Dr bhanu pratap singh journalist

UP election 2022 लार टपकती भारी है, वोटों की तैयारी है…

Election साहित्य

लोकतंत्र की देखो शान, वोटर को ही राजा जान। वोटर जिसे न ढूंढ पाया, वो वोटर के घर आया। वोटर के कदमों को सूंघ रहा, पीछे-पीछे घूम रहा। वोटर वोट दिखाता है, वो लपक के पीछे आता है। लार टपकती भारी है, वोटों की तैयारी है।

 

लखनऊ, दिल्ली रहता था, वोटर को कुछ समझता था। वोटर मिलने जाता था, फिर आना कहलवाता था। अब पीछे-पीछे आता है, धक्के मारो, न जाता है। पहले नाम पूछता था, संग में गाम पूछता था। अब कहे चौधरी भैया जी, नाचे ता-ता थैया जी। फिर वही तमाशा जारी है, वोटों की तैयारी है।

 

वोटर सलाम जब करता था, ना गर्दन से भी हिलता था। अब हाथ जोड़कर खड़ा हुआ, बिलकुल पैरों में पड़ा हुआ। घर पर लाइन लगवाता था, इंतजार करवाता था। अब खुद ही इंतजार करता, वोटर का मनुहार करता। सब कुछ करने की बारी है, वोटों की तैयारी है।

 

पहले आँख दिखाता था, वोटर पर गुर्राता था। अब वोटर आँख दिखाता है, वो हँसकर रह जाता है। वोटर झिड़के हँसता है, इस मौसम में सब चलता है। बस एक बार ही सहना है, फिर खूब मजे में रहना है। जब एमएलए बन जाएगा, नजर नहीं फिर आएगा। यही तो दुनियादारी है, वोटों की तैयारी है।

 

इसलिए वोटरो होशियार, इसलिए वोटरो खबरदार। झांसे में न आ जाना, नहीं बाद में पछताना। ज्यों गिरगिट रंग बदलता है, ऐसे ही नेता छलता है। ये जाति धर्म पर आएंगे, फिर जाति-गोत्र बताएंगे। इस बार कहीं फंस जाओगे, फिर सालों खबर न पाओगे। जो भोलेपन की धारी है, वोटों की तैयारी है।

Dr. Bhanu Pratap Singh