दिल्ली-नोएडा में बम की धमकी वाले ईमेल में VPN का इस्तेमाल

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दिल्ली और नोएडा के 80 से ज्यादा स्कूलों में बुधवार को तब अफरातफरी मच गई जब एक ईमेल के जरिए वहां बम रखे होने की धमकी दी गई. बताया जा रहा है कि ये अफवाह वाला ईमेल VPN के जरिए भेजा गया था. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या VPN का इस्तेमाल भारत में कोई भी कर सकता है. चलिए आपको बताते है कि ये तकनीक क्या है और कैसे काम करती हैं. इसके अलावा आपको ये भी बताते हैं कि इन्हें ट्रेस करना कितना मुश्किल होता है.

क्या होता है VPN?

VPN यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क, ये वो चाभी है जो जिससे इंटरनेट की दुनिया कई बंद दरवाजों को खोला जा सकता है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल ऑनलाइन सिक्योरिटी और प्राइवेसी को सेफ करने के लिए भी किया जाता हैं. हालांकि, कुछ लोग इस तकनीक का इस्तेमाल अपने इंटरनेट के सर्वर को बाउंस कराने के लिए भी करते हैं. यानी वो बैठे रहेंगे दिल्ली में लेकिन इंटरनेट के जरिए वो जो कुछ भी सर्च करेंगे, ईमेल भेजेंगे या कॉल करेंगे उसकी लोकेशन दूसरे देश में दिखाई देगी. यही वजह है कि वीपीएन के द्वारा किए गए अपराधों की ट्रैक करने में सुरक्षा एजेंसियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

इसे कैसे ट्रेस किया जा सकता है

वीपीएन दो तरह के होते हैं, पहला सामान्य वीपीएन जिसका इस्तेमाल आम लोग या छोटे-मोटे अपराधी करते हैं, ये वीपीएन सर्विस आपको प्ले स्टोर पर कई तरह के ऐप पर मिल जाएगी, ये फ्री होती है या इसके लिए बेहद कम राशि ली जाती है. हालांकि, दूसरा वीपीएन प्रिमियम होता है. इसका इस्तेमाल बड़ी- बड़ी एजेंसियां, कंपनियां और बड़े-बड़े शातिर हैकर करते हैं. इसके लिए वीपीएन कंपनियां भारी रकम वसूलती है. यही वजह है कि इसे ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है. दरअसल, प्रिमियम वीपीन डेटा की एन्क्रिप्ट करता है और आपके लोकेशन और आपकी हिस्ट्री को छुपा देता है.

इसकी मदद से अपराधी किस तरह काम करते हैं

भारत समेत दुनियाभर में साइबर अपराधी अपराध करने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं, दरअसल, ये ऐसी तकनीक है, जिसकी मदद से अपराधी सर्वर का लोकेशन चेंज कर लेते हैं, धानी अगर आप दिल्ली में बैठे हैं और सामने वाले को अमेरिका के सर्वर और लोकेशन से कोई ईमेल भेजना चाहते हैं या ऑनलाइन कॉल करना चाहते हैं तो आप बड़ी आसानी से कर सकते हैं. इसके साथ ही वीपीएन का इस्तेमाल कर के आप भारत में बैन वेबसाइट्स को भी खोल सकते हैं. कई बार अपराधी एक दूसरे से संपर्क साधने के लिए, ऑनलाइन फ्रॉड करने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं.

डार्क वेब की दुनिया

डार्क वेब वीपीएन से थोड़ा अलग है. यह एक दुकान जैसी होती है. यानी यहां आपकी हर वी चीज मिल जाती है जो किसी भी संवैधानिक व्यवस्थाओं वाले देश में बैन है, जैसे आप डार्क वेब से दूसरों का डेटा खरीद सकते हैं. अवैध हथियार, ड्रग्स भी खरीद सकते हैं. ह्यूमन ट्रैफिकिंग से लेकर सुपारी किलिंग तक… डार्क वेब पर आपको हर तरह की चीज मिल जाएगी, हालांकि, इसका इस्तेमाल भारत समेत कई देशों में बैन है. अगर आप इसका इस्तेमाल अपने पर्सनल सिस्टम या फोन से करते हैं तो ये तय है कि आपका सारा डेटा हैकर्स तक पहुंच जाए. इसलिए इस चीज से जितनी दूरी बना कर आप रहेंगे आपके लिए उतना सही होगा.

-एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh