सारथी फाउंडेशन ट्रस्ट आगरा

अखिल भारतीय माहौर क्षत्रिय स्वर्णकार महासभा का अध्यक्ष निकला दूसरा ‘केजरीवाल’, 9 के खिलाफ नामजद रिपोर्ट,200 करोड़ रुपये तक का गबन

Crime

एसीजेएम-2 के आदेश पर सीआरपीसी की धारा 156 (3) में थाना छत्ता में 9 नामजद समेत 14 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज

साक्ष्य देने के बाद भी पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही थी, अंत में न्यायालय की शरण लेनी पड़ी

आशंकाः अब पुलिस फिर से क्रॉस केस कर सकती है, हमला भी कराया जा सकता है इसीलिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी

Live Story Time

Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. आपने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम तो सुना ही होगा। वे ईमानदारी के नाम पर सत्ता में आए और अब करोड़ों के घोटालों के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है अखिल भारतीय माहौर क्षत्रिय स्वर्णकार महासभा का अध्यक्ष और उनके सहयोगियों की। उन्हें भी हमने महासभा का अध्यक्ष बनाया यह सोचकर कि समाज का भला करेंगे लेकिन यह तो अनुमानित 150 से 200 करोड़ रुपये का घोटाला कर गए। बचने के लिए खूब दांव-पेच लगाए लेकिन अंततः कोर्ट के आदेश पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो गई है। अब जेल जाना बाकी रह गया है।

यह कहना है सारथी फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष दिनेश कुमार वर्मा, महासभा के पूर्व उपाध्यक्ष इंजीनियर महेंद्र सिंह वर्मा, रमेश चंद सर्राफ और अधिवक्ता जयदीप सिंह का। उन्होंने संजय प्लेस स्थित हल्दीराम रेस्टोरेंट में पत्रकारों से बातचीत की। अध्यक्ष ने पद पर बने रहने और घोटाले छिपाने के लिए मृतकों को भी सदस्य बना रखा था। 100 साल पुरानी संस्था का खाता तक नहीं खुलवाया है। नकद लेन-देन किया जा रहा है। संस्था के बॉयलॉज के विपरीत शुल्क लिया जा रहा है।

जिलाधिकारी के पूर्व विशेष कार्याधिकारी और सरला बाग (दयालबाग, आगरा) निवासी दिनेश कुमार वर्मा ने संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए नामांकन किया तो संस्था के काले कारनामों से पर्दा उठता गया। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में तमाम दस्तावेज प्रस्तुत किए।

उन्होंने बताया कि बार-बार साक्ष्य देने के बाद भी पुलिस घोटाला करने वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही थी। अंततः उन्होंने न्यायालय की शरण ली। एसीजेएम-2 अर्जुन ने जब साक्ष्य देखे तो सीआरपीसी की धारा 156 (3) के अंतर्गत थाना छत्ता पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया। श्री वर्मा का कहना है कि विपक्षीगण पुलिस से मिलीभगत कर झूठा केस दर्ज करा सकते हैं, हमला भी कर सकते हैं। इसी कारण प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जानकारी दी गई है। हम चाहते हैं कि हर चीज रिकॉर्ड पर रहे ताकि सबके सामने सिर्फ सच आ सके।

इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज

  1. शिव शंकर वर्मा पुत्र मदन लाल वर्मा, निवासी सीमेन्ट रोड, कस्बा सौंख जिला मथुरा।
  2. भूपेन्द्र कुमार वर्मा पुत्र स्व. श्री बनारसी दास वर्मा, निवासी बाग मुज्जफर खां, आगरा।

3.. उत्तम चन्द वर्मा पुत्र ग्यासी राम वर्मा, निवासी- ए-42, माधवपुरी महोली रोड, मथुरा।

  1. जय वर्मा, निवासी होरीजन इस्ट्टीयूट पुलिस लाइन रोड, कलैक्ट्रेट के पास, आगरा।
  2. जगदीश वर्मा पुत्र बीएल वर्मा, निवासी 204, जेएसआर रॉयल अपार्टमेन्ट, कारगिल पैट्रोल पम्प के सामने, बोदला सिकन्दरा रोड, आगरा।
  3. ओमप्रकाश जौहरी, निवासी अतरौली, जिला अलीगढ़।
  4. कृष्ण स्वरूप वर्मा पुत्र गोपी चन्द वर्मा निवासी 17/253, बगीची भवन, छिली ईंट रोड, घटिया आजम खाँ, आगरा।
  5. संजय कुमार वर्मा पुत्र श्री अम्बा प्रसाद वर्मा निवासी 14/281, मदन मोहन गेट, गुड़ की मण्डी, फुलट्टी, आगरा।
  6. विनोद कुमार वर्मा, निवासी सिकन्दरा, आगरा।
  7. अजात 4-5 व्यक्ति नाम पता अजात

ये धाराएं लगाई गईं

आईपीसी की धारा- 406, 420, 467, 463, 471,120 बी

क्या लिखा है रिपोर्ट में

  1. यह कि प्रार्थी माहौर क्षत्रिय स्वर्णकार समाज का व्यक्ति है। प्रार्थी के जातिय संगठन की रजिस्टर्ड संस्था अखिल भारतीय माहौर क्षत्रिय स्वर्णकार महासभा है जोकि तवर्ष के सम्पूर्ण समाज के व्यक्तियों की केन्द्रीय प्रतिनिधि सभा हैं। समस्त देश में रहने वाले प्रार्थी की जाति के समस्त माहौर क्षत्रिय स्वर्णकार बन्धु इसके सदस्य है। यह संख्या उपनिबन्धक फर्मस् सोसायटीस् एव चिट्स के आगरा कार्यालय में रजिस्टर्ड है जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर 1163/1991-92 दिनांकित 05-12-1991, सर्राफा बाजार पथवारी, बेलनगंज, थाना छत्ता आगरा है।
  2. यह कि उक्त संस्था के गठन का प्रमुख उद्देश्य माथुर क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के नैतिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व सामाजिक उत्थान करना था। इसके साथ-साथ समाज में भावना एवं पारम्परिक सहयोग से समाज का विकास करना व सामाजिक कुरीतियों को दूर करते हुये समाज के मेधावी एवं निर्धन छात्रों को यथा सम्भव सहायता प्रदान करना और समाज के असहाय एवं निर्धनपरिवारों की मदद करते हुये समाज की विस्तृत जानकारी हेतु पत्र-पत्रिकाओं एवं अन्य समाज उपयोगी साहित्यों का प्रकाशन करना, समाज की अनाथ एवं निर्धन परिवारों की कन्याओं के विवाह में सहायता करना आदि प्रमुख उद्देश्य थे, जोकि सम्पूर्ण समाज के आर्थिक सहयोग से सम्पन्न होते थे।
  3. यह कि विपक्षीगण ने योजनापूर्वक आपस में गहरी सांठ-गाँठ व षड्यन्त्र करते हुये वर्ष 2014 में गलत तरीके से जबरन उपरोक्त संस्था को हथिया लिया। फर्जीबाड़ा एवं कूटरचना करते हुये समाज के लोगों से अनाप-शनाप धन उगाही करते हुए ठगी की गयी। सभी विपक्षीगण ने संस्था के धन का गबन व दुरुपयोग किया। संस्था के निर्वाचन सम्बन्धी कोई सही सूचना कार्यालय डिप्टी रजिस्ट्रार आगरा के यहाँ नहीं दी। इतना ही नहीं, अपने निजी हितों के लिये मरे हुये व्यक्ति जितेन्द्र सिंह वर्मा को अभिलेखों में सदस्य अंकित कर हेरा-फेरी की गयी।
  4. यह कि उक्त सभी विपक्षीगण ने समाज के लोगों से जो धन एकत्रित किया गया वह नियमानुसार किसी बैंक खाते में जमा करने की बजाय अपने पास रखा जिसका कभी कोई सही हिसाब समाज को नहीं दिया। संस्था के धन को हड़पने हेतु फर्जी संस्था के नाम से बैंक खाता बोलकर धन का गबन किया। इन लोगों के द्वारा सम्पूर्ण भारतवर्ष में निवास कर रहे माहौर क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के लोगों से करोड़ों रूपये गलत तरीके से इकट्ठे किये और जालसाजी से हड़प लिये। लोगों को इनकी धोखाधड़ी व बेईमानी की जानकारी होने पर उन्होंने हिसाब मांगा तो कोई हिसाब नहीं दिया तथा बाला ही बाला संस्था के चुनाव कराने व संस्था के कार्यालय को अपने निजी पते पर ले जाने का गैर-कानूनीकृत्य किया। फर्जी अभिलेखों के आधार पर संस्था के धन को हड़प लिया। 5. यह कि उक्त मामले में उपनिबन्धक फर्म सोसायटीस एवं चिट्स आगरा द्वारा कार्यवाही करते हुये प्रकरण की स्वंय जाँच की ।विपक्षीगण की अनियमिताओं को उजागर करते हुये संस्था के वित्तीय अभिलेखों की जाँच कराने हेतु सीए सचिन कुमार गोयल को अधिकृत किया गया। परन्तु विपक्षीगण ने संस्था के वित्तीय अभिलेखों की जांच में कोई सहयोग नहीं किया और ना ही संस्था के वित्तीय अभिलेख उपलब्ध ही कराये, जिसके कारण संस्था का ऑडिट भी सम्पन्न नहीं हो पाया।
  5. यह कि विपक्षीगण की अनियमितताओं को देखते हुये डिप्टी रजिस्ट्रार फर्मस् सोसायटीस एवं चिट्स आगरा के द्वारा दिनांक 11-12-2019 से संस्था को कालातीत घोषित करते हुये विस्तृत आदेश दिनांक 28-01-2023 पारित किया है। यह विपक्षीगण के कृत्यों का पुख्ता दस्तावेजी साक्ष्य है। संस्था के कालातीत घोषित होने के बाद भी विपक्षीगण लगातार समाज से धन उगाही करने और गलत तरीके से उसे हड़पने के काम में अब भी लगे है।
  6. यह कि विपक्षीगण ने जानबूझकर धोखाधड़ी व बेईमानी से जालसाजी व कूट रचना करते हुये सम्पूर्ण भारतवर्ष के लोगों से गैर कानूनी रूप से धन उगाही करते हुये उसको हड़पने का काम किया है। जिनके अनेक पुख्ता साक्ष्य संलग्न है।
सारथी फाउंडेशन ट्रस्ट
बाएं से राजीव वर्मा, सतीश वर्मा, डॉ. सुरेंद्र सिंह, रमेश चंद्र वर्मा, दिनेश कुमार वर्मा सारथी, इंजीनियर महेंद्र सिंह वर्मा।

दिनेश वर्मा ने पत्रकारों को लिखकर दिया

मैं दिनेश कुमार वर्मा ‘सारथी’ अध्यक्ष, सारथी फाउंडेशन ट्रस्ट आगरा स्वर्णकार समाज से हूं। वर्ष 2015 में प्रशासनिक सेवा से निवृत्ति के उपरांत समाज सेवा से जुड़ा। सदैव संतुष्टि का भाव, साहित्य के माध्यम से वैचारिक क्रांति तथा विषम परिस्थितियों के समक्ष कभी न घुटने टेकने की आदत के चलते मैंने समाज में चल रहे विभिन्न संगठनों को नियम से कार्य करने की सलाह दी, किंतु समाज के ही चन्द लोगों ने मेरी जीवन भर की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास किया जिसके कारण मैं अपनी स्थिति स्पष्ट करने हेतु लोकतंत्र के चौथे किन्तु सबसे मजबूत स्तंभ मीडिया के समक्ष अपनी गुहार और पुकार लेकर हाजिर हूं। एक राष्ट्रीय सामाजिक संस्था द्वारा किए गए अपराधिक कार्यों का खुलासा करने जा रहा हूं।

अखिल भारतीय माहौर क्षत्रिय स्वर्णकार महासभा के पदाधिकारीगण मेरे घर आए और कहा कि उनकी संस्था भारत के समस्त स्वर्णकार समाज के व्यक्तियों की केंद्रीय प्रतिनिधि सभा है, संस्था की प्रबंध समिति का निर्वाचन कराया जाना है जिसके अंतर्गत सदस्यता ग्रहण कराई जा रही है। संस्था का त्रिवार्षिक सदस्यता शुल्क ₹2100/- है एवं उनके ‌द्वारा संस्था के संबंध में अन्य जानकारी दी गई। यद्यपि मैं पूर्व से उक्त संस्था तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़ा हुआ था, फिर भी मैंने ₹2100/- नगद भुगतान कर उक्त संस्था की सदस्यता ग्रहण करली। संस्था के निर्वाचन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई, मैं भी अन्य उम्मीदवारों की तरह संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए खड़ा हुआ। नामांकन पत्र दाखिल करते समय मैंने चुनाव अधिकारी तथा चुनाव प्रेक्षक से संस्था के बायोलॉज, वितीय स्थिति की बैलेंस शीट उपलब्ध कराने तथा तब तक संस्था के निर्वाचन को रोकने का अनुरोध किया, किन्तु निर्वाचन प्रेक्षक के त्यागपत्र देने की धमकी के बावजूद चुनाव अधिकारी जगदीश वर्मा द्वारा अपेक्षित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये गये। अंततोगत्वा मैंने डिप्टी रजिस्ट्रार, सोसायटी फर्म्स एवं चिट्स के कार्यालय में आवेदन कर पत्रावली का निरीक्षण किया तो बहुत सारे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

वर्ष 2021 में हुये निर्वाचन के अनुसार 2024 तक निर्वाचन की कोई आवश्यकता ही नहीं थी, केवल ठगी करने के उद्देश्य से 27-3-2022 को महासभा का निर्वाचन होना घोषित किया। दिनांक 18-12-2021 की इस चुनाव कार्यवाही में क्रमांक 9 पर अंकित जितेन्द्र सिंह वर्मा को सदस्य दिखाया गया, जिनकी मृत्यु दिनांक 7-5-2020 को ही हो चुकी थी, इसके पीछे की मंशा का पता नहीं। तीन सौ से भी अधिक लोगों से 2100-2100 रुपया सदस्यता शुल्क के नाम पर वसूल कर लाखों रुपये की ठगी की गई, विभिन्न सामाजिक कार्यों, निःशुल्क वैवाहिक कार्यक्रमों के लिए धन एकत्रित किया, संस्था के बायलॉज के अनुसार किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में संस्था के नाम का कोई खाता खोलकर उस धन को जमा न कर अपने निजी उपयोग में लाते रहे।

हकीकत यह है कि दिनांक 15-4-2014 को बिना निर्वाचन अपनी वाकपटुता, भाषण से सम्मोहित कर शिव शंकर वर्मा निवासी सौंख जिला मथुरा संस्था के कार्यवाहक अध्यक्ष बने और रु 254250/- नगद तथा लाखों रुपया चन्दे के रूप में एकत्रित किया जिसकी कोई रसीद नहीं दी गई, बल्कि उक्त धनराशि अनुचित कार्य के लिए एक पदाधिकारी के व्यक्तिगत खाते में जमा की गई। संस्था का सदस्यता शुल्क मात्र 51/- रुपया था, इसके स्थान पर ₹2100/- सदस्यता शुल्क, ₹5000/- नामांकन शुल्क और ₹10000/- जमानत की धनराशि के रूप में कुल 17100/-प्राप्त कर ठगी की गई।

