सदन व कार्यकारिणी में लिए गए फैसलों पर नगर निगम अधिकारियों की शिथिलता पर उखड़ गई महापौर
काफी समय से जनहित के कार्यों में बरती जा रही थी लापरवाही, महापौर को उपलब्ध नहीं कराई जा रही थी अनुपालन आख्या
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Uttar Pradesh, India, Bharat. जनहित के कार्यों में शिथिलता बरतने और पार्षदों द्वारा आम सहमति से लिए गए विकास कार्यों के लिए गए फैसलों की अनदेखी करने पर सोमवार को महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाह नाराज हो गईं। मंगलवार को आयोजित हुई कार्यकारिणी की बैठक में महाप्रबंधक जलकल द्वारा सदन और कार्यकारिणी की बैठक में लिए गए फैसलों की अनुपालन आख्या प्रस्तुत न करने पर महापौर भड़क गईं और उन्होंने कार्यकारिणी की बैठक से बहिष्कार कर दिया।
महापौर ने बताया कि काफी दिनों से नगर निगम के अधिकारियों द्वारा सदन पर कार्यकारिणी में लिए गए फैसलों का अनुपालन करने में लापरवाही बरती जा रही थी। जिन फैसलों पर जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों की मुहर लगी थी, उन कार्यों को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा था। इस संबंध में कई बार मौखिक रूप से और कई बार लिखित रूप से अधिकारियों को अवगत कराया गया था। नगर आयुक्त को पत्र लिखकर भी समय से अनुपालन आख्या प्रस्तुत कराने के लिए पत्र लिखे गए थे। इसके बावजूद कोई असर नहीं हो रहा था। पार्षद लगातार नगर निगम के अधिकारियों की शिकायत मुझसे कर रहे थे, लेकिन जब पानी सिर से ऊपर चला गया तो मुझसे रहा नहीं गया। अब वह शासन को जनहित कार्यों में अधिकारियों द्वारा बरती जा रही घोर शिथिलता के बारे में अवगत कराएंगी और अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु संस्तुति करेंगी।
महापौर ने 13 फरवरी 2024 को, 01 अक्टूबर 2024 को और 23 अक्टूबर 2024 को नगर आयुक्त को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि पार्षदों द्वारा कार्यकारिणी समिति और नगर निगम सदन की बैठकों के दौरान बार-बार ध्यान आकर्षित कराया जाता है कि कार्यकारिणी एवं सदन की बैठकों में जो प्रस्ताव पारित होते हैं, उन पर संबंधित विभागाध्यक्षों द्वारा अनुपालन की कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की जाती है, जिसके कारण पार्षदों को अपने क्षेत्र की जनता का आक्रोष सहन करना पड़ता है। यह सदन की अवमानना है।
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