rakshita singh

जीवित हो गयीं हूँ मैं, तुम्हारे स्पर्श से…

मैं संग चल दी उनके, मेरा मन यहीं रह गया… उन्होंने दिखाये होंगे हजारों ख्वाब, पर इन आँखों में रौशनी कहाँ थी !! कितने ही गीत सुनाये होंगे उन्होंने, पर इन कानों के पट तो बंद हो चुके थे !! उनके सवालों का, जवाब भी ना दे पायी थी मैं…. क्योंकि इन होठों पे, तुम्हारा […]

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tv jaggi poem

तेरी बेवफाई का नशा भी क्या कम है…

ख्वाबों की दुनियां में ख्वाहिशों के नजराने हैं कराहटों के बोझ, आह के अफसाने हैं, रहमतों की वारगाह में जन्नतों के ठिकाने हैं।  तसव्वुर तेरी पलकों के तीर ए नजर उम्र भर को पाए हैं, इस आंगन के दरख्त पर आस्मां से ज्यादा कुहासे छाए हैं। पंखुड़ियों से लिपटी शबनम ने नागों के आगोश पाए […]

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rakshita singh

रक्षिता सिंह की इस कविता का आनंद अंत में आएगा, दिमाग चकरा जाएगा

इक आवारा तितली सी मैं उड़ती फिरती थी सड़कों पे… दौड़ा करती थी राहों पे इक चंचल हिरनी के जैसे … इक कदम यहाँ इक कदम वहाँ बेपरवाह घूमा करती थी… कर उछल कूद ऊँचे वृक्षों के पत्ते चूमा करती थी… चलते चलते यूँ ही लब पर जो गीत मधुर आ जाता था… बदरंग हवाओं […]

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tv jaggi poem

बापू की छोटी सी आमदनी में बड़े काम कर गयीं अम्मा…

बड़ी फिक्र में आसमानी हो गयीं अम्मा। अश्कों की चादर ओढ़कर सुकून से सो गई अम्मा। टूटती सांसों में आंखों के आइने से, मुझी को निहारती गयीं अम्मा। घर की सलामती में सुबह और शाम इबादत में दामन फैलाती रहीं अम्मा। बापू की छोटी सी आमदनी में बड़े काम कर गयीं अम्मा।         बड़े से घर […]

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rakshita singh ghazal

इश्क का समंदर है रक्षिता सिंह की ये गजल, आप भी गुनगुनाइए

जरा ज़ुल्फें हटाओ चाँद का दीदार मैं कर लूँ ! वस्ल की रात है तुमसे जरा सा प्यार मैं कर लूँ !! बड़ी शोखी लिए बैठा हूँ यूँ तो अपने दामन में ! इजाजत हो अगर तो इनको हदके पार मैं करलूँ!! मुआलिज है तू दर्दे दिल का ये अग़यार कहते हैं! हरीमे यार में […]

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टीवी जग्गी की ये कविता जरूर पढ़िए

मजबूरियों के मुसाफिर जिंदगी के सफर में, फांके के दिनों में लम्बी सी डगर पैदल ही नपेगी, वीरान पड़ रही बस्ती काम हो गये बंद. उखड़ गया है ठेल ढकेल का संग, गुमराह शहर की रौनक भूल गई है रंग. याद आ रहा फिर से वो मेरा अपनों वाला गांव, आपाधापी खूब मची है, चलने […]

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