Agra, Uttar Pradesh, India. बालाजीपुरम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन व्यासपीठ पर विराजमान संत रामप्रपन्नाचार्य ने गोवर्धन पूजा, श्रीउद्धव ब्रजगमन, कंस वध, श्री कृष्ण- रुक्मणी विवाह आदि कथाओं का भावपूर्ण प्रसंगों से वर्णन किया।
वेद मंत्र सुनने से असाध्य रोग दूर होते हैं
संत स्वामी रामप्रपन्नाचार्य जी ने कहा वेद मंत्र सुनने से असाध्य रोग दूर होते हैं, ऐसा जापान, जर्मनी, कनाडा व अमेरिका के वैज्ञानिक भी मानते हैं। एक लाख वेद मंत्र हैं, जिनमें 85 हजार कर्मकांड से संबंधित हैं। वेद मंत्रों के उच्चारण एवं श्रवण से आंखों की रोशनी बढ़ती है। मंदिर में घंटा बजने से या शंख बजने की आवाज सुनने वाले की श्रवण शक्ति बढ़ती है।
नारी का अपमान तो समाज नष्ट
धर्म का पिता सदाचरण है, जो व्यक्ति सदाचरण त्यागकर, अपनी परंपराओं का निरादर करता है, वह रोगों से घिर जाता है। हमारी संस्कृति में नारी वासना नहीं, नारी उपासना है। हमारी संस्कृति में कन्याओं का पूजन होता है। नारियों का सम्मान होता है। जहां नारी का अपमान होता है, नारी का तिरस्कार होता है, वह समाज व परिवार नष्ट हो जाता है।
दान करने से धन की शुद्धि
हमारी संस्कृति में बेटा के जन्म होने पर नवनीत मक्खन मार कर (एक दूसरे में मक्खन का लोंदा मारकर) उत्सव मनाने की परंपरा है। लेकिन एक विधर्मी संस्कृति है जिसमें मक्खन की जगह पत्थर मारते हैं। गाय के दूध में अमृत का वास है हमारी संस्कृति में बेटे के जन्म, बेटे के विवाह,असाध्य रोग आदि पर गाय दान करने की परंपरा रही है। दान करने से धन की शुद्धि होती है।
गोवर्धन का अर्थ गौ संवर्धन
उन्होंने कहा- गोवर्धन का अर्थ गौ संवर्धन है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत यह सन्देश देने को उठाया था कि पृथ्वी पर फैली बुराइयों का अंत केवल प्रकृति व गौ संवर्धन से ही सम्भव है। आज भी वैश्विक महामारी कोरोना जैसी आपदाओं से बचने के लिए प्रकृति व गाय की रक्षा व संवर्धन की महती आबश्यकता है। श्रीकृष्ण ने स्वयं गौमाता की पूजा की है और गौ सेवा कर गौ संरक्षण पर जोर दिया है।
ग्रन्थ पढोगे तभी ह्रदय की ग्रन्थि खुलेगी
संत राम प्रपन्नाचार्य ने कहा- बन्धुत्व प्रेम देखना है तो राम और भरत का देखो, भ्रातृत्व प्रेम देखना है तो बलराम और कृष्ण का देखो,कन्या प्रेम देखना है तो देवकी का देखो। हमारी संस्कृति में चार माता हैं,जन्म देने वाली माता, धरती माता, गौ माता और गंगा माता। यदि सच्चा गुरु न मिले तो गीता को, भागवत को ही गुरु मान लें। गुरु से दुराव मत करो, कपट मत करो, अपने मन की गुरु को जरूर बताओ क्योंकि बिन गुरु के हरि कृपा नही होती। ग्रन्थ पढोगे तभी ह्रदय की ग्रन्थि खुलती है।
इन्होंने की आरती
कथा में भानुदेवाचार्य ने मनमोहक भजनों से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। आज कथा में केके भारद्वाज, प्रमोद वशिष्ठ, अर्जुन भक्तमाली, महेंद्र सिंह, पंडित रघुवीर दास दीक्षित, मुन्नालाल कुलश्रेष्ठ, सोमेश्वर दयाल दीक्षित, महावीर सिंह चाहर, किशन स्वरूप लवानियां, कुलदीप तिवारी आदि ने आरती उतारी।
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