Vihsant sagar maharaj

सांसद नवीन जैन के आगरा स्थित आवास पर हुई धर्म सभा, जैन मुनि उपाध्याय विहसन्त सागर महाराज और Naveen Jain ने कही बड़ी बात

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जो संतों की करे सेवा, उसे घर बैठे मिलेगी ऐसी मेवा

गुरु का आशीर्वाद रहेगा तो कोई बालबांका नहीं कर पाएगा

रक्षा मंत्रालय की संसदीय स्थाई समिति का सदस्य बनने से जैन समाज और आगरा का गौरव बढ़ा

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. भारतीय जनता पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद नवीन जैन के शास्त्रीपुरम स्थित आवास पर धर्मसभा हुई। गणाचार्य विराग सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मेडिटेशन गुरु उपाध्याय विहसन्त सागर महाराज ने हास्य की फुहारों के बीच प्रवचन दिया।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि राजनीति में धर्मनीति आती है तो राजनीति अच्छी हो जाती है। धर्मनीति में राजनीति आती है तो उसका कबाड़ा हो जाता है। नवीन जैन धर्मनीति और राजनीति दोनों को संभालने वाले हैं।

BJP workers
BJP workers

उपाध्याय विहसन्त सागर महाराज ने कहा कि हम नवीन जैन को 2017 से जानते हैं। नवीन जैन को मेरा आशीर्वाद ऐसा लगा कि दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर गए। सभी भाई आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ रहे हैं।  अब उन्हें रक्षा मंत्रालय की संसदीय स्थाई समिति का सदस्य बनाया गया है, इससे जैन समाज और आगरा का गौरव बढ़ा है। आप लोगों के आने से सोने पर सुहागा हो गया।

जैन संत ने कहा कि नवीन जैन हरियाणा से आकर भी साधु-संतों की सेवा करते हैं। जो संतों की करे सेवा, उसे घर बैठे मिलेगी ऐसी मेवा। बुद्धिजीवी, बड़े-बड़े लोग संतों का आशीर्वाद लेते हैं। हम आहार के बाद 10 मिनट के लिए  बैठ गए। हमें मालूम ही नहीं था कि इतने लोग आ रहे हैं। गुरु का आशीर्वाद रहेगा तो कोई बालबांका नहीं कर पाएगा। उन्होंने आशीर्वाद दिया, सफलता के आसमान पर चांद बनकर चमको।

jain muni vihsant sagar maharaj
विहसंत सागर महाराज ने सभी को आशीर्वाद दिया।

इससे पूर्व उपाध्याय विहसन्त सागर महाराज ने प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से आशीर्वाद दिया।

सांसद नवीन जैन ने जैन मुनि को अगवत कराया कि यहां बैठी टीम ने मुझे नेता बनाया है। मेरे एक इशारे पर 10 हजार की भीड़ एकत्रित कर दी है। मेरे हर अभियान में सहयोग किया है।

बता दें कि उपाध्याय विहसन्त सागर महाराज अब तक 47 पंचकल्याणक करा चुके हैं। सोनागिर में गरीबों के लिए हॉस्पिटल का निर्माण करवा रहे हैं। प्राचीन जैन मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया है। 16 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया। 24 वर्ष की आयु में मुनि दीक्षा ली। तभी से धर्म की प्रवाहना कर रहे हैं। महाराज जी ध्यान की गहन तकनीकों के ज्ञाता हैं और अपने अनुयायियों को मानसिक शांति और आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए अनेक ध्यान विधियाँ सिखा रहे हैं।

उन्होंने जैन धर्म की शिक्षाओं और अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उनके प्रवचन समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध हैं। प्रवचनों में शांति, समभाव, और करुणा का विशेष महत्व है, जिससे उनके अनुयायी मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं। महाराज जी अपने अनुयायियों से ध्यान और साधना में अनुशासन का पालन करने पर जोर देते हैं, ताकि वे अध्यात्मिक विकास की ओर निरंतर बढ़ सकें।

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Dr. Bhanu Pratap Singh