UP SIR: पंचायत चुनाव से पहले चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई, वोटर लिस्ट से हट सकते है करीब 50 लाख फर्जी नाम

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। सूत्रों के अनुसार, इस अभियान के तहत राज्यभर में करीब 50 लाख फर्जी या दोहराए गए नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं। यह कदम आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है।

कई जिलों में फर्जी मतदाता उजागर

राज्य चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पीलीभीत, वाराणसी, बिजनौर और हापुड़ जैसे जिलों में बड़ी संख्या में फर्जी मतदाता पाए गए हैं। कई स्थानों पर एक ही व्यक्ति का नाम दो से तीन जगह दर्ज मिला है, जबकि कुछ सूचियों में एक ही व्यक्ति का नाम बार-बार दोहराया गया है।

पीलीभीत जिले के पूरनपुर ब्लॉक में करीब 97 हजार वोटरों के नाम अलग-अलग वार्डों में दर्ज पाए गए हैं। इसी तरह वाराणसी के आराजीलाइन ब्लॉक में 77,947, गाजीपुर के सैदपुर ब्लॉक में 71,170, वाराणसी के पिंडरा ब्लॉक में 70,940, और जौनपुर के शाहगंज-सोंधी ब्लॉक में 62,890 फर्जी मतदाता चिन्हित किए गए हैं। कुल मिलाकर, प्रदेश के 826 विकास खंडों के 108 ब्लॉकों में 40 हजार से अधिक फर्जी वोटर रिकॉर्ड मिले हैं।

घर-घर जाकर होगी वोटर लिस्ट की जांच

फर्जी नामों को हटाने के लिए BLO (Booth Level Officer) की टीमें घर-घर जाकर सत्यापन कार्य कर रही हैं। यह प्रक्रिया बिहार की तर्ज पर चलाई जा रही है, ताकि प्रत्येक मतदाता का विवरण वास्तविक और प्रमाणिक हो। राज्य चुनाव आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे ग्राम पंचायत स्तर पर विशेष सत्यापन टीमों का गठन करें और मतदाता सूचियों की पूर्ण जांच सुनिश्चित करें।

2026 में होंगे पंचायत चुनाव

उत्तर प्रदेश में आगामी वर्ष 2026 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं। इन चुनावों में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के प्रतिनिधि चुने जाएंगे। राज्य में लगभग 58,000 पंचायतें, 8,000 क्षेत्र पंचायत वार्ड और 800 जिला पंचायत वार्ड हैं। इनमें 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।

संभावना है कि पंचायत चुनावों की अधिसूचना जनवरी 2026 में जारी होगी और फरवरी-मार्च 2026 के बीच कई चरणों में मतदान संपन्न होंगे। पिछली बार वर्ष 2021 में चार चरणों में चुनाव हुए थे, जिनमें मतदान 15 से 29 अप्रैल के बीच और मतगणना 2 मई को हुई थी।

राज्य चुनाव आयोग का कहना है कि यह पुनरीक्षण कार्य चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ाने और मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

साभार सहित

Dr. Bhanu Pratap Singh