यूपी रोडवेज का जुगाड़ी ड्राइवर, खराब था बस का वाइपर तो सुतली-बॉटल की मदद से चलाया – Up18 News

यूपी रोडवेज का जुगाड़ी ड्राइवर, खराब था बस का वाइपर तो सुतली-बॉटल की मदद से चलाया

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लखनऊ: रोडवेज बसों के ड्राइवर गजब के क्रिएटिव हैं। इनके आगे इंजीनियर भी फेल हैं। विश्वास न हो तो यह खबर पढ़ लीजिए। दरअसल सोहराबगेट डिपो की बस (यूपी 15 बीटी-2162) मेरठ से मुरादाबाद जाने के लिए तैयार थी। यात्री बैठ चुके थे और ड्राइवर भी सीट पर आ गया था। इसी बीच बारिश होने लगी तो ड्राइवर ने बस स्टार्ट कर वाइपर चलाया। कई कोशिशों के बाद भी यह चालू न हुआ तो उसे तरकीब सूझी। उसने वाइपर का एक सिरा सुतली से बांधा और दूसरे पर वजन के लिए पानी से भरी बोतल टांग दी। ड्राइवर ने एक हाथ से स्टीयरिंग और दूसरे से वाइपर वाली सुतली संभाली।

ड्राइवर की इस क्रिएटिविटी का वीडियो वायरल हो गया। लोग भले ही ड्राइवर की तारीफ कर रहे हों, लेकिन लखनऊ में परिवहन निगम मुख्यालय के अधिकारियों की बड़ी फजीहत भी हुई। आनन-फानन सेवा प्रबंधक को वाइपर बदलवाने का निर्देश दिया गया। इसके बाद नया वाइपर लगाकर बस रवाना की गई। परिवहन निगम मुख्यालय ने मामले की जांच का निर्देश दिया है। जानकारी अनुसार जब कहने के बाद भी खराब वाइपर ठीक नहीं करवाया गया तो ड्राइवर ने मजबूरी में यह जुगाड़ निकाला। हालांकि, इससे पहले भी रोडवेज की बसें ऐसी ही तरकीबों पर दौड़ती नजर आ चुकी हैं।

उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन ‘कायाकल्प’ के तहत परिवहन निगम के एमडी संजय कुमार ने प्रदेश के सभी डिपो को दो-दो करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इसके अतिरिक्त अन्य आवश्यकताओं की सूची बनाकर देने पर उसे भी पूरा करने की बात कही गई थी। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब मरम्मत पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं तो बसों के मामूली उपकरण भी क्यों नहीं दुरुस्त हैं। आला अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हैं।

खेदजनक बात तो यह है कि रोडवेज बसों के वाइपर आए दिन खराब होते रहते हैं। ऐसे में ड्राइवर भी नए-नए जुगाड़ लगाते हैं। वर्ष 2016 में कानपुर से लखनऊ आ रही बस का बारिश के बीच वाइपर खराब हो गया। इस पर ड्राइवर ने बस रोकी और पूरे शीशे पर नींबू रगड़ दिया। यात्रियों ने जब यह देखा तो सोच में पड़ गए। बस दोबारा चली तो बारिश की बूंदे नींबू लगे होने से शीशे पर चिपक नहीं रही थीं। ऐसे में ड्राइवर का यह जुगाड़ काम कर गया।

बता दें कि लखनऊ से इलेक्ट्रिक बसों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाई थी। हालांकि, चार्जिंग प्वॉइंट न होने से चंद दिनों में इनका संचालन ठप हो गया। ऐसे में सीएनजी बसों को इलेक्ट्रिक के रंग में रंगवाकर चलवा दिया। मामला खुला तो अधिकारियों की खासी फजीहत हुई। वहीं मेरठ रीजन के सेवा प्रबंधक सत्यनारायण का कहना है कि डिपो पर ही बस के वाइपर को जुगाड़ से चलाया गया। इसके बाद तत्काल नया वाइपर बस में लगवा दिया गया।

Dr. Bhanu Pratap Singh