दिनांक 15-11-2022 को जबकि उक्त प्रकरण में डिप्टी रजिस्ट्रार के समक्ष अंतिम सुनवाई विचाराधीन थी, विपक्षी गण के पास अपनी बेगुनाही का कोई सबूत नहीं था तो मामले को उलझाने की दृष्टि से तथा मेरे छोटे पुत्र चीफ इंजीनियर मोहित वर्मा जो कि विगत लगभग 20 वर्षों से एनआरआई था, अकेला पाकर चिट फंड कार्यालय के बाहर उसके साथ अभद्रता, मारपीट व जान से मारने की नीयत से हमला किया। थानाध्यक्ष जगदीशपुरा ने संपूर्ण तथ्यों की जानकारी करने पर दोनों पक्षों में राजीनामा करा दिया, किंतु उन्हीं थानाध्यक्ष ने मोहित का पासपोर्ट रोके जाने के लिए घटना के 58 दिन बाद जगदीश वर्मा के षड्यंत्र में फंसकर एक झूठी FIR (NCR) अंतर्गत धारा 323/504/506 आईपीसी दर्ज कर ली जिसकी विवेचना प्रचलित है।

दिनांक 28-1-2023 को डिप्टी रजिस्ट्रार सोसाइटी फर्म्स एवं चिट्स ने सभी अभिलेखों का परीक्षण करने के उपरांत यह आदेश निर्गत किया कि संस्था के नवीनीकरण के समय शिव शंकर वर्मा के हस्ताक्षरों से जो प्रपत्र प्रस्तुत किए गए वह फर्जी है, सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम की धारा 25 (2) के तहत दिनांक 11-12-2019 से संस्था को कालातीत घोषित किया गया तथा वित्तीय अनियमिताओं की जांच के लिए श्री सचिन गोयल, चार्टर्ड अकाउंटेंट नेहरू नगर आगरा को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। सी ए ने भी अपनी रिपोर्ट दिनांक 5.1.2024 को उप निबंधक, फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स को प्रस्तुत कर दी कि संस्था द्वारा जांच हेतु कोई अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए, संस्था का यह कृत्य वितीय अभिलेखों के संदर्भ में संदेहात्मक प्रतील होता है, संस्था के विरुद्ध सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1860 सुसंगत धारा में कार्यवाही की जाए।

संस्था के पदाधिकारियों द्वारा किए जा रहे उक्त कृत्य की जानकारी दिनांक 25-3-2022 को तथा समय-समय पर समाज के सैकड़ों लोगों द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी, जांच हुई, आरोप प्रथम दृष्ट्या सिद्ध थे, फिर भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई और चिंट फंड अधिकारी के आदेश को धता बताते हये भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों, जनपदों एवं कस्बों में कार्यक्रम आयोजित करते रहे और समाज में वैमनस्य का जहर घोलते हुए कार्यक्रमों के नाम पर पैसा वसूलते रहे।

अंत में प्रकरण माननीय न्यायालय के संज्ञान में लाया गया और उनके आदेश दिनांक 15-4-2024 के अंतर्गत थाना छत्ता में सुसंगत धाराओं के अंतर्गत विपक्षीगण शिव शंकर वर्मा, भूपेंद्र कुमार वर्मा, उत्तमचंद वर्मा, जय वर्मा, जगदीश वर्मा, ओमप्रकाश जौहरी, कृष्ण स्वरूप वर्मा, संजय कुमार वर्मा एवं विनोद कुमार वर्मा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई।

मैं समाज का जागरूक कार्यकर्ता होने के कारण विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों से यह कहना चाहता हूं कि समाज सेवा एक बहुत ही जटिल कार्य है जिसमें पग-पग पर वित्तीय अननियमितायें हो सकती हैं। समाज के धन को कोई क्षति ना हो, इसके लिए उसका हिसाब किताब रखना तथा समाज को उससे रूबरू कराया जाना अत्यंत आवश्यक है। ताकि समाज सेवा के लिए अग्रणी बु‌द्धिजीवी बंधु ऐसे षड्यंत्र का शिकार ना हो। मैंने सत्य के साथ पूरा खुलासा कर दिया है। अब समाज की जिम्मेदारी है कि वह दोषी व्यक्तियों को दण्डित करायें तथा लोभ, मोह, अहंकार से विरक्त होकर सत्य का साथ दें।

प्रेसवार्ता में सारथी फाउंडेशन ट्रस्ट के पदाधिकारी डॉ. सुरेंद्र सिंह, सतीश वर्मा, राजीव वर्मा भी मौजूद रहे।

Dr. Bhanu Pratap Singh