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आगरा में हजारों विद्यार्थियों ने मानव श्रंखला बना चार साहिबजादों की शहादत को नमन किया, देखें तस्वीरें

RELIGION/ CULTURE

जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल की गूंज कर संत बाबा प्रीतम सिंह ने किया शुभारंभ

छोटे-छोटे बच्चों ने नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से शहादत के बारे में जानकारी दी

हरीपर्वत से भगवान टॉकीज चौराहे तक बनाई ह्यूमन चेन, एनसीसी कैडेट भी आए

25 दिसम्बर को आगरा किला के सामने रामलीला मैदान में लाइट एंड साउंड शो

Agra, Uttar Pradesh, India. सिखों के दशम गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी के चार साहिबजादे। धर्म की रक्षा के लिए चार साहिबजादों ने शौर्यपूर्ण शहादत दी। 10 लाख सैनिकों के सामने चमकौर (पंजाब के रुपनगर जिले में एक नगर) के मैदान में हुए युद्ध के दौरान 22 दिसंबर, 1704 को  गुरु गोविंद साहिब के बड़े साहिबजादे अजीत सिंह और फिर जुझार सिंह शहीद हुए। 26 दिसंबर, 1704 में गुरुगोविंद सिंह के दो साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम धर्म कबूल न करने पर सरहिंद (पंजाब में फतेहगढ़ साहिब) के नवाब ने दीवार में जिंदा चिनवा दिया। साहिबजादों के शहीद होने की ख़बर सुन कर गुरु गोविंद सिंह की माता गुजरी जी ने भी प्राण त्याग दिए। चार साहिबजादों की शहादत को हजारों विद्यार्थियों ने मानव श्रंखला बनाकर नमन किया। एमजी रोड पर हरीपर्वत लेकर भगवान टॉकीज चौराहा तक मानव श्रृंखला बनाई गई।

सुखमनी सभा द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम स्पीड कलर लैब पर हुआ। गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल’ की गूंज करके कार्यक्रम का आगाज किया। सर्वप्रथम जसविंदर सिंह के निर्देशन में बच्चों ने चार साहिबजादों और माता गूजर कौर की अप्रतिम शहीदी को नाटक के रूप में प्रदर्शित किया। बच्चों ने गायन और चित्रों के माध्यम से बताया कि दो साहिबजादे चमकौर युद्ध में शहीद हुए। दो साहिबजादों को सरहिंद के नवाब ने दीवारों में चिनवा दिया क्योंकि मुस्लिम बनने से मना कर दिया था। छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत इस नाट्य प्रस्तुति को जमकर सराहा गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संत बाबा प्रीतम सिंह (मौजूदा मुखी, गुरुद्वारा गुरु का ताल, आगरा) ने चार साहिबजादों की शहादत के बारे में विस्तार से जानकारी दी। गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज ने देश-धर्म-कौम की रक्षा के लिए सर्वस्व बलिदान कर दिया। उन्हें सर्ववंशदानी और सर्वस्व दानी भी कहा जाता है। चारों साहिबजादे उम्र में बहुत छोटे थे लेकिन हम उन्हें बाबा कहकर बुलाते हैं। बाबा या दादा घर के बुजुर्गों को कहा जाता है। उन्होंने कहा कि जो कौमें अपना इतिहास याद नहीं रखती हैं, वे नष्ट हो जाती हैं। उन्होँने साहिबजादों के अंतिम संस्कार के लिए दीवान टोडरमल के समर्पण को याद किया।

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मानव श्रंंखला बनाते एनसीसी कैडेट्स

नगर मजिस्ट्रेट आनंद सिंह ने कहा कि चार साहिबजादों से सीख मिलती है कि अपने धर्म, देश, मान सम्मान को कुर्बानी देकर बचाया जा सकता है। सिख धर्म का इतिहास ही बलिदाभरा हुआ है। गुरुद्वारे में सेवा की जाती है। संपत्ति दान देकर सेवा करते हैं। लोग अपने बच्चों को चार साहिबजादों के जीवन से अवगत कराएं।

अभियान फाउंडेशन के अध्यक्ष रवि दुबे ने कहा कि इतिहास में एकमात्र गुरु गोविन्द सिंह हैं, जिनके सम्पूर्ण वंश का बलिदान हुआ। न केवल उनके चार पुत्र बल्कि भांजा, बहन, बहनोई को शहीद कर दिया गया। गुरुजी के बच्चों को दूध पिलाने वाले को कोल्हू में पिरवा दिया। वास्तव में चमकौर और सरहिन्द (पंजाब में फतेहगढ़ साहिब) तीर्थस्थल हैं। प्रत्येक हिन्दू को वहां जाना चाहिए। इतिहास में अकबर और सिकंदर को महान पढ़ाया जाता है जबकि असली महान तो हमारे गुरु गोविन्द सिंह महाराज थे।

