आशीष नेहरा को ऐसे ही सब ‘नेहरा जी’ नहीं कहते। जब यह बंदा क्रिकेट खेलता था तो चोटों से जूझा, कोचिंग में आया तो पॉलिटिक्स से… मगर उसका वो ‘केयरफ्री’ एटिट्यूट नहीं गया। दो साल पहले का वक्त याद कीजिए। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर RCB ने गेंदबाजी कोच रहे नेहरा को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। नेहरा की बेबाकी ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। तब भी साफ बता दिया था कि RCB की समस्या क्या है। बहरहाल, RCB ने तो नेहरा की कद्र नहीं की मगर नई-नवेली गुजरात टाइटंस ने उन्हें फ्री-हैंड दिया। नेहरा और गैरी कर्स्टन, दोनों ही RCB के साथ थे और जब गुजरात में आए तो सबकुछ बदलकर रख दिया। रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में जब गुजरात ने राजस्थान रॉयल्स को पीटकर खिताब जीता तो RCB मैनेजमेंट को यह अहसास जरूर हुआ होगा कि उन्होंने क्या खो दिया।
तड़क-भड़क से दूर, अपने काम में मस्त ‘नेहरा जी’
नेहरा वैसे क्रिकेट कोच नहीं जो आपको पहली नजर में प्रभावित कर जाएं। गैजेट्स से उनकी पुरानी दुश्मनी है या यूं कहें कि उन्हें तकनीक से ज्यादा खुद की काबिलियत पर भरोसा है। गुजरात के डगआउट में वो पेन और पेपर लेकर बैठा करते थे। जहां सुधार की गुंजाइश देखते, नोट कर लेते। नारियल पानी पीते-पीते मैदान के चक्कर लगाने वाले नेहरा ने गुजरात टाइटंस के गेंदबाजों में वो जोश भरा कि विरोधी टीमों के बल्लेबाज चक्कर खाने लगे।
आईपीएल 2022 का खिताब एक तरह से ‘नेहरा जी’ के ट्रेडिशनल कोचिंग स्टाइल पर लगी मुहर है। शायद बैंगलोर को समझ आने लगा होगा कि गोल्ड के चक्कर में उनके हाथ से डायमंड निकल गया। RCB लगातार 15वें सीजन में सिफर रही। इसके उलट, गुजरात पहली बार टूर्नमेंट मे उतरी और खिताब जीतने में कामयाब रही तो इसका क्रेडिट काफी हद तक उसके कोच- गैरी कर्स्टन और आशीष नेहरा को जाता है।
गुजरात टाइटंस का हर खिलाड़ी करता है नेहरा की तारीफ
आशीष नेहरा बड़े जिंदादिल इंसान हैं, इसमें कोई शक नहीं। RCB मैनेजमेंट के साथ मनमुटाव किसी के गले नहीं उतरा। फर्क देखिए, गुजरात टाइटंस का हर खिलाड़ी नेहरा की तारीफ में कसीदे पढ़ता है। कप्तान हार्दिक पंड्या ने पिछले दिनों कहा था, ‘अगर कोई मुझे एक इंसान के रूप में समझ सकता है और मुझसे बेस्ट परफॉर्म करवा सकता है तो वह आशीष नेहरा हैं।’ बकौल पंड्या, ‘वह ऐसे शख्स हैं जो लोगों के साथ खूब वक्त बिताते हैं और यह बेहतरीन क्वालिटी है। आशू पा (नेहरा) और सपोर्ट स्टाफ को काफी क्रेडिट जाता है क्योंकि वे माहौल को काफी ‘चिल’ रखते हैं।’
RCB को बताकर गए थे कि प्रॉब्लम क्या है…
नेहरा को RCB के गेंदबाजी कोच पद से हटाया जाता, उससे पहले ही वह बतला चुके थे कि टीम की समस्या क्या है। नेहरा ने कहा था, ‘RCB विराट कोहली और एबी डिविलियर्स पर हद से ज्यादा निर्भर है। पूरी टीम उनके इर्द-गिर्द घूमती है जो कि सही नहीं है क्योंकि यह 11 खिलाड़ियों का खेल है। आपको उन दोनों से इतर अन्य प्लेयर्स को भी 2-3 साल तक अपने साथ रखना चाहिए। ये दोनों प्लेयर्स और (युजवेंद्र) चहल हमेशा RCB में रहे हैं।’
बेबाक नेहरा उस वक्त कह रहे थे, ‘आप हर नीलामी में पूरी टीम नहीं बदल सकते हैं। उन दो या तीन खिलाड़ियों को छोड़कर आप बाकी 16 से 18 खिलाड़ी बदल देते हैं। उन खिलाड़ियों के साथ कम से कम तीन साल रहना चाहिए क्योंकि टीम बनाने में वक्त लगता है मगर वे (RCB) काफी जल्दबाजी में हैं। नेहरा समझा रहे थे मगर RCB मैनेजमेंट ने एक न सुनी।
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