pm modi in ram mandir

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सियाराम की गूंज से शुरू किया उद्बोधन, बताया राम मंदिर बनने से क्या होगा

PRESS RELEASE

Ayodhya (Uttar Pradesh, India) भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधन से पूर्व सियाराम की गूंज कराई। राम मंदिर का शिलान्यास करने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने कहा- सियाराम की गूंज पूरे विश्वभर में है। सभी देशवासियों और विश्वभर में फैले करोड़ों भारत भक्तों और रामभक्तों को आज के पवित्र अवसर पर कोटि-कोटि बधाई है। पढ़िए नरेन्द्र मोदी ने क्या कहा-

यहां आना स्वाभाविक था क्योंकि राम काजु कीन्हें बिना मोहि कहां विश्राम। भगवान भास्कर के सानिध्य में सरयू के कनारे स्वर्णिम अध्याय रचा जा रहा है। कन्याकुमारी से क्षीर भावनी तक, जगन्नाथ से केदारनाथ तक, सम्मेद शिखर से श्रवणबेलगोला तक, अमृतसर साहिब से पटना साहिब तक, लक्षद्वीप से लेह तक पूरा भारत राममय है। पूरा देश रोमांचित है। हर मन दीपमय है। पूरा भारत भावुक है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज विश्वास ही नहीं हो रहा है कि आज इस पावन दिन को देख पा रहे हैं, टाट और टैंट के नीचे रहे हमारे रामलला के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से रामजन्भूमि आज मुक्त हुई है। फिर सेजय सिरायाम का उद्घोष कराया।

हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई-कई पीढ़ियों ने अपना सबकुछ समर्पित कर दिया था। गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था जब आजादी के लिए आंदोलन न चला है। देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो। 15 अगस्त का दिन लाखों बलिदानों का प्रतीक है। स्वतंत्रता की उत्कट इच्छा का प्रतीक है। ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई सदियों तक कई पीढ़ियों ने अखंड, अविरल, एकनिष्ठ प्रयास किया है। आज का ये दिन उसी त्याग, तप और संकल्प का प्रतीक है। राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण, तर्पण, संघर्ष संकल्प भी था। जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राम मंदिर में नींव की तरह जुड़ी गुई है, मैं उन सब लोगों को 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से सिर झुकाकर नमन करता हूं, अभिनंदन करता हूं। संपूर्ण सृष्टि की शक्तियां राम जन्मभूमि के पवित्र आंदोलन से जुड़ा हर व्यक्ति जो जहां है, इस आयोजन को देख रहा है, वो भावविभोर है। सभी को आशीर्वाद दे रहा है।

राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं। हमारे भीतर घुल मिल गए हैं। कोई काम करना हो तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं। भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए, इमारतें नष्ट हो गई, क्या कुछ नहीं हुआ, अस्तित्व मिटाने का हर प्रयास हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं। हमारी संस्कृति के आधार हैं। श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, इसी आलोक में  अयोध्या में राम मंदिर के लिए भमिपूजन हुआ है। राम के सब कार्य हनुमान जी करते हैं। हनुमान जी के आशीर्वाद से राम मंदिर भूमि पूजन का आयोजन शुरू हुआ है।

राम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। ये मंदिर आने वाली पीढ़ियों को आस्था, श्रद्धा और संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा। मंदिर बनने के बाद अय़ोध्या की भव्यता ही नहीं बढ़ेगी, इस क्षेत्र का अर्थतंत्र ही बदल जाएगा। हर क्षेत्र में नए अवसर बनेंगे और बढ़ेगे। पूरी दुनिया से लोग यहां आएंगे। कितना कुछ बदल जाएगा यहां। राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया राष्ट्र को जोड़ने का उपक्रम है। यह महोत्सव है विश्वास को वर्तमान से जोड़ने का, नर को नारायण से जोड़ने का। लोक को अस्था से जोड़ने का। वर्तमान को अतीत से जोड़न का। स्व को संस्कार से जोड़ने का। आज का ऐतिहासिक पल दिगदिगंत तक भारत की कीर्ति पताका फहराते रहेगा। करोड़ों रामभक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है। सत्य, अहिंसा अस्था, बलिदान को न्याय प्रिय भारत की अनुपम भेंट है राम मंदिर।

कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन अनेक मर्यादाओं के बीच हो रहा है। श्रीराम के कार्य में मर्यादा का जैसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए, देश ने वैसा ही किया है। जब मानननीय सर्वोच्च नयायालय ने फैसला सुनाया था, तब भी हमने मर्यादा का पालन किया था। आज भी हर तरफ वही मर्यादा देख रहे हैं। मंदिर के साथ नया इतिहास ही नहीं रचा जा रहा है बल्कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है। गिलहरी, वानर, केवट को राम की विजय का निमित्त बने, ग्वालों ने गोवर्धन पर्वत उठाने में श्रीकृष्ण के साथ बड़ी भूमिका निभाई, हर वर्ग ने आजादी की लड़ाई में गांधी जी को सहयोग दिया, उसी तरह से देशभर के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का पुण्य कार्य प्रारंभ हुआ है। पत्थरों पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बनाया गया, वैसे ही  घर-घर से पूजित शिलाएं ऊर्जा का स्रोत बन गई हैं। देशभर के धामों और नदियों का पवित्र जल अमोघ शक्ति बन गई है। न भूतो न भविष्यति है। यह पूरी दुनिया के लिए अध्ययन और शोध का विषय है।