गुरुद्वारा माईनाथ के प्रुख सेवादार सरदार कंवलदीप सिंह ने कहा कि महिला दिवस को माता गूजर कौर के नाम पर मनाया जाना चाहिए। 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस के स्थान पर साहिबजादा दिवस होना चाहिए।

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मंचासीन अतिथि।

श्रीमनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी महाराज ने सत श्री अकाल की गूंज कराई।

कार्यक्रम संयोजक शांति दूत बंटी ग्रोवर ने अपील की कि 25 दिसम्बर, 2022 को शाम 6.30 बजे से श्री रामलीला मैदान पर चार साहिबजादों के बलिदान पर केन्द्रित लाइट एंड साउंड शो अवश्य देखें। कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क हैं।

राजेन्द्र सचदेवा (सचदेवा मिलेनियम स्कूल) ने अवगत कराया कि साहिबजादों के अंतिम संस्कार के लिए दुनिया की सबसे मंहगी जमीन दीवान टोडरमल जैन ने खरीदी थी। उस स्थान पर आज गुरुद्वारा है।

सेंट एंड्रूज स्कूल के डॉ. गिरधर शर्मा ने बच्चों से अपील की कि वे चार साहिबजादों के बलिदान से प्रेरणा लें।

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कार्यक्रम स्थल पर भी मानव श्रृंखला। गतका मास्टर गुरनाम सिंह वीडियो बना रहे हैं।

कार्यक्रम का संचालन गुरमीत सिंह सेठी ने किया। वीर महिन्दर पाल सिंह ने आभार प्रकट करते हुए कहा- गुरुजी ने औरंगजेब के सिपहसालारों से कहा था कि जब तक मेरे साथ खुदा है, तब तक मैं हार नहीं मानूंगा।

सुखमनी सेवा सभा द्वारा सभी मानव श्रृंखला में शामिल बच्चों को स्वल्पाहार वितरित किया गया। मनीष नागरानी, रिंकू गुलाटी, विक्की लूथरा, मयंक, योगेश जी, राजा आहूजा, रोहित कत्याल, अमृत वेला परिवार, दीपक सरीन, सोनी त्रिपाठी आदि सेवादारों ने सहयोग किया। शहीद नगर गुरुद्वारे की तरफ से हरपाल सिंह एवम कुलवंत कौर जी के नेतृत्व में भी बच्चों ने भाग लिया। सुखमनी सेवा सभा द्वारा गणमान्य व्यक्तियों को चार साहिबजादों का चित्र भेंट किया गया।

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कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित लोग।

इस मौके पर मनीष नागरानी, रूपकिशोर सुखवानी, रिंकू गुलाटी, विक्की पुरी, अरविंद सिंह, देवेंद्र पाल सिंह संजय जट्टाना, बाबू बयानी, गुरमुख वयानी व गोरु भाई, महंत निर्मल गिरि, स्त्री सिंह सभा की अध्यक्ष रानी सिंह, डॉ. वत्सला प्रभाकर, शीला बहल, चौधरी देवेन्द्र बैराठ, आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

जिलाधिकारी का चक्कर

कार्यक्रम में जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल नहीं पहुंचे। जिलाधिकारी के आगमन की सूचना बार-बार दी जा रही था। एक बार कहा गया कि वे कलक्ट्रेट से चल चुके हैं। काफी देर बाद कहा गया कि जिलाधिकारी रास्ते में हैं। अंत में कार्यक्रम का संचालन कर रहे गुरमीत सिंह सेठी ने कहा कि वीआईपी कार्यक्रम के कारण जिलाधिकारी नहीं आ पा रहे हैं।

इन स्कूलों से आए बच्चे

प्रिल्यूड पब्ल्कू स्कूल 100 बच्चे

सेंट एंड्रयूज स्कूल 100 बच्चे

गायत्री पब्लिक स्कूल 100 बच्चे

दयाल बाग टेक्निकल कॉलेज 50 बच्चे

सिंबोजिया स्कूल 100 बच्चे

डॉक्टर एम पी एस स्कूल से 500 बच्चे

सचदेवा मिलेनियम स्कूल 150 बच्चे

डी वी संतोख इंटर कॉलेज 100 बच्चे

श्री गुरु तेग बहादुर हाई स्कूल माईथान 100 बच्चे

श्री राम कृष्ण कन्या विद्यालय 100 बच्चे

राजकीय इंटर कालेज 100 बच्चे

संत राम कृष्ण कन्या महा विद्यालय  100 बच्चे

रत्न मुनि जैन इंटर कालेज  100 बच्चे बच्ची स्कॉट के

आगरा पब्लिक स्कूल 100 बच्चे

मिल्टन पब्लिक स्कूल अवधपुरी 100 बच्चे

एम डी जैन इंटर कालेज  200 बच्चो

कृष्णा कॉलोनी गुरुद्वारे से 70 बच्चे

शहीद नगर गुरुद्वारे से 70 बच्चे

Dr. Bhanu Pratap Singh