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हिन्दी तेरे दर्द की कौन करे परवाह, अंग्रेजी चलती सालभर हिन्दी एक सप्ताह…

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL लेख

Agra, Uttar Pradesh, India आगरा महानगर लेखिका समिति की तीसरी ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया गया। काव्य-गोष्ठी में कवयित्रियों ने ‘हिन्दी भाषा’ एवं ‘प्राकृतिक सौन्दर्य’ पर काव्य-पाठ किया।  काव्य-गोष्ठी का उद्घाटन महासचिव डॉ0 मधु भारद्वाज द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया।  सरस्वती वंदना श्रीमती मीरा परिहार ने प्रस्तुत की। 

निकट था बहुत

डॉ0 शशि तिवारी ने ‘तेरी विद्या का माँ कैसा संसार है, न कोई आर है, न कोई पार है’ कविता प्रस्तुत की। 

समिति की अध्यक्ष प्रो0 (डॉ0) रेखा कक्कड़ ने ऑनलाइन गोष्ठी में हिन्दी दिवस की महत्ता, उसके प्रचार-प्रसार एवं हम सभी भारतवासियों के हृदय में स्थान प्राप्त करने वाली हिन्दी पर चर्चा की। उन्होंने स्वरचित कविता प्रस्तुत की- 

‘निकट था बहुत, पर छू न सका खुद को’

अधकचरी हिन्दी न बोलें

रानी सरोज गौरिहार ने कहा, सभी बहिनों से अुनरोध करती हूँ कि वे अधकचरी हिन्दी न बोलें और अपने बच्चों को भी शुद्ध हिन्दी बोलना सिखाएँ। श्रीमती शान्ति नागर ने ‘प्रकृति जीवनदायिनी है, प्रकृति की पूजा करो’, डॉ0 शैलबाला अग्रवाल ने ‘बरसात की जनवासी चाल से चलती हुई धूप’, डॉ0 शशि गोयल ने ‘भारत माँ का श्रृंगार है हिन्दी, दीपित है माथे की बिन्दी’ कविता का वाचन कर समां बांध दिया।  डॉ0 राजकुमारी शर्मा ने हिन्दी भाषा पर व्याख्यान दिया। 

यौवन जाता है

डॉ0 मधु भारद्वाज ने कहा-

‘सब कुछ विरासत में मिला था हमको

ये पहाड़, ये नदियां, ये पेड़ों की छांव’

श्रीमती शशि तनेजा ने ‘निखरी-निखरी सी यह धूप, कुछ-कुछ गुनगुनाती सी यह धूप’, श्रीमती पुष्पा सिंह ने ‘अपनी भाषा अपना देश, देते गौरव का संदेश’, डॉ0 अरुणा गुप्ता ने ‘जब आता है मई-जून का महीना, मेरे आंगन के अमलताश-गुलमोहर पर यौवन आ जाता है’ कविता का काव्य-पाठ किया। 

किसने क्या कहा

डॉ0 नीलम भटनागर ने ‘हिन्दी हमारी पहचान है, हमारी आन-बान-शान है’, श्रीमती नीता दानी ने ‘हिन्दी तेरे दर्द की कौन करे परवाह, अंग्रेजी चलती सालभर हिन्दी एक सप्ताह’, श्रीमती विजया तिवारी ने ‘विदेश की तो क्या कहें, अपने ही देश में उपेक्षित है हिन्दी’, श्रीमती मंजरी टंडन ने ‘हिन्दी एक ऐसी भाषा है, जिसके माथे पर बिन्दी है’, डॉ0 राखी अस्थाना ने ‘कभी कोलाहल से भरी हुई थी, कभी रोशनी से जगमगा रही थी’, श्रीमती सुधा गर्ग ने ‘प्रकृति और इंसान, इंसान और प्रकृति सदा सहचर, एक-दूसरे के पर्याय’, श्रीमती शैल अग्रवाल ‘शैलजा’ ने ‘हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान, इन तीनों पर मुझको मान’, श्रीमती मीरा परिहार ने ‘सरिताओं की लहर ओढ़नी, सर्पिल छैल-छबीली। मीरा कर विश्राम नयन भर प्रकृति रंग-रंगीली’, श्रीमती मंजरी अग्रवाल ने ‘प्रकृति ने जब ली अंगड़ाई’, श्रीमती निशिगंधा ने ‘लहरों पर आलिंगन करते सूरज संग चंदा के रंग’, श्रीमती रानू बंसल ने ‘हमने ढूँढ़ा उसको मन्दिर-मस्जिद-गुरुद्वारे में’, श्रीमती संगीता अग्रवाल ने ‘बनके मोरनी नाचूँ, बारिश आई छमछमछम’ श्रीमती सुनीता सुवेन्दु ने ‘हिन्दी हिन्द की वैजयंती माला’, श्रीमती पूजा आहूजा ‘कालरा’ ने ‘मैं हिन्दी की बेटी बनूँ, नित-नित शीश नवाऊँ ’, श्रीमती ऋतु गोयल ने ‘आश्चर्य है हिन्दुस्तान में हिन्दी दिवस मना रहे हैं, एक दिन हिन्दी को सम्मान देकर हम खुद को लजा रहे हैं’ कविता पढ़कर ऑनलाइन संगोष्ठी में चार चांद लगा दिए। 

कार्यक्रम का संचालन डॉ0 मधु भारद्वाज ने किया।  धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती शशि तनेजा ने किया। अंत में शहर के जाने-माने लेखक एवं पत्रकार डॉ0 अमी आधार ‘निडर’ के आकस्मिक निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।