world women day in india

World Women Day महिलाओं ने 1917 में रूस के सम्राट निकोलस द्वितीय को सत्ता से हटा दिया था

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL लेख

भारतवर्ष में हमेशा ही नारी पुरुष से प्रधान व पूजनीय मानी जाती है, परंतु विश्व में महिलाओं को पुरुषों के बराबरी पर आने के लिए भी जद्दोजहद के साथ आंदोलन करना पड़ा| इसी आंदोलन के कारण विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश भी महिलाओं के अधिकार को बढ़ावा देना व विश्व में शांति स्थापित करना था। 2021 में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ‘वुमेन इन लीडरशिप अचिविंग एनी कॉल फ्यूचर इन इन ए कोविड-19  वर्ल्ड’ रखी गई है।  यह थीम कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में महिलाओं के योगदान को रेखांकित करती है|

संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 1996 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम के साथ ‘अतीत का जश्न भविष्य की योजना’ रखी थी। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पूरे विश्व में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है| यह एक ऐसा दिन बन गया है जिसमें हम समाज में, राजनीति में और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में महिलाओं की तरक्की का जश्न मनाते हैं| अनेक सामाजिक संस्थाएं व महिला संगठन महिलाओं के अधिकार उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार, समान अधिकार, शिक्षा, पौष्टिकता के लिए मंथन करते हैं। समाज को महिलाओं के प्रति आदर करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं| भारतवर्ष में अनेक महिलाओं ने अपने दम पर अपने शहर, प्रदेश और देश का नाम करके पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है।

महिला दिवस रूस, चीन, कंबोडिया, नेपाल और जॉर्जिया जैसे कई देशों में इस दिन अवकाश रहता है| चीन में बहुत सारी महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन काम से आधे दिन की छुट्टी दी जाती है| इसके साथ ही इटली की राजधानी रोम में महिलाओं को इस दिन मिमोसा (छुईमुई) के फूल देने का रिवाज है|  खेल जगत में आगरा की महिलाओं ने कमाल ही कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच का न केवल हिस्सा बनी हैं बल्कि अपनी काबिलियत से विश्व की श्रेष्ठ क्रिकेट टीम का ख़िताब भी दिला दिया है। हाल में ही आगरा की पांच महिला खिलाड़ियों को प्रदेश और देश स्तर देश की महिला क्रिकेट टीम में अपना स्थान बना कर महिलाओं का हौसला बुलंद कर दिया है|

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत वर्ष 1908 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हुए एक महिला मजदूर आंदोलन से हुई थी, जब करीब गारमेंट फैक्‍ट्री में काम करने वाली 15 हजार महिलाएं अपने अधिकारों की मांग के लिए सड़कों पर उतरी थीं। यह महिलायें काम करने के समय को कम करवाने, अच्छी तनख्वाह और वोटिंग के अधिकार की मांग के लिए प्रदर्शन कर रही थीं। महिलाओं के इस विरोध प्रदर्शन के लगभग एक वर्ष बाद वर्ष 1909 में अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहले राष्ट्रीय महिला दिवस को 28 फरवरी को मनाने की घोषणा की थी। इसके एक साल बाद यानी 1910 में क्लेरा जेटकिंग जो उस वक्त यूरोपीय देश डेनमार्क की राजधानी ओपन कोपेनहेगन मैं कामकाजी महिलाओं की अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में शिरकत कर रही थी, जिसमें लगभग 100 महिलाएं मौजूद थी, जो 17 देशों से आई थीं, इन सभी महिलाओं ने सर्वसम्मति से क्लेरा जेटकिंग अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के प्रस्ताव को मंजूर किया। इस तरह कोपेनहेगन में महिला दिवस की स्‍थापना हुई| फिर 1911 में ऑस्ट्रि‍या, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में लाखों महिलाओं ने रैली निकाली थी| इस रैली को निकालने का मकसद नौकरी में भेदभाव खत्म करना, सरकारी संस्थानों में एक जैसे अधिकार देना और मताधिकार में समानता था| इस तरह पहली बार इन देशों ने अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस को मान्‍यता दी|

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रूसी महिलाओं की ओर से पहली बार शांति की स्थापना के लिए फरवरी माह के अंतिम रविवार को महिला दिवस मनाया गया| तदुपरांत 1917 में महिलाओं की हड़ताल ने वहां के सम्राट निकोलस द्वितीय को पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। यही नहीं अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान का अधिकार भी दे दिया था| उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल होता था। जिस दिन महिलाओं ने यह हड़ताल शुरुआत की थी, वह तारीख 23 फरवरी थी| ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च को मनाया जाने लगा लेकिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की मान्यता सन 1975 में सयुक्त राष्ट्र संघ ने आधिकारिक रूप से की ।

मेरी ओर से विश्व की सभी नारियों को सलाम। सृष्टि नारी बिना अधूरी है बिल्कुल वैसे जैसे बिन पानी बिन सब सून।

राजीव गुप्ता जनस्नेही

लोकस्वर, आगरा

फोन नम्बर 9837097850