प्रोपर्टी की कीमतें बढ़ने के बावजूद लोग बड़े अपार्टमेंट की तलाश कर रहे हैं। फिक्की-एनारॉक कंज्यूमर सेंटीमेंट सर्वे (H2 2023) से पता चला है कि बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों में 50 फीसदी होम बॉयर्स 3-बीएचके पसंद करते हैं। एनारॉक रिसर्च कंपनी ने जुलाई-दिसंबर 2023 तक ऑनलाइन सर्वे किया, जिसमें 5,510 प्रतिभागियों ने ईमेल कैंपेन, वेब लिंक और संदेशों सहित विभिन्न डिजिटल स्रोतों के जरिये अपनी प्रतिक्रिया दी है। ये सर्वे 14 शहरों में किया गया। सर्वेक्षण के दौरान प्रतिभागियों की आयु 22-76 वर्ष के बीच थी। इस सर्वे के निष्कर्ष 5 मार्च को दिल्ली में फिक्की रियल एस्टेट शिखर सम्मेलन में सामने आए।
सर्वे में पाया गया है कि 50 फीसदी लोग 3 BHK चाहते थे, जबकि 38 फीसदी लोग 2 BHK के पक्ष में थे। हालांकि, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन और पुणे में ज्यादातर लोग अभी भी छोटे घर पसंद करते हैं। प्रोपर्टी की बढ़ती दरों के बावजूद बड़े अपार्टमेंट की मांग लगातार बनी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “बड़े अपार्टमेंट के लिए बढ़ती प्राथमिकता के अनुरूप 1.5 करोड़ रुपये की कीमत वाले लक्जरी घरों की मांग में भी तेजी आई है।” वहीं किफायती आवास की मांग और कम हो गई है। फिक्की-एनारॉक कंज्यूमर सेंटीमेंट (H2) सर्वे में वर्ष 2021 में यह मांग 25 फीसदी था जो वर्ष 2023 में 21 फीसदी तक पहुंच गया। वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 40 फीसदी था।
एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, “बड़े घरों की आपूर्ति उनकी मांग के अनुरूप हो रही है। एनारॉक डेटा के अनुसार, शीर्ष सात शहरों में औसत फ्लैट का आकार पिछले साल सालाना 11 फीसदी बढ़ गया है जो 2022 में 1,175 वर्ग फुट था जो बढ़कर 2023 में 1,300 वर्ग फुट तक पहुंच गया। ” सर्वे से पता चला कि पहली बार लॉन्च हुए नए घरों की तुलना में रेडी-टू-मूव घरों की मांग कम है।
सर्वे में छोटे और बड़े शहरों की ओर घर खरीदने वालों के बढ़ते रुझान पर प्रकाश डाला गया। यह उछाल कोविड-19 महामारी के बाद रिटर्न टू ऑफिस (आरटीओ) नीति के कारण आया है। वर्तमान सर्वे से पता चला है कि 30 फीसदी प्रतिभागियों ने घर खरीदने के लिए सब-अर्बन क्षेत्रों को अपनी पहली प्राथमिकता के रूप में चुना, जबकि 2021 में यह 25 फीसदी था।
वर्तमान सर्वे में पिछले वर्षों की तुलना में घरों के भीतर अधिक खुली जगहों की इच्छा में वृद्धि देखी गई है। पहले, घर के अंदर उपयोग के लिए प्रत्येक वर्ग इंच का उपयोग करने पर अधिक ध्यान दिया जाता था। अब, 75 फीसदी प्रोपर्टी खरीदार बालकनी वाली प्रोपर्टी चाहते हैं। 74 फीसदी होम बॉयर्स बेहतर निर्माण गुणवत्ता पर जोर देते हैं।
इस बारे में क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष और गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ का कहना है कि पिछले कुछ समय से गौर करें तो होम बायर्स बड़े घर को लेकर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। खासकर कोविड के बाद लोगों के कामकाज करने और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा जगह और एक्स्ट्रा कमरों की मांग कर रहे हैं। इंवेस्टमेंट में भी बायर्स बड़े घरों के ओर ज्यादा रुख कर रहे हैं जिससे लग्जरी रियल एस्टेट में ज्यादा लॉन्च देखे गए हैं। डेवलपर्स भी अब इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले समय में हाई रेंज वाली प्रोपर्टी की मांग और बढ़ेगी और छोटे घरों की मांग और बिक्री में और कमी आएगी।
एसकेए ग्रुप के डायरेक्टर संजय शर्मा का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम की वजह से लोगों को 1 और 2 बीएचके फ्लैट छोटे पड़ रहे हैं. उन्हें अब ज्यादा जगह की जरूरत महसूस हो रही है, इसलिए लोग अब बड़े घरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद देश के कई हिस्सों में बड़े घरों की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है क्योंकि महामारी के कारण लोगों का काम करने, सीखने और जीवन जीने का तरीका बदल गया है. इससे आवासीय घरों की मांग में बदलाव आया है।
वहीं एस्कॉन इन्फ्रा रियलटर्स के एमडी नीरज शर्मा का कहना है कि बड़े घरों की मांग ने रियल एस्टेट मार्केट को कई तरह से प्रभावित किया है। बड़े घरों की मांग सिर्फ शहरी इलाकों में ही नहीं, बल्कि उनके आस-पास के इलाकों जैसे नोएडा एक्सप्रेसवे, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, जेवर में भी किफायती घर आज भी मौजूद हैं। घरों की मांग में तेजी आई है। एकांत में काम करने के चलन ने लोगों की हाउसिंग डिमांड को बदल दिया है।
इन सुविधाओं की वजह से लेना चाहते हैं घर
ट्राइसोल रेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन शर्मा के अनुसार, घर से काम करने वाले अधिक लोगों के लिए एक अलग रूम होना प्राथमिकता बन गया है, जिस वजह से ज्यादा कमरों वाले घरों की डिमांड बढ़ी है, बड़े कमरे, बैडरूम और रसोई के लिए अतिरिक्त सुविधाओं जैसे योग स्पेस और सूरज की रोशनी और वेंटिलेशन डेक के साथ अन्य चीजों के साथ घरों के लिए भी मांग अधिक है। बाहरी स्पेस जैसे बालकनी और छत अधिक लोकप्रिय हो गए हैं क्योंकि लोग अपने घरों से बाहर निकले बिना बाहर का आनंद लेने के तरीकों की तलाश लगातार कर रहे हैं।
360 रियलेटर्स के डायरेक्टर संजीव अरोड़ा का कहना है कि राजधानी दिल्ली से सटे एनसीआर में वन और टू बीएचके फ्लैट की मांग कम होने से पता चलता है कि देश के बड़े शहरों में अब बड़ी बिल्डिंग में फ्लैट लेने का सपना मध्यम वर्ग के बजट से बाहर होता जा रहा है। साथ ही इन शहरों में लोग छोटे फ्लैट को रिसेल में लेना काफी पसंद कर रहे हैं। वहीं, कोविड के बाद से बड़े शहरों में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ा है। ऐसे में बायर्स अब बड़े घरों की मांग ज्यादा कर रहे हैं।
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