आगामी 10 जून को राज्यसभा की 57 सीटों का फैसला होना है। इस चुनाव को लेकर जहां एक ओर देश की राजनीति में तमाम सियासी समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं, वहीं तमाम सियासी दलों के भीतर आपस में उठापटक जारी है। राज्यसभा की ये सीटें आगामी जून और जुलाई में खाली हो रही हैं। फिलहाल जिन बड़े चेहरों का कार्यकाल खत्म हो रहा है उनमें कांग्रेस के पी चिदंबरम, जयराम रमेश, कपिल सिब्बल, अंबिका सोनी, विवेक तन्खा, बीजेपी से पीयूष गोयल, विनय सहस्रबुद्धे का नाम शामिल है। मुख्तार अब्बास नकवी, निर्मला सीतारमण, शिवसेना से संजय राउत, एनसीपी से प्रफुल्ल पटेल, बीएसपी से सतीश चंद्र मिश्र, आरजेडी से मीसा भारती का नाम भी उल्लेखनीय है।
इनमें से तमाम नेता जहां अपनी वापसी के लिए कोशिशों में जुटे हैं, वहीं पार्टियों ने राज्यसभा को आगामी सियासी समीकरणों के मद्देनजर एक अहम हथियार की तरह बनाना शुरू कर दिया है। इसका एक उदाहरण सामने आया, यूपी में एसपी की ओर से किए गए प्रयोग में। यूपी में खाली हो रही कुल 11 में से सात सीटें बीजेपी के खाते में आना तय है तो तीन सीट एसपी को मिलेंगी। 11वीं सीट पर चुनाव होने की संभावना है। एसपी ने तीन में दो सीटें अपने दल के लोगों को न देकर सियासी समीकरणों को देखते हुए फैसला किया। एक सीट पर कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल का समर्थन कर राज्यसभा पहुंचने की राह आसान बनाई, वहीं दूसरी सीट उसने अपने सहयोगी जयंत चौधरी को उतारा।
कितनी सीटें कहां और किसके खाते में?
जिन 57 सीटों पर चुनाव होना है उनमें 11 सीटें यूपी, छह-छह सीटें महाराष्ट्र-तमिलनाडु, पांच सीटें बिहार, चार-चार सीटें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान, तीन-तीन सीटें मध्य प्रदेश और ओडिशा और दो-दो सीटें पंजाब, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, हरियाणा, झारखंड और एक सीट उत्तराखंड की शामिल है।
महाराष्ट्र का समीकरण: महाराष्ट्र की छह सीटों में से चार महाविकास आघाड़ी के खाते में तो दो सीटें बीजेपी के खाते में जा रही हैं। यहां की चार में से एक-एक सीट कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के खाते में जाएगी, चौथी सीट आपसी सहमति से तय होगी। कहा जा रहा है कि तीनों सत्ताधारी दल किसी निर्दलीय का समर्थन कर उसे भेज सकते हैं।
तमिलनाडु में आधा-आधा हिस्सा: तमिलनाडु की छह सीटों में से तीन सीटें सत्ता पक्ष और तीन विपक्ष के खाते में जा सकती हैं। डीएमके ने तीन में से एक सीट अपने सहयोगी कांग्रेस को देने का ऐलान किया है।
बिहार में जेडीयू नुकसान में: बिहार की पांच में से दो-दो सीटें आरजेडी और बीजेपी के खाते में तो एक सीट जेडीयू के खाते में जानी है। जेडीयू इस बार नुकसान में रही है। सीटों के बंटवारे को लेकर भी उठापटक जारी है।
आंध्र-कर्नाटक में क्या: आंध्र प्रदेश की तीन से चार सीटें वाईएसआर कांग्रेस के पास जाएगी। कर्नाटक में दो बीजेपी के खाते में तो कांग्रेस के खाते में एक सीट पक्की है, जबकि दूसरे के लिए उसे कोशिश करनी होगी।
राजस्थान, MP और ओडिशा में बंटवारा: राजस्थान में तीन सीटें कांग्रेस और एक सीट बीजेपी के पास जा सकती है। मध्य प्रदेश में दो सीटें बीजेपी को मिलेंगी और एक सीट कांग्रेस के पास जाएगी। ओडिशा की तीन में दो सीटें बीजेडी तो एक सीट बीजेपी के पास जा सकती है।
यहां एक ही पार्टी रहेगी: पंजाब की दोनों सीटें आप के पास, छत्तीसगढ़ में दोनों सीटें कांग्रेस के खाते में तो तेलंगाना में दोनों सीटें टीआरएस के पास रहेंगी।
हरियाणा में एक सीट बीजेपी और एक कांग्रेस, झारखंड में एक सत्तारूढ़ गठबंधन और एक बीजेपी के पास जाएगी। यहां सत्तारूढ़ खेमे के पास आने वाली एक सीट को लेकर जेएमम-कांग्रेस के बीच खींचतान चल रही है जबकि उत्तराखंड की सीट बीजेपी के खाते में जा रही है।
-एजेंसियां
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