आगरा: एक चीज कही जाती है जुगाड़, जो भारत में बहुत फेमस है और हर कहीं देखने को मिल जाती है। किसी का कोई काम ना बन रहा हो तो जुगाड़ कर लीजिए या फिर जुगाड़ से यह काम हो सकता है यह शब्द अक्सर सुनाई दे जाते हैं। भारत में जुगाड़ के माध्यम से ऐसी तकनीक सामने आ जाती हैं इसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। अब बंदरों से निपटने के लिए जुगाड़ से एक हथियार बनाया गया है जो बंदर भगाओ यंत्र कहलाया जा रहा है।
तकनीक पुरानी, यंत्र नया
आपको बताते चले कि बंदर भगाओ यंत्र जो बनाया गया है, उसको बनाने के लिए तकनीक तो पुरानी है लेकिन जुगाड़ का प्रयोग किया गया है। उसके माध्यम से बंदर भगाओ यंत्र की संरचना कर दी गई है। इस तकनीक से पहले चिमटे के आकार का एक हथियार बनाया जाता था जिसमें गढ़ पटस भरकर लोग जमीन में मारते थे और तेज धमाका होता था। अक्सर उसका उपयोग दीपावली के दौरान किया जाता था। अब इस तकनीक को बंदर भगाओ यंत्र में तब्दील कर दिया गया है।
गुलेल-कट आउट से नहीं डरते बंदर
बंदरो को भगाने के लिये लोग पहले गुलेल का प्रयोग करते थे लेकिन बंदर कुछ दिन डरे और फिर गुलेल चलाने वाले पर ही हमला करने लगे। इसके बाद बंदरो के आतंक को खत्म करने के लिए जगह जगह लंगूर के कटआउट लगाये जाने लगे। शुरुआत में लंगूर के कट आउट देखकर बंदर भागने लगे लेकिन उनके स्थायी रहने पर वो समझ गए और वह प्रयोग भी फेल हो गया। अब बंदरों को भगाने के लिए तेज धमाके की जरूरत है। लोग आतिशबाजी कर बंदरों को भगा रहे हैं।
बाजारों में खूब बिक रहा बंदर भगाओ यंत्र
बंदरों के आतंक के चलते बाजार में बंदर भगाओ यंत्र खूब बिक रहा है। 350 से लेकर 500 रुपये तक इस यंत्र की कीमत है। लोग बंदरो के आतंक से छुटकारा पाने के लिए इसे खूब खरीद रहे है। इस यंत्र से दो फायदे है।
बंदरो के आतंक से कई लोगों की गयी जानें
बंदरों का आतंक किसी से छिपा नहीं है। जिधर नजर डालो वहीं से बंदरों के आतंक की खबर सामने आ जाती है। बंदरों का आतंक इतना है कि ताजमहल पर पर्यटक बंदरों का निशान बन रहे हैं तो शहर के कई लोग काल में समा गए हैं।
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