श्रीरामन्द्र को तेज में सूर्य, क्षमा में पृथ्वी, बुद्धि में बृहस्पति और यश में इन्द्र के समान माना गया है। राम का चरित्र सत्य पर अडिग रहने के केन्द्र पर घूमता है। इसीलिए वे हजारों वर्षों से भारत के लिए प्रकाश स्तंभ बने हुए हैं। श्रीराम ने सामाजिक समरता को अपने शासन की आधारशिला बनाया था। उन्होंने प्रजा से विश्वास प्राप्त किया था। गिलहरी की महत्ता को स्वीकार किया था। धैर्य, दृढ़ता, दार्शनिक दृष्टि युगों तक प्रेरित करते रहेंगे। वे प्रजा से एक समान प्रेम करते हैं, लेकिन गरीबों और दीन-दुखियों पर विशेष कृपा रहती है। तभी तो माता सीता रामजी के लिए कहती हैं, दीन दयाल बिरदु संभारी। जीवन के हर पहलू में हमारे राम प्रेरणा देते हैं। भारत की आस्था में राम हैं, आदर्शों में राम हैं, दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं। मध्य युग में तुलसी, कबीर, नानक के लिए भारत को बल दे रहे थे, वही राम बापू के भजनों में शक्ति दे रहे हैं ।तुलसी के राम सगुण हैं तो नानक और कबीर के निर्गुण हैं। अय़ोध्या नगरी सदियों से जैन धर्म का केन्द्र रहा है।तमिल में कम्ब रामायण, तेलगू में रघुनाथ और रंगनाथ रामायण है, कश्मीर में रामावतारम चरित मिलेगा। गुरु गोविन्द सिंह ने तो खुद गोविन्द रामायण लिखी है। राम सत्य हैं।

राम मंदिर अनंत काल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देता रहेगा। भगवान श्रीराम का संदेश और राम मंदिर का संदेश हमारी हजारों सालों की परंपरा का संदेश कैसे पूरे विश्व तक निरंतर पहुंचे, यह हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों की विशेष जिम्मेदारी है। भगवान राम के चरण जहां-जहां पड़े, वहां राम सर्किट का निर्माण किया जा रहा है। अयोध्या की महिमा तो खुद प्रभु श्री राम ने कही है। पूरी पृथ्वी पर श्रीराम के जैसा नीतिवान शासक हुआ ही नहीं है। श्रीराम का सामाजिक संदेश है- नर और नारी सभी समान रूप से सुखी हैं, भेदभाव नहीं। किसान, पशुपालक सभी हमेशा खुश रहें। बुजुर्गों, बच्चों, चिकित्सकों की सदैव रक्षा होनी चाहिए, यह कोरोना से बराबर सिखा दिया है। राम ने सिखा दिया है कि जो शरण में आए, उसकी रक्षा करनी है। राम का संदेश है कि जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। यह भी राम की नीति है कि भय बिन होय न प्रीति। हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति बनी रहेगी राम की यही नीति और यही रीति भारत का मार्गदर्शन करती रही है। गांधीजी  ने इन्हीं नीतियों में रामराज्य का सपना देखा था। राम ने कहा था- देश, काल, अवसर के हिसाब से बोलते हैं, सोचते हैं और करते भी हैं। राम हमें समय के साथ चलना सिखाते हैं। राम परिवर्तन के पक्षधर हैं। राम आधुनिकता के पक्षधर हैं। राम के आदर्शो पर भारत आज आगे बढ़ रहा है। राम ने कर्तव्य पालन की सीख दी है। विरोध से निकलकर बोध और शोध का मार्ग दिखाया है। जब-जब राम को माना है, विकास हुआ है। जब-जब भटके हैं, विनाश हुआ है। हमें सबका विकास करना है। अपनी संकल्प शक्ति से आत्मनिर्भर भारत का विकास करना है। तमिल रामायण में राम ने कहा है- देरी नहीं करनी है, आगे बढ़ना है। हम आगे बढ़ेगे, देश आगे बढ़ेगा। राम का ये मंदिर मानवता को प्रेरणा देता रहेगा। कोरोना के कारण जो हालात है, उसमें प्रभु राम की मर्यादा का पालन आवश्यक है। दो गज की दूरी- मास्क है जरूरी। देशवासियों पर माता सीता और श्री राम का आशीर्वाद बना रहे। सभी देशवासियों को फिर कोटि-कोटि बधाइयां। सियापति रामचन्द्र की जय।