– गर्भनिरोध के नए-नए तरीकों पर काम, आगरा में चिकित्सकों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
– विश्व जनसंख्या दिवस पर वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने दी जानकारी
Agra, Uttar Pradesh, India. अनचाहे गर्भ से बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों और कंडोम का इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन अब गर्भ निरोध के नए-नए तरीके उपलब्ध हो रहे हैं। आगरा में भी अब महिलाएं इन तरीकों का लाभ उठा सकेंगी। इंप्लांट तकनीक आधारित गर्भ निरोध किया जा सकेगा।
पांच वर्ष तक गर्भधारण से छुट्टी
विश्व जनसंख्या दिवस पर वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं रेनबो हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. नरेन्द्र मल्होत्रा ने बताया कि पेशेंट स्पेशिफिक इंप्लांट्स, इंप्लांट्स बनाने वाली कंपनी है, जिसने अनचाहे गर्भ से बचने के लिए एक विशेष तरह का इंप्लांट विकसित किया है। डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि यह एक प्रकार से बर्थ कंट्रोल इंप्लांट है, यह माचिस की तीली के आकार की एक छोटी और पतली छड़ होती है, जो महिलाओं के शरीर में एक प्रकार का हार्मोन रिलीज करने में मदद करता है। जिसे प्रोजेस्टिन कहा जाता है और जो महिलाओं को गर्भवती होने से रोकता है। जो महिलाएं गर्भधारण से बचना चाहती हैं उनके हाथों में प्रशिक्षित डॉक्टर या नर्स इसे इंप्लांट करते हैं। एक बार इंप्लांट होने से यह पांच वर्षों तक महिला को गर्भधारण से बचा सकता है।
डॉ.आरती दे रहीं ट्रेनिंग
डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि अभी कंपनी ने आगरा में इस इंप्लांट को लगाने के लिए उन्हें और आगरा ऑब्स एंड गायनी सोसायटी की अध्यक्ष डॉ आरती मनोज गुप्ता को चुना है, जो प्रशिक्षण लेकर अपनी टीम को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं। इसके बाद जल्द ही कंपनी इसे उत्तर प्रदेश सहित आगरा में लांच करेगी।
नए विकल्पों में यह सबसे प्रभावी साबित होगा
डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि लंबे समय तक टिकने वाले इन गर्भ निरोधक विकल्पों को लांग एक्टिंग रिवरसिबिल कांट्रसेप्शन कहा जाता है। इन्हें गोलियों की तरह हर रोज लेने की जरूरत नहीं होती। एक बार लगवा लेने से ये लंबे समय तक काम करते हैं। इंप्लांट भी एक तरह का मेडिकल उपकरण है, जिसे महिला के हाथ में फिट किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक इंप्लांट लगाने वाली 2000 में से एक महिला के ही गर्भधारण की संभावना होती है, जबकि गोलियां लेने वाली 10 में से एक महिला के गर्भवती होने की संभावना रहती है।
कैसे काम करता है
मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम कीं डॉ. नीहारिका मल्होत्रा ने बताया कि प्रोजेस्टिन महिला के गर्भाशय ग्रीवा पर बलगम को गाढ़ा कर देता है, जो शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने से रोकता है। जब शुक्राणु अंडे तक नहीं पहुंच पाता तो गर्भधारण की संभावना खत्म हो जाती है। इसके अलावा प्रोजेस्टिन महिला के अंडोशय को अंडोत्सर्जन या ऑव्यूलेशन करने से रोक देता है। इस प्रकार से शुक्राणुओं को निषेचित होने के लिए अंडे उपलब्ध नहीं होते हैं। जिससे गर्भधारण होने की संभावना खत्म हो जाती है।
स्थाई नहीं है, जब चाहें हटवा सकते हैं
रेनबो हॉस्पिटल की प्रमुख और जानी मानी स्त्री रोग एवं आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि इंप्लांट के बारे में एक विशेष बात यह भी है कि यह स्थाई नहीं है बल्कि महिला जब चाहें इसे हटवा भी सकती हैं। वैसे यह तीन वर्षों तक सक्रिय रहता है। महिला की इच्छा जब गर्भधारण की हो वे डॉक्टर की मदद से इसे निकलवा सकती हैं और इस तरह इंप्लांट निकलने के बाद महिला फिर से गर्भवती हो सकती हैं।
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