विश्व स्लॉथ भालू दिवसः वाइल्डलाइफ एसओएस ने मनाया समर्पण और संवेदना का उत्सव

PRESS RELEASE

आगरा से लेकर बैंगलोर तक, भालुओं की जिंदगी बदल देने वाले सफर के तीस साल पूरे हो गए हैं। वाइल्डलाइफ एसओएस, जिसने एक समय ‘नाचते भालू’ की करुण परंपरा को समाप्त कर संरक्षण की नई परिभाषा लिखी, आज विश्व स्लॉथ भालू दिवस 2025 पर न सिर्फ इस अद्भुत प्रजाति की रक्षा का संकल्प दोहरा रहा है, बल्कि अपने तीन दशक के अथक प्रयासों और विशेषज्ञ देखभाल को भी सलाम कर रहा है। 12 अक्टूबर को मनाया जाने वाला यह दिवस अब वैश्विक स्तर पर भारत के ‘स्लॉथ भालू संरक्षण मॉडल’ की मिसाल बन चुका है, जो इंसान और वन्यजीव के बीच करुणा, तकनीक और संवेदनशीलता के संगम की कहानी कहता है।

हर साल 12 अक्टूबर को विश्व स्लॉथ भालू दिवस मनाया जाता है, जिसे 2022 में वाइल्डलाइफ एसओएस के प्रस्ताव पर इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़रवेशन ऑफ नेचर (आयूसीएन) द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई। इस दिन का उद्देश्य भारत की अद्वितीय और संकटग्रस्त स्लॉथ भालू प्रजाति के संरक्षण और उनकी जीवन-यात्रा को समझने पर ध्यान केंद्रित करना है।

वाइल्डलाइफ एसओएस अपने 30 वर्षों के बचाव और संरक्षण कार्य के साथ इस अवसर को विशेष बना रहा है। संस्था के आरंभिक प्रयासों ने न केवल ‘नाचते भालू’ प्रथा को समाप्त किया, बल्कि स्लॉथ भालू संरक्षण को एक वैश्विक मिशन में बदल दिया।

संस्था की विशेषज्ञता इन भालुओं के पूरे जीवनचक्र को नवजात देखभाल से लेकर वृद्धावस्था तक शामिल करती है।

आगरा के भालू संरक्षण केंद्र (एबीआरएफ) में बचाई गई पांच महीने की जेनी और भोपाल के वन विहार केंद्र में एक वर्षीय जिमी इसके उदाहरण हैं। दोनों अनाथ शावकों को पोषक तत्वों से भरपूर दूध, चौबीसों घंटे निगरानी और विशेष चिकित्सा सहायता दी जा रही है।

वृद्ध भालुओं के लिए देखभाल उतनी ही संवेदनशील है। बैंगलोर के बन्नेरघट्टा भालू बचाव केंद्र में 33 वर्षीय बॉबी और आगरा केंद्र में 34 वर्षीय चमेली को उनके स्वास्थ्य और सुकून के लिए अनुकूल पोषण, दवाएँ और मौसमी प्रबंधन प्रदान किया जा रहा है।

संस्था के सह-संस्थापक एवं सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, नवजात से लेकर वृद्ध तक, हमारा हर कार्यक्रम इस बात का प्रतीक है कि संवेदनशीलता और विज्ञान मिलकर कैसे जीवन बदल सकते हैं। विश्व स्लॉथ भालू दिवस हमें इस अद्भुत प्रजाति की रक्षा के हमारे सामूहिक दायित्व की याद दिलाता है।

पशु चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक डॉ. एस. इलियाराजा के अनुसार, हर भालू की ज़रूरतें अलग होती हैं। हम उन्हें स्वस्थ रखने के लिए आधुनिक चिकित्सा, विशेष आहार और सौम्य व्यवहारिक प्रशिक्षण का मिश्रण अपनाते हैं।

सह-संस्थापक एवं सचिव गीता शेषमणि ने कहा, हमारी 30 वर्षों की यात्रा में भालुओं के शरीर, स्वभाव और जरूरतों को समझने की गहराई बढ़ी है। आज हमारे पास वो ज्ञान है जो कभी असंभव लगता था, जीवन बचाने और उसे बेहतर बनाने का।

Dr. Bhanu Pratap Singh