कोलकाता रेप-मर्डर मामला: सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, मैंने अपने 30 साल के करियर में ऐसी पुलिस जांच नहीं देखी

EXCLUSIVE

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (22 अगस्त) को फिर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 20 अगस्त को सीबीआई को जांच की स्टेटस रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपने का आदेश दिया था। इस पर जांच एजेंसी ने जांच की मौजूदा प्रगति रिपोर्ट दाखिल की है। सीजेआई की अध्यक्षता में बेंच ने जांच से जुड़े कई अहम सवाल सीबीआई से पूछे हैं। कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कोलकाता पुलिस के अधिकारियों के काम करने का तरीका बिल्कुल सही नहीं है। बेंच में शामिल जज ने कहा- मैंने अपने 30 साल के करियर में ऐसी जांच नहीं देखी।

सीबीआई जांच रिपोर्ट की मुख्य बातें, पुलिस कठघरे में

दूसरी ओर सीजेआई ने देशभर के हड़ताली डॉक्टरों से कहा है कि आप काम पर वापस लौटिए, डॉक्टरों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। डॉक्टरों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोलकाता के डॉक्टर डरे हुए हैं। उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी वहां सीआईएसएफ तैनात है। डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए CISF को कहेंगे। हमें पता है कि डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमने रेप-मर्डर केस की जांच के लिए एक्सपर्ट्स कमेटी बनाई है। यह कमेटी रेजिडेंट्स डॉक्टरों की समस्याएं भी सुने।

शीर्ष अदालत ने रिपोर्ट की मुख्य बातों को अंडरलाइन किया

पीड़िता का शव सुबह 10.10 मिनट पर मिला, दोपहर 1.45 बजे डायरी में अप्राकृतिक मौत की एंट्री हुई। शाम 6.10 से 7.10 बजे पोस्टमॉर्टम हुआ और FIR रात 12 बजे दर्ज होती है।

इतना ही नहीं, क्राइम सीन का डिमार्केशन भी रात 10 बजे के आसपास किया गया। चीफ जस्टिस ने इन सभी बातों को लेकर हैरानी जताई है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या आरोपी का मेडिकल टेस्ट हुआ? इस पर सीबीआई ने बताया कि हमने घटना के 5वें दिन जांच शुरू की, मेडिकल रिपोर्ट हमें नहीं मिली। अदालत ने कहा कि कोलकाता पुलिस के अधिकारियों के काम करने का तरीका बिल्कुल सही नहीं है। बेंच में शामिल एक जज ने कहा- मैंने अपने 30 साल के करियर में ऐसी जांच नहीं देखी।

पुलिस ने घटना की जांच में जो तरीके अपनाए वो क्रिमिनल प्रोसिजर कोड से बिल्कुल अलग हैं। हैरानी की बात है कि FIR पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद दर्ज होती है। पुलिस को जानकारी मिलने के बाद भी पीड़िता का शव घटनास्थल पर ही पड़ा रहा। बार-बार घटना की टाइमलाइन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में स्वत: संज्ञान लेते हुए सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट के अलावा प्रदर्शन के दौरान हॉस्पिटल में हुई तोड़फोड़ और भीड़ के प्रवेश की जांच करने के निर्देश भी दिए गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्कफोर्स भी बनाई

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस मामले में विफलता को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई थी और उनसे भी इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी कि अपराध स्थल पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान भीड़ कैसे अंदर पहुंची।
सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा पेशेवरों, विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नेशनल टास्कफोर्स का गठन भी किया है। डॉक्टरों के संगठनों ने इस टास्कफोर्स के साथ सहयोग करने और इस मुद्दे पर केंद्रीय कानून की मांग करने का आश्वासन दिया है। टास्कफोर्स को तीन हफ्तों के भीतर अंतरिम रिपोर्ट और दो महीनों के भीतर अंतिम रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया है।

पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से लगातार छठे दिन पूछताछ

इस बीच सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से बुधवार को लगातार छठे दिन पूछताछ की। दूसरी ओर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या को लेकर देशभर में प्रदर्शन जारी है। बता दें कि सरकारी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 8 अगस्त की आधी रात ट्रेनी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई। अगले दिन सुबह सेमिनार हॉल में उसकी लाश मिली थी।

Compiled by up18News

Dr. Bhanu Pratap Singh