पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि अगस्त 2019 में कश्मीर की स्वायत्तता ख़त्म करने के भारत के एकतरफ़ा फ़ैसले के कारण ही दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़े हैं.
उन्होंने कहा कि किसी भी बातचीत के लिए भारत को कश्मीर का दर्जा बहाल करना होगा. फ़्रांसीसी अख़बार ली फिगारो के साथ इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने कश्मीर, पुलवामा, शिनजियांग और मोदी सरकार के बारे में अपनी राय रखी.
कश्मीर के मुद्दे पर इमरान ख़ान ने कहा कि कश्मीर में भारत ने जो भी किया, वो संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के ख़िलाफ़ है. इमरान ने कहा, इतना ही आरएसएस की अगुआई वाली बीजेपी की सरकार ने जिस तरह पाकिस्तान और ख़ासकर कश्मीर को लेकर अपनी नीति दिखाई है, उसे लेकर इस इलाक़े में काफ़ी चिंता है. पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि हम एक ऐसी सरकार से डील कर रहे हैं जो तर्कसंगत सरकार नहीं है. जिसकी विचारधारा घृणा पर आधारित है ख़ासकर मुसलमानों को लेकर, अल्पसंख्यकों को लेकर और पाकिस्तान को लेकर. भारत में ऐसी सरकार नहीं है जिससे हम बात कर सकें.
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद की मुख्य वजह कश्मीर है. इमरान ने कहा कि इसलिए जब मैं सरकार में आया तो मैंने नरेंद्र मोदी की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया. मेरा मानना था कि हमारे बीच पड़ोसी का रिश्ता होना चाहिए लेकिन एकमात्र मुश्किल कश्मीर है. और इसके हल के लिए बातचीत होनी चाहिए. मुझे भारतीय पीएम से जो प्रतिक्रिया मिली, उससे मुझे काफ़ी आश्चर्य हुआ. पाकिस्तानी पीएम ने कहा, “उसके बाद पुलवामा हुआ, जब एक युवा कश्मीरी ने अपने को उड़ा लिया लेकिन उन्होंने इसके लिए हमें दोषी ठहराया. इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान पर बम गिराए. इसके बाद हमने उनके एक जहाज़ को गिराया और उनके पायलट को वापस भेजा. ये दिखाने के लिए हम और तनाव नहीं बढ़ाना चाहते. “उन्होंने कहा कि सिर्फ़ मोदी सरकार के रुख़ के कारण आज हमारे बीच कोई रिश्ते नहीं.
इमरान ने कहा कि हमारे बीच रिश्ते शुरू हो सकते हैं लेकिन उन्हें कश्मीर की अगस्त 2019 से पहले की स्थिति को बहाल करना होगा. क्योंकि ये अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है. इसके बिना कोई भी बातचीत कश्मीर के लोगों के साथ धोखा होगा, जिन्होंने इतना कुछ सहा है.
कश्मीर के मुद्दे पर बोलने और चीन में शिनजियांग के मुद्दे पर ख़ामोश रहने के सवाल पर इमरान ख़ान ने कहा- शिनजियांग प्रांत चीन का हिस्सा है. इस पर कोई विवाद नहीं है. चीन के हिस्से के रूप में इसे मान्यता है. जहाँ तक कश्मीर की बात है, 1948 में इसे विवादित हिस्सा माना गया था. दूसरी बात ये कि भारत ने ये स्वीकार किया था कि कश्मीर में जनमत संग्रह होगा और वहाँ के लोग ये फ़ैसला करेंगे कि वे किसके साथ जाएँगे, भारत के साथ या पाकिस्तान के साथ. इसलिए पाकिस्तान इस मुद्दे पर बोलता है. कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान के पास है.
-एजेंसियां
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