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आगरा कॉलेज में प्राचार्य की कुर्सी के लिए छिड़ी जंग,पढ़िए क्या हो रहा

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL

Agra, Uttar Pradesh, India 197 साल पुराने आगरा कॉलेज में प्राचार्य पद को लेकर खेमेबाजी चल रही है। एक ओर डॉ. एसके मिश्रा हैं तो दूसरी ओर डॉ. अरुणोदय वाजपेयी। डॉ. मिश्रा के लिए प्रयासरत हैं प्राचार्य डॉ. रेखा पतसारिया। डॉ. वाजपेयी के लिए प्रयासरत हैं अन्य लोग। प्रयास यह किया जा रहा है कि आगरा कॉलेज पर कोई वामपंथी विचारधारा का पोषक व्यक्ति काबिज न होने पाए। इसलिए सिफारिशों के साथ-साथ कानून दांव-पेंच भी चले जा रहे हैं। इसके चलते जाने-माने अधिवक्ता एवं पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट की भूमिका महत्वपूर्ण हो चुकी है। वे एजूकेशन एक्ट के विशेषज्ञ माने जाते हैं और उनकी राय को हर कोई महत्व देता है। इसके चलते प्राचार्य की कुर्सी के लिए के लिए छिड़ी जंग रोचक दौर में पहुंच चुकी है।

वामपंथी को रोकने का प्रयास

आगरा कॉलेज की स्थापना 1823 में हुई थी। करीब 15,000 विद्यार्थी हैं। पूरे देश में आगरा कॉलेज की ख्याति है। इतना बड़े कॉलेज का प्राचार्य मायने रखता है। अब तक जो प्राचार्य बनते आए हैं, उनका रुख कम से कम अप्रत्यक्ष रूप से सरकार समर्थक रहा है। अगर कॉलेज पर सरकारी की विचारधारा का विरोधी आ गया तो समस्या खड़ी हो सकती है। इसलिए हर स्तर पर ऐसे व्यक्ति को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। असल में वामपंथी गैंग का यही प्रयास रहता है कि शिक्षण संस्थाओं पर काबिज हुआ जाए। आगरा कॉलेज को वामपंथी गैंग के कब्जे में जाने से रोकने के लिए हर स्तर पर हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

27 सितम्बर को रिटायर हो रही हैं डॉ. रेखा पतसारिया

डॉ. विनोद कुमार माहेश्वरी के रिटायर होने के बाद आगरा कॉलेज की प्राचार्य बनीं डॉ. रेखा पतसारिया। वे 27 सितम्बर, 2020 को रिटायर हो रही हैं। उन्हें वामपंथी विचारधारा को पोषक माना जाता है। इसी करण वे वे जाते-जाते अपने वामपंथी समर्थक डॉ. एसके मिश्रा को प्राचार्य बनवाना चाहती हैं। इससे पहले उन्होंने डॉ. मिश्रा को उपप्राचार्य बना दिया, जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं कर सकती हैं। यह काम आगरा कॉलेज प्रबंध समिति के माध्यम से ही किया जा सकता है। इसके अलावा डॉ. मिश्रा को प्राचार्य बनाने के लिए उन्होंने पत्रावली भी तैयार कर ली। उन्होंने इसके लिए कागजी घोड़ा दौड़ाया तो विरोधियों के कान खड़े हुए। पूरे कॉलेज में शोर मच गया कि डॉ. मिश्रा प्राचार्य बनने वाले हैं।

ये हैं दावेदार

पहले बात करते हैं कौन-कौन शिक्षक प्राचार्य बनने के काबिल हैं- कालेज की वरिष्ठता सूची में पतसरिया के बाद डॉ. एसके मिश्रा आते हैं। फिर क्रमशः डॉ. अजय कपूर, श्रीमती रचना सिंह, डॉ. वाईएन त्रिपाठी और डॉ. अरुणोदय वाजपेयी का नाम है। अजय कपूर बीमार रहते हैं, इसलिए वे प्राचार्य बनने के इच्छुक नहीं है। इनका एपीआई (एकेडेमिक परफारमेंस इंडेक्स) भी मानकानुसार नहीं है। रचना सिंह पीएचडी नहीं है। डॉ. त्रिपाठी की एपीआई कम है। अब बचते हैं डॉ. वाजपेयी। प्राचार्य पद के लिए डॉ. वाजपेयी और डॉ. एसके मिश्रा के बीच संघर्ष है।

डॉ. एसके मिश्रा की एपीआई पर विवाद

अब बात करते हैं प्राचार्य बनने के लिए आवश्यक योग्यताएं क्या हैं। इस संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आय़ोग (यूजीसी) ने 18 जुलाई, 2018 को गजट नोटिफिकेशन किया है। इसके अनुसार चार योग्यताए हैं- पीएचडी, प्रोफेसर या एसोसिएशएट प्रोफेसर (15 साल का अध्यापन अनुभव), पीईईआर रिव्यूड जनरल अथवा यूजीसी द्वारा सूचीबद्ध जनरल में 10 शोधपत्र प्रकाशित हों और एपीआई (बुद्धिलब्ध) 110 हो। डॉ. विनोद माहेश्वरी के समय कमेटी ने पाया था कि डॉ. मिश्रा की एपीआई 60 है। इसे उन्होंने स्वीकार भी किया। दो माह पहले डॉ. रेखा पतसारियां बनीं तो एपीआई 197 हो गई। इससे लगा कि डॉ. मिश्रा प्राचार्य बन जाएंगे। उन्हें रोकने के लिए विचार मंथन हुआ।

एपीआई बढ़ने का चमत्कार कैसे हुआ

सूत्रों ने बताया कि कॉलेज के कुछ लोगों ने कानूनी राय लेने के लिए पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट से संपर्क साधा। सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट ने छानबीन की तो वे यह जानकर दंग रह गए कि 20 जुलाई, 2020 को हुई बैठक में एपीआई 60 थी तो दो माह बाद ऐसा कौन सा चमत्कार हो गया जो एपीआई 197 हो गई। उन्होंने पाया कि यह सब डॉ. मिश्रा को प्राचार्य बनाने के लिए किया गया। अपनी एपीआई को डॉ. मिश्रा ने स्वयं तय किया था। इस संबंध में केवल डॉ. अजय तनेजा के हस्ताक्षर कराए गए थे। कोई कमेटी की बैठक नहीं हुई। प्राचार्य डॉ. पतसारिया ने एपीआई को स्वीकृत कराने की फाइल 25 अगस्त, 2020 को डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को भेज दी। रजिस्ट्रार ने लिख दिया कि कमेटी की रिपोर्ट चाहिए। कुलपति को ज्ञात हुआ तो उन्होंने आपत्ति कर दी क्योंकि संबंधित कमेटी के हेड होते हैं।

मंडलायुक्त को दी जानकारी

एपीआई कम होने के कारण डॉ. मिश्रा प्राचार्य बनने के योग्य नहीं हैं। यह बात आगरा कालेज प्रबंध समिति के चेयरमैन और मंडलायुक्त अनिल कुमार को बता दी गई है। अब देखना यह है कि डॉ. रेखा पतसारिया कौन से दांव डॉ. वाजपेयी के प्रयासों को धूलधूसरित करती हैं।