जैन मुनि मणिभद्र महाराज के सानिध्य में विश्व कल्याण को 38 दिवसीय भक्तांबर स्रोत अनुष्ठान 2 सितम्बर से, हरियाणा के विख्यात संत कालिदास महाराज भी आ रहे, 47 साल से अन्न जल नहीं लिया

जैन मुनि मणिभद्र महाराज के सानिध्य में विश्व कल्याण को 38 दिवसीय भक्तांबर स्रोत अनुष्ठान 2 सितम्बर से, हरियाणा के विख्यात संत कालिदास महाराज भी आ रहे, 47 साल से अन्न जल नहीं लिया

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Agra, Uttar Pradesh, India.महावीर भवन, जैन स्थानक, राजा की मंडी में जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज के सानिध्य में विश्व शांति के लिए 38 दिवसीय भक्तांबर स्त्रोत अनुष्ठान शुक्रवार से प्रारंभ होगा। शुभारंभ करेंगे सांपला (हरियाणा) के विख्यात संत बाबा कालिदास। महापौर नवीन जैन भी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।

श्री श्री 1008 बाबा कालीदास कृष्णानंद परमहंस, श्री शिव शक्ति बाबा कालीदास धाम, सांपला आश्रम में वर्ष 2007 से विश्व शांति अखंड महायज्ञ करा रहे हैं। ऐसी व्यवस्था की है कि यह यज्ञ चौबीसों घंटा चलता है। यज्ञ में आहुति देने के लिए हर चार घंटे में पंडितों के सेवा रहती है। बाबा का संकल्प है कि उनके जीवन काल में हमेशा यह यज्ञ होता रहे। यज्ञ का उद्देश्य विश्व में शांति कायम करना है।

बाबा के शिष्यों के अनुसार बाबा कालिदास ने पिछले 47 साल से अन्न-जल ग्रहण नहीं किया है। वे दिन में केवल दो बार नारियल का पानी पीते हैं। बाबा 21 किलो से अधिक की रुद्राक्ष की मालाएं धारण करते है। डॉ. मणिभद्र महाराज का बाबा कालिदास महाराज से प्रगाढ़ परिचय है। जब भी अवसर मिलता है वह धर्म चर्चा के लिए डॉ. मणिभद्र महाराज से मिलने पहुंचते हैं, जहां भी उनका प्रवास रहता हो।

अपने भक्तों के बीच बाबा कालीदास के नाम से प्रसिद्ध बाबा कठोर साधना करने वाले हिन्दू धर्म के रक्षक हैं। बाबा के आश्रम में पहुंच कर उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनेवाल, कैलाश विजयवर्गीय, रणदीप सुरजेवाला, पहलवान बजरंग पुनिया सहित अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री राजनैतिक,सामाजिक ,धार्मिक संत आदि आशीर्वाद ले चुके हैं।

विश्व शांति के लिए जैन मुनि डॉ.मणिभद्र महाराज के सानिध्य में होने जा रहे 38 दिवसीय भक्तांबर स्त्रोत अनुष्ठान की अनूठी महिमा है। इस स्तोत्र से युगाधिदेव श्री आदिनाथ भगवान की स्तुति की जाती है। प्रत्येक शब्द में, प्रत्येक गाथा में अनेकानेक सिद्धियुक्त मंत्र हैं। इनके शब्दों का श्रवण और पठन करने से विभिन्न प्रकार की आधि – व्याधियां दूर हो जाती हैं।

समन्वयक विवेक कुमार जैन के अनुसार भक्तांबर स्तोत्र की रचना मानतुंग आचार्य जी ने की थी। इस स्तोत्र का दूसरा नाम आदिनाथ स्रोत्र भी है, यह संस्कृत में लिखा गया है। प्रथम अक्षर भक्ताबंर होने के कारण ही इस स्तोत्र का नाम भक्तांबर स्तोत्र पड़ गया।
भक्ताबंर स्तोत्र में 48 श्लोक है। हर श्लोक में मंत्र शक्ति निहित है, इसके 48 के 48 श्लोको में “म“ “न“ “त“ “र“ यह चार अक्षर होते हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh