एक बार फिर शुरू हुई जेलों में भीड़ की चर्चा, 3.5 लाख से ज्यादा विचाराधीन कैदियों को फैसले का इंतजार

एक बार फिर शुरू हुई जेलों में भीड़ की चर्चा, 3.5 लाख से ज्यादा विचाराधीन कैदियों को फैसले का इंतजार

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पिछले दिनों संपन्‍न हुए राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों को कानून के तहत मानवीय संवेदनाओं के आधार पर रिहा करने की बात कही। यहां उन्होंने अपील की कि जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों से संबंधित मामलों को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि मानवीय संवेदनाओं को सभी चर्चाओं के केंद्र में रखा जाना चाहिए। पीएम ने बताया कि 3.5 लाख से ज्यादा विचाराधीन कैदी जेलों में बंद हैं। ये ऐसे कैदी हैं जो अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में जेल में भीड़ की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। दरअसल, विडंबना यह है कि देश में ज्यादातर कैदी अंडरट्रायल हैं। दुनिया में इस कैटेगिरी में मात्र 18-20% कैदी आते हैं जबकि भारत की कुल कैदयों की संख्‍या में 62 प्रतिशत आबादी विचाराधीन कैदियों की है। सबसे अधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश इस मामले में भी पहले पायदान पर है। इसके बाद मध्य प्रदेश और बिहार का नंबर आता है।
किसे कहते हैं विचाराधीन कैदी
NCRB के आंकड़ों के मुताबिक भारत की जेलों में बंद हर चार में से तीन कैदी ऐसे हैं, जिन्हें विचाराधीन कैदी के तौर पर जाना जाता है। सरल शब्दों में समझें तो इन कैदियों पर जो आरोप लगे हैं, उनकी सुनवाई कोर्ट में अभी चल रही है और आरोप सही साबित नहीं हुए हैं। हालत यह है कि जिला जेलों में कैदी 136 फीसदी की दर से रह रहे हैं यानी रहने की जगह 100 कैदियों की है और 136 लोग रह रहे हैं।
यूपी में विचाराधीन सबसे ज्यादा
विचाराधीन कैदियों की बात करें तो यूपी में इनकी संख्या सबसे ज्यादा 80,267 है। इसके बाद सबसे ज्यादा बिहार में 44,113 और मध्य प्रदेश में 31,695 है। ये आंकड़े 31 मार्च 2020 तक के हैं। अधिकांश विचाराधीन कैदी 18 से 30 उम्र वर्ग के हैं, उसके बाद 30-50 और 50 साल और उससे ऊपर के हैं। इसकी मुख्य वजह कोर्ट में लंबित मामले हैं। अदालतों में लंबे समय तक मामला खिंचने के कारण जेल में 1 साल से अधिक, तीन साल से अधिक और पांच साल से अधिक विचाराधीन कैदियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने इन्हीं आंकड़ों पर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर यह भी कहा है कि केवल जमानत बॉन्ड न भर पाने के कारण विचाराधीन कैदियों को जेल में नहीं रखना चाहिए। वैसे, जमानत पर रिहा किए जाने के कारण साल 2020 में 2019 की तुलना में विचाराधीन कैदियों की संख्या में 2.6 लाख की कमी आई थी।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से साफ है कि 2015 से देश की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। वहीं, कैदियों के दोष सिद्ध होने की संख्या में 15 प्रतिशत की कमी आई है।
किस राज्य में कितने बढ़े अंडरट्रायल कैदी
विचाराधीन कैदियों के अनुपात में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी पंजाब में देखी गई है। 2019 में यहां 66% विचाराधीन कैदी बढ़कर 2020 में 85% हो गए। हरियाणा में यह अनुपात 64% से बढ़कर 82% हो गया। मध्य प्रदेश में विचाराधीन कैदियों की संख्या 54% से बढ़कर लगभग 70% हो गई। छत्तीसगढ़ में विचाराधीन कैदियों के अनुपात में 10% से अधिक की वृद्धि हुई। दिल्ली में विचाराधीन कैदियों की संख्या 82% से बढ़कर 91% हो गई। इससे यह राज्य विचाराधीन कैदियों के सबसे अधिक अनुपात वाला राज्य बन गया।
सामान्य परिवारों से होते हैं विचाराधीन कैदी
पीएम ने जिन 3.50 लाख अंडरट्रायल कैदियों की बात की है, उनमें से अधिकांश लोग गरीब या सामान्य परिवारों से होते हैं। पीएम ने कहा कि हर जिले में डिस्ट्रिक्ट जज की अध्यक्षता में एक कमेटी होती है, जिससे इन मामलों की समीक्षा की जा सके और जहां संभव हो, बेल पर उन्हें रिहा किया जा सके। इसके अलावा पीएम ने लंबित मामलों के समाधान के लिए मध्यस्थता को महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने आपसी सहमति और परस्पर भागीदारी न्याय की मानवीय अवधारणा की बात कही।
100 की जगह, जेल में रह रहे 117 कैदी
देश में 1,339 जेल हैं और करीब 4,66,084 कैदी बंद हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारतीय जेलों में ऑक्यूपेंसी रेट 117.6 प्रतिशत है। राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में ऑक्यूपेंसी रेट 176.5 प्रतिशत और सिक्किम में 157.3 प्रतिशत है। कोरोना काल में कैदियों को अस्थायी रूप से रिहा किया गया और एक साल में फिर से बंद कर दिया गया था।
एक्सपर्ट कहते हैं कि जमानत की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए नए मानदंड तय किए जाने जाने चाहिए विशेष रूप उन केस में जिसमें मुकदमे लंबे समय तक चलते हैं और आरोपी वर्षों से जेल में हैं।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh