gurudwara guru ka taal

ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु का ताल आगरा का 36 वाँ सालाना गुरमत समागम एक अक्टूबर से, देश भर के रागी जत्थे, धर्म प्रचारक, कविजन होंगे शामिल

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गुरुद्वारा गुरु का ताल के मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने किया समागम की पत्रिका का विमोचन

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु का ताल में 1 अक्टूबर से 3 अक्टूबर, 2023 तक विशाल गुरमत समागम शुरू होने जा रहा है। गुरुद्वारा गुरु का ताल की सबसे पहले सेवा संभालने वाले और पाठ, शबद कीर्तन के माध्यम से इस स्थान को ऊंचाइयां देने वाले संत बाबा साधू सिंह मोनी जी और संत बाबा निरंजन सिंह जी की याद में यह समागम पिछले 35 वर्षों से निरंतर भव्यता के साथ आयोजित किया जा रहा है।

 

संत बाबा साधू सिंह जी मोनी जी और संत बाबा निरंजन सिंह

शनिवार को गुरुद्वारा गुरु का ताल के मीटिंग हॉल में इस गुरमत समागम की पत्रिका का विमोचन गुरुद्वारा गुरु का ताल के मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने किया। पत्रिका में संपूर्ण समागम की जानकारी के साथ-साथ गुरुद्वारा गुरु का ताल व संत बाबा साधू सिंह जी मोनी जी और संत बाबा निरंजन सिंह जी का संक्षिप्त इतिहास व इस गुरुद्वारे को भव्यता देने में किए गए योगदान का उल्लेख किया गया है।

 

गुरु जस सुना कर निहाल करेंगे

गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि इस गुरमत समागम में देशभर से अनेक रागी जत्थे, धर्म प्रचारक, कथावाचक विभिन्न गुरुद्वारों व सिख संस्थाओं के मुखी, प्रधान, जत्थेदार के साथ-साथ अनेक डाढ़ी जत्थे और कविजन आ रहे हैं। ये अपनी वाणी से संगत को गुरु जस सुना कर निहाल करेंगे।

 

पंजाब से भी आ रही संगत

बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि 1 अक्टूबर रात्रि से यह समागम शुरू होगा और 2 अक्टूबर को सुबह से रात्रि तक चलेगा। 3 अक्टूबर को दोपहर इस समागम का समापन होगा। समागम में आने वाली संगत के लिए रुकने की विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।  समागम में केवल आगरा ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के साथ-साथ पीलीभीत, शाहजहांपुर, सितारगंज व पंजाब की भी विभिन्न हिस्सों से विशेष संगत प्रतिवर्ष यहां पहुंचती हैं।

 

गुरमत समागम की रूपरेखा

गुरमत समागम 1 अक्टूबर की शाम 7:00 बजे से शुरू होगा। शाम से लेकर देर रात्रि तक यहां कवि दरबार का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें सिख इतिहास व साहित्य से जुड़े वरिष्ठ कविजन अपनी रचनाओं से संगत को सिख इतिहास व गुरु साहिबान व उनके परिवीजनों की संघर्ष गाथाओं को कविता के माध्यम से सुनाएंगे। मुख्य दीवान 2 अक्टूबर को सुबह 9:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक चलेगा। तीसरा दीवान 2 अक्टूबर को शाम 6:00 बजे से रात्रि 12:00 तक चलेगा। अंतिम दीवान 3 अक्टूबर को सुबह 9:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक चलेगा। इसके साथ ही समागम का समापन हो जाएगा ।

 

यह संभालेंगे व्यवस्थाएं

गुरुद्वारा गुरु का ताल के मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि इस भव्य आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए आगरा की संगत के साथ-साथ ढाई सौ से अधिक सेवादारों की टीम अपना योगदान देती है। यह सभी सेवादार मुख्य रूप से शाहजहांपुर पीलीभीत व उत्तराखंड के सितारगंज से प्रतिवर्ष आते हैं। माथा टेकने के दौरान भीड़ की व्यवस्था को संभालने के साथ-साथ पार्किंग की व्यवस्थाएं, सुरक्षा व्यवस्थाएं व लंगर की व्यवस्था मुख्य रूप से यह सभी सेवादार संभालते हैं। साथ ही आने-जाने व रुकने वाली संगत की व्यवस्थाएं के साथ-साथ 24 घंटे चलने वाले चाय के लंगर की व्यवस्था भी यह सेवादार पूरी श्रद्धा के साथ प्रतिवर्ष करते हैं।

 

अरदास के साथ शुरू हुई भट्ठी

तीन दिन तक चलने वाले इस समागम में लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। वह हर समय हजारों श्रद्धालुओं की यहां मौजूदगी रहती है जिनके लिए लंगर आदि का प्रबंध गुरुद्वारा की ओर से पूरे आदर सत्कार व श्रद्धा के साथ किया जाता है। संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि इस भव्य आयोजन में आने वाली संगत के लिए चाय नाश्ते व मिष्ठान्न की सेवा के लिए हलवाई लगा दिए गए हैं। अरदास के बाद सभी भट्ठियां शुरू कर दी गई हैं। प्रतिदिन दिन में तीन से चार बार लंगर तैयार किया जाता है।

 

यहां होगी पार्किंग व्यवस्थाएं

समागम में हिस्सा लेने के लिए आ रहे श्रद्धालुओं के साथ-साथ उनके वाहनों के रुकने के लिए भी विशेष व्यवस्थाएं की गई है। बस व ट्रक के साथ-साथ कार व दुपहिया वाहनों के लिए अलग-अलग स्थान पर पार्किंग की व्यवस्था की गई है।

 

यह रहे मौजूद

पत्रिका विमोचन के दौरान संत बाबा प्रीतम सिंह के साथ श्री गुरु सिंह सभा माईथान के प्रधान कंवलदीप सिंह, सुखमनी सेवा सभा के वीर महेंद्र पाल सिंह, चढ़दीकलां सिख सेवक  सोसाइटी के दलजीत सिंह सेतिया, उपेंद्र सिंह लवली, राजू सलूजा, नरेंद्र सिंह खनूजा, पाली सेठी, शेर सिंह, रामगढ़िया एसोसिएशन के प्रधान बलजिंदर सिंह व गुरुद्वारे के मुख्य सेवादार मौजूद रहे।

 

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