Dadaji maharaj agra

राधास्वामी गुरु दादाजी महाराज के अनमोल बचन -12: राधास्वामी मत में शामिल होना है तो करें परहेज

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

राधास्वामी मत (Radhasoami Faith) के प्रवर्तक परम पुरुष पूरन धनी स्वामीजी महाराज (Soamiji Maharai) और परम पुरुष पूरन धनी हजूर महाराज (Hazur maharaj) ने इस नश्वर संसार में इस बात के लिए अवतार धारण किया कि जीवों का उद्धार हो सके। उन्होंने जीवों पर अनोखी दया लुटाई, बचन बानी के माध्यम से जीवों को अपने चरनों में खींचा, चेताया और उनका कारज बनाया। उन्होंने गुरुभक्ति और सतगुरु सेवा पर भी विशेष बल दिया और स्पष्ट रूप से कह दिया कि जब तक संपूर्ण जगत का उद्धार नहीं होता, धार की कार्यवाही निरंतर जारी रहेगी, वक्त के गुरु जीवों को चेताते रहेंगे। तब से लेकर आज तक यह सिलसिला जारी है और हजूर महाराज के घर हजूरी भवन, पीपल मंडी, आगरा (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) में वर्तमान सतगुरु दादाजी महाराज (Radhasoami guru Dadaji maharaj) जीवों पर अपनी दया फरमा रहे हैं, उनका भाग जगा रहे हैं। दादा जी महाराज (Prof Agam Prasad Mathur foemer Vice chancellor Agra university) अपने सतसंग (Radhasoami satsang) में नित्य नवीन बचन फरमाते हैं जिससे यह जीव चेते और चरनों में लगे। उन्हीं बचनों में से कुछ अप्रकाशित वचन पुस्तिका ‘दादा की दात’ में जीवों के कल्याण के वास्ते दिए गए हैं। ये वचन न केवल जीवों के प्रीत प्रतीत को बढ़ाएंगे वरन उनका कारज भी बनाएंगे। यहां हम प्रस्तुत कर रहे हैं दादाजी महाराज के बचनों की श्रृंखला।

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राधास्वामी दयाल ने अपना सत्संग सबके लिए खोला हुआ है। यहां किसी की जात-पांत नहीं देखी जाती है। इसलिए हर एक को सूचित किया जाता है कि जो कोई अपने जीव का सच्चा कल्याण चाहे, जो अपनी मुक्ति चाहे और इसी जन्म उद्धार चाहे, उद्धार के रास्ते पर चले तो एक- दो-तीन या चार जन्म में उसका उद्धार पूरा होने की गारंटी भी यहां दी जाती है। वह राधास्वामी मत में शौक से शामिल हो सकता है। यहां परहेज है तो खानपान का है, गोश्त, शराब, अंडा और मछली, जिस किसी भी जीव को सता कर आप खाते हैं आपको उसको खाने का कोई हक नहीं है।

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राधास्वामी दयाल की टेक बांधने में कोई हर्ज नहीं लेकिन वह टेक क्या है- वह यह है जो कुछ उन्होंने कहा है उसके अनुसार करना, यह है हमारी टेक। जो स्वामी जी महाराज ने कहा है उसको मानिए, जो हजूर महाराज ने कहा है उसको मानो। अपने से बड़े का संग करने में कोई हर्ज नहीं है और राधास्वामी दयाल को कुल मालिक मानना और राधास्वामी नाम लेकर हर एक के साथ प्यार से बरताव करना, कपट से नहीं, क्योंकि याद रखिए ऐसे पवित्र नाम को कपट के ढंग से लिया जाएगा तो वह मालिक को मंजूर नहीं है। जो नाम सारे कपट को समाप्त करता है उसको बहुत निष्कपट होकर सच्चे दिल से एक दूसरे से राधास्वामी कीजिए, मुंह में बंद करके नहीं, खोलिए मुंह को, यही एक हमारा मित्र, यही हमारा मंत्र, यही हमारा सिद्ध है। राधास्वामी नाम ही सच्चा नाम है और वही हमको सच्चे गुरु से मिलाएगा, काम भी बनवाएगा तो उस नाम को लेने में कोताही क्यों। इसलिए बस राधास्वामी नाम की टेक बांधिए, राधास्वामी दयाल की टेक बांधिए और फिर वक्त के गुरु का सत्संग और साथ कीजिए।