रक्तसंजीवनी: जीवनदान का पवित्र संकल्प, बलिदानियों को श्रद्धांजलि, आगरा में निर्वाचन कर्मचारी वेलफेयर समिति उत्तर प्रदेश की सार्थक पहल

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. आगरा की पावन धरती, जहां इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में स्वाधीनता संग्राम की अमर गाथाएं बसी हैं, वहां एक अनुपम आयोजन ने मानवता की सेवा का दीप प्रज्वलित किया। निर्वाचन कर्मचारी वेलफेयर समिति, उत्तर प्रदेश ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती के पवित्र अवसर पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में रक्तसंजीवनी कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

यह आयोजन न केवल बलिदानियों की स्मृति को जीवंत करता है, बल्कि बाबा साहब के सामाजिक समरसता और मानवता के आदर्शों को मूर्त रूप देता है। सैकड़ों लोगों ने इस रक्तदान महायज्ञ में उत्साहपूर्वक भाग लिया, जो समाज में एकता और जागरूकता का प्रतीक बन गया।रक्तसंजीवनी: जीवन रक्षा का महान अभियानमाँ सरस्वती और बाबा साहब को नमन
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती और बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। विशिष्ट अतिथि डायट प्रवक्ता डॉ. मनोज कुमार वार्ष्णेय, प्रदेश अध्यक्ष अजय सिकरवार, समर्पण ब्लड बैंक के डॉ. वी.के. सिंह, और डॉ. अशोक चौधरी ने इस पुण्य कार्य को गति प्रदान की।डॉ. मनोज कुमार वार्ष्णेय ने अपने प्रेरक उद्बोधन में रक्तदान की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने रक्तदान के वैज्ञानिक और सामाजिक लाभों को रेखांकित करते हुए उपस्थित जनसमूह को जीवन रक्षा के इस यज्ञ में सहभागी बनने का आह्वान किया।

रक्तदान: सर्वोच्च दान
प्रदेश अध्यक्ष अजय सिकरवार ने अपने संबोधन में कहा, “रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं, क्योंकि एक यूनिट रक्त चार लोगों के जीवन को बचा सकता है।” उनके शब्दों ने उपस्थित लोगों में नई ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने जलियांवाला बाग के बलिदानियों की स्मृति को रक्तदान के इस पुण्य कार्य से जोड़ते हुए इसे सच्ची श्रद्धांजलि बताया।

रक्तदान करती शिक्षक।

रक्तसंजीवनी: सामाजिक जागरूकता का संदेशसंकल्प और सहभागिता
निर्वाचन कर्मचारी वेलफेयर समिति ने रक्तसंजीवनी कार्यक्रम को एक अभियान का रूप देकर समाज में रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया। महामंत्री मानवेंद्र तोमर ने समाज के हर वर्ग से रक्तदान में योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा, “रक्तदान केवल एक कार्य नहीं, बल्कि जीवन को संजीवनी देने का माध्यम है।”

संगठन मंत्री संजय सिंह तोमर ने बताया कि सैकड़ों लोगों ने इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जो रक्तदान के महत्व को दर्शाता है। समिति ने संकल्प लिया कि आवश्यकता पड़ने पर रक्तसंजीवनी कार्यक्रम के माध्यम से रक्त की पूर्ति की जाएगी।

भ्रांतियों का निवारण
समर्पण ब्लड बैंक के डॉ. वी.के. सिंह और डॉ. अशोक चौधरी ने रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करते हुए इसके वैज्ञानिक आधारों को समझाया। उनके प्रयासों से डायट सभागार में उपस्थित कर्मचारियों और शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक रक्तदान किया। समर्पण ब्लड बैंक की टीम, जिसमें दिव्या कुमारी, कप्तान सिंह, और धीरेंद्र मिश्रा शामिल थे, ने तकनीकी और चिकित्सकीय सहयोग प्रदान किया।

रक्तदान करने पर प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।

रक्तवीरों का सम्मान
राज्य अध्यापक पुरस्कार प्राप्त शिक्षक सत्यपाल सिंह ने रक्तदान कर ‘रक्तवीर’ का खिताब अर्जित किया और समिति के इस प्रयास की सराहना की। उनके इस कार्य ने अन्य लोगों को भी प्रेरित किया। सैकड़ों बी.एल.ओ., सुपरवाइजर, पदाभिहित कर्मचारी, और शिक्षकों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया, जिससे कार्यक्रम की भव्यता और बढ़ गई।

नेतृत्व और संचालनसमिति का समर्पण
कार्यक्रम में समिति के प्रदेश और जिला स्तर के पदाधिकारियों की सक्रिय भागीदारी रही। इसमें शामिल थे:

प्रदेश समिति: अजय सिकरवार (प्रदेश अध्यक्ष), मानवेंद्र तोमर (महामंत्री), रवि सक्सेना (वरिष्ठ उपाध्यक्ष), रघुकुल रमन, अजय राजपूत, संजय सिंह तोमर, नीरज वरुण, यशवेंद्र सिंह, अजय बौद्ध (कोषाध्यक्ष)।

जिला कार्यकारिणी: प्रभु दयाल सिंह (जिला अध्यक्ष), सोमवीर सिंह (जिला संयुक्त मंत्री), लोकेंद्र कुमार शर्मा (जिला महामंत्री), स्वतंत्र मोहन, आनंद वर्मा, अमित कुमार (जिला मीडिया प्रभारी), अब्दुल गफ्फार जमाई (आईटी सेल प्रभारी), कुलदीप सिंह (उपाध्यक्ष), विश्वनाथ प्रताप सिंह (जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष), अवधेश सिंह सिकरवार (वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष), मयंक वशिष्ठ (वरिष्ठ उपाध्यक्ष), चंद्रपाल सिंह राणा (वरिष्ठ उपाध्यक्ष), दीपक वर्मा (जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष), अरुण सिकरवार (ब्लॉक अध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षक संघ), रजनी गुप्ता (आईटी सेल प्रभारी), रश्मि सिंघल, स्मिता सिंह, दीपा खंडेलवाल, सविता विशन, प्रार्थना मिश्रा।

संचालन का दायित्व संजय सिंह तोमर, नीरज वरुण, और अमित कुमार श्रीवास्तव ने बखूबी निभाया। सैकड़ों की संख्या में निर्वाचन कार्य में संलग्न कर्मचारी और शिक्षक उपस्थित रहे।

जलियांवाला बाग: स्वाधीनता की अमर गाथाएक ऐतिहासिक त्रासदी
13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में स्वतंत्रता के दीवानों ने रॉलेट एक्ट और स्थानीय नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में शांतिपूर्ण सभा का आयोजन किया था। यह बाग चारों ओर से ऊँची दीवारों से घिरा था, जिसमें केवल एक संकरा निकास द्वार था। ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर ने बिना किसी चेतावनी के निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस नृशंस हत्याकांड में 379 लोग शहीद हुए, जबकि अनौपचारिक अनुमान हज़ारों की संख्या बताते हैं। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी इस क्रूरता का शिकार बने। जलियांवाला बाग की यह त्रासदी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक काला अध्याय बन गई, जिसने देशवासियों में अंग्रेजी शासन के खिलाफ आक्रोश को और प्रबल किया। इस घटना ने स्वाधीनता की ज्वाला को और भड़काया, जिसके परिणामस्वरूप लाखों भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

संपादकीय टिप्पणी

निर्वाचन कर्मचारी वेलफेयर समिति, उत्तर प्रदेश ने रक्तसंजीवनी कार्यक्रम के माध्यम से एक ऐसी मिसाल कायम की है, जो न केवल जलियांवाला बाग के अमर बलिदानियों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करती है, बल्कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के सामाजिक समरसता और मानवता के आदर्शों को भी जीवंत करती है। रक्तदान जैसे पुण्य कार्य को एक अभियान का रूप देकर समिति ने समाज में जागरूकता, एकता, और सेवा का नया अध्याय लिखा है। समिति की संवेदनशीलता, सामाजिक उत्तरदायित्व, और संगठनात्मक क्षमता इस आयोजन की सफलता में स्पष्ट झलकती है। यह प्रयास न केवल जीवन रक्षा का संदेश देता है, बल्कि स्वाधीनता संग्राम के बलिदानियों और बाबा साहब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम भी बनता है। हम निर्वाचन कर्मचारी वेलफेयर समिति के इस नेक कार्य की हृदय से सराहना करते हैं और आशा करते हैं कि भविष्य में भी ऐसे प्रेरणादायक आयोजन समाज को दिशा प्रदान करते रहेंगे।नोट: सभी महत्वपूर्ण अंश बोल्ड में हैं, जो कॉपी-पेस्ट में भी बोल्ड ही रहेंगे। सभी उपस्थित व्यक्तियों के नाम पूर्ण रूप से शामिल किए गए हैं। जलियांवाला बाग की कहानी और संपादकीय टिप्पणी अंत में रखी गई हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh