्यु हो चुकी थी जिनकी पत्नी गूदा देवी अपने पुत्रों दामोदर सिंह, राजेश्वर उर्फ मकनू सिंह, साधू सिंह के साथ रहती थी। मकनूँ और साधू सिंह जाने- मानें अपराधी थे और गोरखपुर के माफिया और बाहुबली नेता के शूटर थे। माफिया और शातिर अपराधी मुख्तार अंसारी इन्ही दोनों भाइयों का गुर्गा था।
मुड़ियार के राजपूत परिवार में सब ठीक चल रहा था कि 27 जून, 1984 को ऐसी कुदृष्टि इस परिवार पर पड़ गई कि परिवारजन एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये।
रमापति सिंह का अपने भतीजों साधू और मकनूँ से डेढ़ विस्वा जमीन का विवाद था। विवाद ऐसा बढ़ा कि साधू सिंह ने अपने ताऊ रमापति सिंह को खेत जोतते हुए 27 जून, 1984 को गोली मारकर हत्या कर दी। इस हत्या ने दोनों परिवारों में गैंगवार का रूप ले लिया और 9 लोगों की हत्या हुई। साधू सिंह अक्टूबर, 1989 को मारा गया, उसके बाद इस गैंग की कमान मुख्तार अंसारी ने सँभाली।
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रमापति सिंह के तीन पुत्रों की हत्या के बाद उनका सबसे छोटा बेटा त्रिभुवन यूपी कॉलेज से पढ़ाई छोड़कर बृजेश सिंह के साथ मिल गया, जिसके पिता की भी हत्या उसके गाँव में पड़ोसी राजपूत परिवार के लोगों ने की थी।
अब पूर्वी उत्तर प्रदेश में दो कुख्यात माफिया गैंग बृजेश और मुख़्तार के नेतृत्व में उभरे। दोनों के गैंगवार में दर्जनों लोग मारे गये, जिसकी आँच बिहार, झारखंड, मुंबई, गुजरात तक पहुँची। सत्य घटनाओं पर आधारित इस पुस्तक का अंतिम अध्याय “शहाबुद्दीन, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का माफिया सिंडिकेट” है।
बृजलाल की अन्य पुस्तकें
1-सियासत का सबक़- जोगेंद्र नाथ मंडल
2-राजनीतिक चक्रव्यूह- जोगेंद्र नाथ मंडल (बांग्ला संस्करण)
3-इण्डियन मुजाहिदीन (निशाने पर गुजरात)
4-Indian Mujahideen (English)
5-इण्डियन मुजाहिदीन (निशाने ऊपर गुजरात) गुजराती संस्करण
6-पुलिस की बारात (फूलन देवी, चंबल गैंग्स)
7-लखनऊ के रंगबाज़
8-इटावा फ़ाइल्स
उनकी दो पुस्तकें पुरस्कृत हो चुकी हैं। सभी पुस्तकें बेस्ट- सेलर हैं।
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