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मथुरा के गऊ ग्राम परखम में दिखेगा गऊ माता का दमखम, RSS के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत करेंगे लोकार्पण, पढ़िए अचरज में डालने वाली जानकारी

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दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति ने परखम को गऊ ग्राम परखम का नाम दिया

गौवंशों पर आधारित स्वरोजगार केंद्र का निर्माण किया जा रहा, हो जाएगा कायापलट

गायों से संबंधित विषयों पर शोध और अनुसंधान होगा, विश्वस्तरीय लैब का निर्माण होगा

पांच आयुर्वेद चिकित्सा, पशु चिकित्सा, महाविद्यालय, प्रशिक्षण केन्द्र बनाए जा रहे

 

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India. दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति, दीनदयाल धाम द्वारा गांव परखम (विकास खंड फरह, मथुरा) में गौ अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र बना रहा है। पिछले दिनों इसका शिलान्यास हुआ। इस गौ अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र पर देसी गायों की गौशाला के अलावा गौवंशों पर आधारित स्वरोजगार केंद्र का निर्माण किया जायेगा। इसका लोकार्पण 20 नवंबर, 2023 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत करेंगे।  16 फरवरी से 18 फरवरी, 2023 तक शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा एवं पंडित दीनदयाल जी की मूर्ति का अनावरण किया जा चुका है। निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस परियोजना की महत्ता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि आर.एस.एस. के क्षेत्र प्रचारक महेन्द्र जी स्वयं समीक्षा कर रहे हैं।

बता दें कि दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति गौ संवर्धन, गौ संरक्षण और पंचगव्य आधारित अनुसंधान एवं अन्य विषयों पर कार्य कर रही है। समिति पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धान्त “अंत्योदय” को साकार करने के प्रति संकल्पित है। समिति पिछले दो दशकों से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों के उत्थान के लिए कार्य कर रही है, उन्हें प्रशिक्षण, उपकरण, रोजगार एवं छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है।

दीनदयाल धाम, फरह, मथुरा में संचालित अपने विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से सैकड़ों आमजनों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। समिति की नवीन परियोजना में एक गौ ग्राम परखम (गऊ ग्राम परखम) में गौ विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र तथा अन्य प्रकल्पों का निर्माण कार्य चल रहा है। इन प्रकल्पों के माध्यम से सामाजिक उत्थान के अनेक कार्य किये जायेंगे। यहां शोधार्थी शोध एवं अनुसंधान के कार्य कर सकेंगे। गऊ ग्राम परखम में क्या होने जा रहा है-

 

दीनदयाल गौ विज्ञान, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र

यह एक ऐसा अनूठा केन्द्र होगा जहाँ गौवंश नस्ल सुधार, पंचगव्य की गुणवत्ता सुधार पर विश्वस्तरीय शोध कार्य किये जायेंगे। पंचगव्य से मनुष्यों की चिकित्सा, कैंसर जैसे असाध्य रोगों का इलाज वैज्ञानिक पद्धति से किया जायेगा। गौ विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र गाय से संबंधित विभिन्न विषयों पर शोध कार्य करेगा और उद्यमिता विकसित करने के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा। यह विश्वपटल पर गौ से मनुष्यों के संवर्धन का उच्चतम मानक स्थापित करेगा। अनुसंधान केन्द्र में विभिन्न विश्वस्तरीय लैबों का निर्माण किया जायेगा, जैसे 1. ट्रॉसलेशनल रिसर्च सेन्टर, 2. मौलिक्यूलर बायोलॉजिकल टेस्टिंग लैब 3. एनीमल लैब।

 

आयुर्वेदिक पशु चिकित्सा संस्थान

यह देश का पहला पशु चिकित्सालय होगा जहाँ आयुर्वेद से पशु चिकित्सा का अध्ययन किया जायेगा। आयुर्वेद से पशुओं की चिकित्सा भी की जायेगी। भारत की पारंपरिक पशु चिकित्सा पद्धति जो कि हमारे प्राचीन ग्रन्थों में समाहित है, का व्यावहारिक प्रयोग किया जायेगा। प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित शल्य चिकित्सा का आधुनिक उपकरणों के साथ समन्वयन कर उसे व्यावहारिक रूप से क्रियान्वित करेंगे।

 

आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र

आयुर्वेद स्वास्थ्य और व्यक्तिगत चिकित्सा के प्रति समान दृष्टिकोण वाला जीवन का विज्ञान है। यह सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली है जिसमें कैंसर, मधुमेह, गठिया, अस्थमा, चर्म रोग, जटशंत्ररोग जैसी पुरानी बीमारियों का इलाज करने की क्षमता है। यह चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र आयुर्वेद की वैदिक मान्यता के लिए साक्ष्य आधारित शोध एवं पंचगव्य से मनुष्यों की चिकित्सा इत्यादि पर ध्यान केन्द्रित करेगा।

 

नवाचार विद्यालय

यह एक ऐसा विद्यालय होगा जहाँ विद्यार्थियों में तकनीक उत्पाद सेवा, रणनीति, संरचनात्मक, शिक्षा संस्कृति एवं नवाचार को धरातल पर उतारने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया जायेगा। नवाचार से देश का कैसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान हो, इस विषय पर विद्यालय कार्य करेगा।

 

बलभद्र व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान (बीवीटीआई)

एक अनूठा संस्थान होगा जहाँ कृषि, बागवानी, कृषि अभियांत्रिकी, प्रशीतन प्रौद्योगिकी, भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी, डेयरी प्रौद्योगिकी आदि अनुदेशात्मक कार्यक्रम शुरू किये जायेंगे जहाँ कक्ष निर्देश और व्यावहारिक प्रशिक्षण का संयोजन शमिल होगा। युवाओं को स्वयं उद्यमी बनाने के लिए योग्य बनाया जायेगा।

 

प्राकृतिक कृषि महाविद्यालय

इस महाविद्यालय में प्राकृतिक खेती, उसके उत्पादन की दक्षता में सुधार, उत्पाद विपणन आदि पाठ्यक्रमों को स्नातक एवं परास्नातक स्तर पर पढ़ाया जायेगा।

 

डेयरी प्रशिक्षण केन्द्र

गाय के दूध की डेयरी खोलना उसका प्रबंधन, पशु स्वास्थय प्रबंधन, चारा प्रबंधन, गायों की डेयरी का जहाँ कक्ष निदेश और व्यावहारिक प्रशिक्षण का सयोजन शामिल होगा। युवाओं को स्वयं उद्यमी बनाने के लिए योग्य बनाया जायेगा।

गौ अभ्यारण्य

गौ अभ्यारण्य में गौवंश की सभी प्रजातियाँ होगी जहाँ देशभर के लोग विभिन्न प्रकार के गौवंश की जानकारी ले पाएंगे और विलुप्त हो रही गौवंश की गौ प्रजातियों का संरक्षण एवं संवर्धन हो पाएगा। एक पर्यटन केन्द्र के रूप में हम इसे विकसित करेंगे। गाय के विषय पर एक संक्षिप्त फिल्म बनाई जायेगी जिसका लेजर शी आगंतुकों को दिखाया जायेगा।

 

बायोगैस जनरेटर

गौशाला में पल रहे गौवंश के गोबर को जिसे वेस्ट कहते हैं, से बायोगैस बनाई जायेगी। यह एक वेस्ट से वैल्थ का उदाहरण होगा तथा इससे पर्यावरण स्वच्छ रहेगा। इस बायोगैस प्लांट को देखकर आने वाले आमजनों को हर गाँव में इसे शुरू करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। इससे उत्पन्न ऊर्जा, जैविक खाद एवं डीजल रहित जनरेटर आदि का उपयोग गऊग्राम में किया जायेगा।

 

धार्मिक वाटिका

इस वाटिका में सनातन धर्म और अन्य धर्मो में वर्णित औषधीय पौधों के अलावा नक्षत्र, नवग्रह व पंच पल्लव वाटिका के पौधे होंगे। धार्मिक दृष्टि से इनकी पूजा का ही नहीं बल्कि इनके दर्शन का भी महत्व है। इस वाटिका में औषधीय पौधों को देखकर आने वाले आमजन विभिन्न पौधों के औषधीय गुणों को जान पायेंगे।

 

योग विद्या केन्द्र

यह एक योग गुरुकुल की तरह कार्य करेगा जहाँ विभिन्न स्तरों के योग के पाठ्यक्रम संचालित किये जायेंगे। इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षणार्थी अपने ज्ञान और मानसिक क्षमताओं का प्रयोग कर पायेंगे। इस योग विद्या केन्द्र में प्रशिक्षणार्थियों के अलावा योग में रुचि रखने वाले सभी आंगतुकों का मार्गदर्शन किया जायेगा। यहाँ योग के व्यावहारिक और सैद्धान्तिक विषयों का ज्ञान भी दिया जायेगा।

 

सप्त ऋषि कुटीर

आगंतुकों को प्राकृतिक जीवन शैली का अनुभव प्राप्त होगा। इस सुंदर और शांतिपूर्ण वातावरण में व्यक्ति शांति का अनुभव प्राप्त कर स्वयं से मिलने का मौका प्राप्त कर सकेगा।

 

 सांस्कृतिक कला केन्द्र

यह कला केन्द्र लोककला और संस्कृति को पुष्पित और पल्लवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ब्रज संस्कृति, भाषा और लोककला को समृद्ध और संरक्षित करने का कार्य करेगा।

 

रोजगार प्रशिक्षण केन्द्र

रोजगार प्रशिक्षण केन्द्र का उद्देश्य आज के युवाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण जैसे- माला प्रशिक्षण, गाय रखरखाव प्रशिक्षण, कृषक प्रशिक्षण, बीजोत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण आदि देना जिससे युवा स्वरोजगार भी आरम्भ कर सकेंगे।

 

बुनकर प्रशिक्षण केन्द्र

यह केन्द्र बुनकरों को प्रशिक्षण प्रबंधन, गुणवत्ता व अन्य प्रशिक्षण के माध्यम से समाज में व्याप्त असमानता को कम करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। बुनकरों को संचार, नेतृत्व, जमीनी स्तर पर प्रशिक्षु बुनकर जुटाने व मार्केटिंग एवं गुणवत्ता नियंत्रण के विषयों पर प्रशिक्षित किया जायेगा।

 

करियर परामर्श केन्द्र

हम कुशल करियर काउंसलर प्रदान करेंगे जो छात्रों को उनके कौशल, व्यक्तित्व, क्षमताओं, रुचियों और पृष्ठभूमि के आधार पर यथार्थवादी पदों को खोजने में मदद करेंगे।

 

हो चुका है शिलान्यास

योजना का शिलान्यास करते हुए अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य शंकर लाल ने कहा था- दो गाय एक परिवार का पूरे वर्ष का खर्च चला सकती है। हमें गौ आधारित जीवन अपनाना ही पड़ेगा। साथ ही जैविक खेती की उपयोगिता को भी समझना होगा। दीनदयाल कामधेनु गौशाला के मंत्री हरीशंकर शर्मा ने कहा था कि बिना दूध देने वाली गाय का मूत्र और गोबर भी हमारे लिये बहुत उपयोगी है। गाय के मूत्र का उपयोग कैंसर जैसी घातक बीमारियों में हो रहा है। जल्द ही यहां एक स्वरोजगार केंद्र की स्थापना कर यहां आसपास के गरीब बच्चों एवं लोगों को गौ आधारित कार्यो से रोजगार का प्रशिक्षण दिया जायेगा। कार्यक्रम में क्षेत्र प्रचारक महेंद्र, प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला, धर्मेंद्र, आनंद, अरुण, आगरा के सांसद एसपी सिंह बघेल, मेरठ विधानसभा विधायक ठा. संगीत सोम, महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित, बलदेव विधायक पूरन प्रकाश, पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, धाम के निदेशक सोनपाल, उपमंत्री डॉ हेमेंद्र, एसके शर्मा, योगेश द्विवेदी, कमल कोशिक, कथावाचक अतुल कृष्ण महाराज, नरेंद्र शर्मा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई अधिकारी उपस्थित थे।

 

यक्ष प्रतिमा की खोज के लिए प्रसिद्ध है परखम

परखम को प्राचीन और स्मारकीय यक्ष प्रतिमा की खोज के लिए जाना जाता है, जिसके आधार पर ब्राह्मी शिलालेख है। इससे स्पष्ट है कि यक्ष प्रतिमा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व की है। हालाँकि, शैलीगत विश्लेषण के आधार प, यह दूसरी शताब्दी या पहली शताब्दी ईसा पूर्व की हो सकती है।

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