होमआइसोलेशन के मरीजों की सुविधा के लिए कॉल सेंटर शुरू

HEALTH REGIONAL

Noida (Uttar Pradesh, India) होम आइसोलेशन के मरीजों का समय पर इलाज एवं उनके स्वास्थ्य की जानकारी जिला प्रशासन एवं चिकित्सकों को मिलती रहे और उनके इलाज पर लगातार निगरानी रखी जा सके, इसके लिए रविवार को जिला प्रशासन की ओर से इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम में कॉल सेंटर शुरू किया गया है। कॉल सेंटर का शुभारंभ जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने विधिवत रूप से किया। उन्होंने जनपद में होम आइसोलेशन के संक्रमित मरीजों से बात करते हुए उनका हालचाल जाना और उनको मिलने वाले इलाज के संबंध में गहनता से जानकारी प्राप्त की।

कॉल सेंटर के माध्यम से होम आइसोलेशन के कोरोना मरीजों से उनके इलाज एवं व्यवस्थाओं के संबंध में लगातार जानकारी जिलाधिकारी, प्रशासनिक व चिकित्सा अधिकारियों द्वारा ली जाएगी। इसके आधार पर मरीजों को कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुरूप इलाज एवं अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। कंट्रोल रूम के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी उपस्थित रहे।

जिलाधिकारी ने बताया कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए जनपद में होम आइसोलेशन की सुविधा शुरू की गयी है। होम आइसोलेशन की सुविधा  के लिए शासन की ओर से कुछ शर्तों का प्रावधान रखा गया है। उसका पालन किया जाना जरूरी है।

नियमानुसार होमआइसोलेशन शुरू होने पर डाक्टर मरीज का परीक्षण करने के साथ त्रिस्तरीय जांच करेंगे। इसमें क्लीनिकल, फेमिली और पर्सनल काउंसलिंग होगी। उसमें मरीज को, उसके परिवार में किसी को कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है, यह देखा जाएगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम मरीज के तीन पड़ोसियों से भी बात करेगी। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही होम आइसोलशन में रहने की इजाजत दी जाएगी। इसके अलावा मरीज के घर की स्थिति भी देखी जाएगी कि उसके घर में जगह व सुविधाएं शर्तों के अनुरूप हैं कि नहीं।

कब होगी चिकित्सा की आवश्यकता

होम आइसोलेशन में रहने वाले लक्षण विहीन रोगियों को चिकित्सा की आवश्यकता कब होगी। यह भी शासन की ओर से जारी गाइड लाइन में स्पष्ट किया गया है। रोगी और उसकी देखभाल करने वाले में निम्न लक्षण विकसित होने पर तत्काल चिकित्सकीय सहायता हेतु जनपद के स्वास्थ्य अधिकारियों/ कंट्रोल रूम में संपर्क करना होगा । सांस लेने में कठिनाई होने पर।  शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने पर। सीने में लगातार दर्द/भारीपन होने पर। मानसिक भ्रम या सचेत होने में असमर्थ होने पर। बोलने में समस्या आने पर। चेहरे या किसी में अंग में कमजोरी आने पर। होठ/ चेहरा नीला पड़ने पर।