मंविवि में “आर्ट,आर्टिस्ट एन्ड द कम्युनिटी” पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

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Aligarh (Uttar Pradesh, India) । मंगलायतन विश्वविद्यालय तथा हिमालयन विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार और ऑनलाइन फैकल्टी डेवेलोपमेंट प्रोग्राम का आयोजन हुआ। जिसका विषय “आर्ट,आर्टिस्ट एन्ड द कम्युनिटी: पोस्ट कोविड-19 सिनेरियो” था। इसमें देश -विदेश से लोगों ने भाग लिया। मुख्य वक्ता एमएफए, पीएचडी, सहायक प्रोफेसर (ग्राफिक डिजाइन), सीएसयू, फ्रेस्नो, यूएसए डॉ.लाउरा ऊइसिंगा ने कहा कि अब जो दौर चल रहा वह  वर्चुअल मनोरंजन के जरिए वास्तविक मनोरंजन अनुभव करने का है। डिजिटल टेक्नोलॉजी के सहारे हम रियल मीटिंग कर रहे हैं। उसी के जरिए हम कला को एक व्यक्ति से दूसरे तक पंहुचा रहे हैं। इस दौरान उन्होंने ग्राफ़िक्स डिज़ाइन शो भी प्रस्तुत किया और उन्होंने ये भी समझाया की हम कैसे वर्चुअल प्रदर्शनी कलाकार तथा उनकी कलाकृतियों को प्रमोट कर सकते हैं।


तनाव को दूर करता है संगीत 
सिडनी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया से एन लेहमैन कुइट ने प्रतिभागियों द्वारा भेजे गए कीवर्ड्स का सम्मिलन करके एक बहुत ही प्रभावशाली संगीत सुनाया। उन्होंने कई प्रेरणा दाई संगीत को रियल टाइम में साझा किया। उन्होंने संगीत चिकित्सा के बारे में समझाया। संगीत सारे जनसमाज के लिए शांति का सन्देश देता है। उन्होंने कहा कि संगीत तनाव को दूर करने वाला प्रेरणा दाई संयंत्र है। सभी बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों को संगीत अवश्य सुनना चाहिए। कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी, फ्रेस्नो, यूएसए प्रो जोआन के शर्मा ने कलर्स ऑफ़ डिवोशन पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि भारत में अपनी यात्रा के दौरान वह अमृता झा, दुलारी देवी के द्वारा प्रदर्शित मिथिला पद्दति पर बनाई गई पेंटिंग्स तथा मधुबनी पद्दति पर कलाकृतियों से बेहद प्रभावित हुईं हैं।  

भारतीय संस्कृति की जड़ों में बसता है संगीत
मंविवि के मानविकी संकाय के डीन प्रो. जयंतीलाल जैन ने कहा कि जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव में भी कला का उल्लेख मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत में दक्षिण प्रांत में अनेक कृतियां बनाई जा रही हैं वह संदेशात्मक हैं। कोविड-19 का दौर बहुत ही संघर्षपूर्ण है इसमें हमें समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना होगा। मंविवि जबलपुर के कुलपति डॉ. ए.के. मिश्रा ने सभी के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि संगीत भारतीय संस्कृति की जड़ों में बसता है। संयोजक देबाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि ये हमारी एक शुरुआत है, हम कोशिश करेंगे कि सारे विश्व के कलाकारों को एक साथ इस प्लेटफार्म पर लाएं। इससे मंविवि के साथ पूरे देश को लाभ मिलेगा।

ये थे मौजूद 
संचालन करते हुए जॉइंट डायरेक्टर ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट तथा एफटेल डॉ. धीरज कुमार गर्ग ने कहा कि जिंदगी प्यार का गीत है इसे हर दिल को गाना पड़ेगा। चाहे कितना भी कठिन दौर क्यों न हो जैसा कि अभी कोविड -19 का है। इस दौरान मंविवि के कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह, कुलसचिव हिमालयन विवि डॉ. विवेक मित्तल, जॉइंट रजिस्ट्रार डॉ. दिनेश शर्मा, प्रो. शिवाजी सरकार, प्रो. आर.के. शर्मा, डॉ. पूनम रानी, लव मित्तल, डॉ. अशोक उपाध्याय, राजेश उपाध्याय, सोनी सिंह, शिखा शर्मा आदि मौजूद थे।