डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. राज्यसभा सांसद नवीन जैन ने दिगंबर जैन संतों के कई रहस्य खोले हैं। ऐसे रहस्य जिन्हें जानकर आपका दिमाग चकरा जाएगा। गर्व की अनुभूति भी हो सकती है। उन्होंने राष्ट्रसंत उपाध्याय मुनि विहसंत सागर महाराज के समक्ष पूरी हिम्मत के साथ अपनी बात कही।
28 सितंबर, 2024 को राज्यसभा सांसद नवीन जैन के शास्त्रीपुरम स्थित आवास पर उपाध्याय मुनि विहसंत सागर महाराज का आहार हुआ। इस दौरान वहां बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता पहुँच गए। सांसद ने सबका महाराज से परिचय कराया।
इसके बाद श्री जैन ने विहसंत सागर महाराज को इंगित करते हुए कहा, दिगंबर संत वस्त्र नहीं पहनते, घर नहीं होता, हमेशा नंगे पांव रहते हैं, सदैव पैदल चलते हैं, बैंक में अकाउंट नहीं है, पैसा नहीं छूते हैं।
दिगंबर संत बाल नोंचकर बनाते हैं, कैंची या उस्तरा से नहीं बनवाते। बाल टूटते हैं तो रक्त तक निकल आता है लेकिन उफ तक नहीं करते हैं।
24 घंटा में एक बार अंजुरी में भोजन करते हैं वो भी संकल्प के अनुसार विधि मिल जाए तो। अगर संकल्प के अनुसार विधि नहीं मिली तो लौट जाएंगे और उस दिन आहार नहीं लेंगे। 24 घंटा में सिर्फ एक लीटर पानी का प्रयोग करते हैं।

कठिन तपस्या की पराकाष्ठा दिगंबर जैन मुनि करते हैं। मई और जून की गर्मी में कंठ सूख जाते हैं, फिर भी पानी नहीं पीते हैं। दिसंबर और जनवरी की सर्दी में भी दिगंबर ही रहते हैं। इनके कमरे में कोई ए.सी. या हीटर नहीं चला सकता है।
तख्त पर सोते हैं, जिस पर कुछ भी नहीं बिछाते हैं। तकिया नहीं लगाते हैं। एक ही करवट सोते हैं, करवट नहीं बदलते क्योंकि इसे जीव हत्या की आशंका रहती है।
पैदल विहार करते समय नजर नीची रहती है ताकि कोई सूक्ष्म जीव भी पांव तले न आ जाए।
पानी छानकर पीते हैं ताकि जीव मरें नहीं, फिर जीवों को पानी में बहा दिया जाता है।
यही कारण है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आचार्य विद्या सागर महाराज के छह माह में एक बार दर्शन करने जाते थे। जब आचार्य जी की समाधि हुई तो भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन चल रहा था। अधिवेशन में आचार्य विद्या सागर महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते समय नरेंद्र मदी की आँखों में आंसू आ गए थे। हमारे देश के प्रधानमंत्री दिगंबर साधुओं के भक्त हैं। अमित शाह भी दर्शन के लिए जाते हैं। शिवराजसिंह चौहान के आवास पर कई बार जैन संतों का आहार हुआ है।
सांसद नवीन जैन ने बताया कि पश्चिमपुरी के जैन मंदिर में गुरुवर का आगमन था। मुझे श्रीमती (रेनु जैन) ने फोन किया कि तुम हरियाणा में लगे रहोगे, यहां महाराज जी आए हुए हैं, महाराज जी का आहार घर पर होना है। मुझसे आने को कहा। फिर मैं पार्टी से अनुमति लेकर रात्रि डेढ़ बजे लौटा। मुझे डर था कि महराज जी का आहार होगा या नहीं क्योंकि विधि न मिलती तो लौट जाते। महाराज जी को विधि मिल गई और आहार हुआ। मेरा सौभाग्य है कि गुरुवर का आहार मेरे निवास पर हुआ है।
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