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बेजुबानों को जुबान दे रहा सोशल मीडिया लेकिन जमकर हो रहा फर्जीपन

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Agra, Uttar Pradesh, India. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फेसबुक बनाम दिल्ली विधानसभा मामले में टिप्पणी की है कि सोशल मीडिया से चुनाव और मतदान प्रक्रिया को खतरा है। मा. सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी से मैं पूरी तरह सहमत हूँ। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में हम देख चुके हैं किस तरह से सोशल मीडिया को दुरुपयोग किया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फेसबुक पर अपने समर्थकों को उकसाया था। इसके बाद भारी हिंसा हुई थी। यह तो सरकारी स्तर पर सोशल मीडिया को दुरुपयोग है। निजी स्तर पर भी दुरुपयोग कम नहीं है।

भारत में फेसबुक के 41 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं। फेसबुक पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि फर्जी नाम से खाता न बनाया जा सके। एक ही व्यक्ति सैकड़ों खाते बना सकता है। यह देखा गया है कि लोग फेसबुक के माध्यम से वैमनस्यता फैला रहे हैं। एक दूसरे को उकसा रहे हैं। धर्म और नाम बदलकर जातिगत टिप्पणियां की जा रही हैं। यहां तक कि गालियां भी लिखी जा रही हैं। अगर कोई शिकायत नहीं करता है तो वैमनस्यपूर्ण टिप्पणियां यथावत रहती हैं।

इसमें कोई शक नहीं है कि फेसबुक, वॉट्सऐप, ट्विटर, टेलीग्राम आदि सोशल मीडिया के मंचों ने बेजुबानों को आवाज दी है। अब कोई भी व्यक्ति अपनी आवाज बुलंद कर सकता है। इसका परिणाम यह है कि दुनिया के किसी एक कोने में हुई घटना तत्काल ही हर किसी को पता चल जाती है। अनेक पीड़ितों को सोशल मीडिया ने न्याय दिलाया है। प्रिंट मीडिया की अपनी सीमाएं और गरिमा है। अखबार में हर बात छनकर छपती है।  इसके विपरीत सोशल मीडिया पर कुछ भी लिख दिया जाता है। फर्जी खबरें, फर्जी वीडियो, फर्जी फोटो वायरल किए जाते हैं।

नौ जुलाई को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन की खबर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी गई जबकि वे पहले अधिक स्वस्थ हैं। कुछ लोगों ने तो श्रद्धांजलि अर्पित करनी शुरू कर दी। सोशल मीडिया के माध्यम से ठगी भी की जा रही है। इस तरह सोशल मीडिया पर छल, कपट, धोखा खूब चल रहा है। विभिन्न राजनीतिक दल अपना प्रचार कुत्सित रूप से कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस तरह की बातें आ रही हैं जैसे हिन्दुस्तान के मुस्लिम देश के दुश्मन हैं। इस तरह की टिप्पणियों के नियमन के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों ने फेसबुक और सोशल मीडिया के अन्य मंचों को विनयमित करने का प्रयास किया है। भारत में भी इस तरह के प्रयास अपेक्षित हैं।