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जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज को क्यों कहना पड़ा कि आदमी और बंदर में केवल पूंछ का अंतर

RELIGION/ CULTURE

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Agra, Uttar Pradesh, India. राष्ट्र संत नेपाल केसरी डॉ. मणिभद्र महाराज ने कहा है कि मनुष्य होना तो आसान है, लेकिन मनुष्य में मनुष्यत्व होना बहुत मुश्किल है। इसके लिए धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा आवश्यक है। मानव के प्रति हमदर्दी भी सभी में होनी चाहिए।

न्यू राजा मंडी के महावीर भवन में आयोजित वर्षावास में जैन मुनि ने चातुर्मास कल्प के उपलक्ष्य में वीतराग वाणी का श्रवण कराया। उतराध्ययन सूत्र का मूल वाचन करने के बाद उन्होंने कहा कि साधक के जीवन में अनूकल-प्रतिकूल समय आते रहते हैं। सच्चा साधक वही है जो दोनों ही परिस्थितियो में समान भाव रखे। अपना व्यवहार नहीं बदले। किसी प्रकार से घबराए नहीं। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर कहते हैं कि मानव जीवन बहुत मुश्किल से मिलता है। लेकिन बार-बार समझाने के बाद भी मनुष्य जीवन के महत्व का अहसास व्यक्ति को नहीं होता। बल्कि धर्म सभा में भी जो लोग प्रवचन सुन रहे होते हैं, वे भी यहां से निकलने के बाद मनुष्य जीवन के महत्व को भूल जाते हैं। भगवान महावीर कहते हैं कि वे मनुष्य की आकृति, प्रकृति दुर्लभ नहीं होती, क्योंकि यही आकृति बंदर में होती है। आदमी और बंदर  में केवल पूंछ का अंतर रहता है।  बंदर में  चितंन, मनन की शक्ति नहीं होती। यह शक्ति केवल मनुष्य में ही है। दोनों ही अपनी आयुष्य पूर्ण करके स्वर्ग या नर्क में पहुंच जाते है।

जैन मुनि ने कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में इंसानियत अपनानी चाहिए। इंसानियत के बिना मानव जीवन अधूरा है। हमारे शरीर में पांच इंद्रियां हैं, जिनमें कान और मन धर्म के काम आते हैं। कान से प्रवचन श्रवण करने के बाद चिंतन, मनन की शक्ति आती है। उससे मनुष्यत्व जागृत होता है। उन्होंने कहा कि धर्म श्रवण करना सबसे दुर्लभ होता है। प्रवचन सुनने में बहुत कम लोगों का मन लगता है। उनसे दुनियादारी की बातें करा लो। लोगों को निंदा, चुगली 24 घंटे करा लो, लेकिन जब धर्म की बात हो तो मुश्किल लगता है। बल्कि धार्मिक बातें सुनने के लिए लोग तर्क, वितर्क करते हैं। विभिन्न प्रसंग सुनाते हुए महाराज ने कहा कि कुछ लोग मनुष्यत्व तो अपनाते नहीं, बल्कि उनमें पशुत्व होता है। वे अपनी हैवानियत से लोगों को दुख देते हैं। ऐसे मनुष्यों का तो पशुओं से भी बेकार जीवन है। जैन मुनि ने कहा कि जीवन में राग और द्वेष ही निंदा और प्रशंसा कराती है जबकि अनुभूति की श्रद्धा में सम्यक भाव होते हैं,  जिसे सभी को अपनाना चाहिए और इंसानियत को धारण करने के प्रयास करने चाहिए।

गुरुवार की धर्म सभा में प्रवचन में समय से आने वालों को पुरस्कृत किया गया। धर्म प्रभावना के अंतर्गत मधु जी बुरड़ की 51 आयंबिल एवमं बालकिशन जैन,  लोहामंडी की चातुर्मास से तपस्या निरंतर जारी है। ऊषा रानी लोढ़ा की एक वर्ष से एकासने की तपस्या चल रही है। गुरुवार को नवकार मंत्र का जाप मधु अनूप आदेश बुरड़ परिवार ने कराया। प्रवचन में नरेश चप्लावत, राजेश सकलेचा , विवेक कुमार जैन,  नरेंद्र सिंह जैन, वैभव जैन, सौरभ जैन, राजीव चप्लावत, संजीव जैन,  बिमल चंद जैन,  सुलेखा सुराना, अंजली जैन, सुमित्रा सुराना आदि भक्तजन उपस्थित थे।

Dr. Bhanu Pratap Singh