यूं तो भगवान भास्कर पूरब से प्रतिदिन उगते हैं लेकिन आज की प्रातःवेला कुछ अधिक ही तेजोमय परिलक्षित हुई। सूर्यदेव बिना रुके, बिना थके, बिना विश्रांति के प्रतिदिन आते हैं। बिना भेदभाव के सब पर अपनी कृपा करते हैं। सूर्य रश्मियां जब मध्याह्न में प्रखर हो जाती हैं तब थोड़ी सी व्याकुलता आना स्वाभाविक है। इस व्याकुलता को समाप्त करता है आपका अपना अखबार ‘जनसंदेश टाइम्स’। मध्याह्न में आपके हाथ में जब ‘जनसंदेश टाइम्स’ आता है तो निश्चित रूप से व्याकुलता प्रशमित हो जाती होगी। प्रसन्नता की बात है कि ‘जनसंदेश टाइम्स’ के आगरा संस्करण ने प्रकाशन के दो वर्ष पूर्ण कर लिए हैं और तीसरे वर्ष में शानदार प्रवेश कर रहा है। आप सब अवगत ही हैं कि ‘जनसंदेश टाइम्स’ उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद और गोरखपुर के साथ आगरा से भी प्रकाशित होता है।
‘जनसंदेश टाइम्स’ ने दो वर्ष में कोरोना महामारी से दो-दो हाथ किए हैं। विकट परिस्थितियां थी। जब हर कोई चिंतित था, नौकरियां छीनी जा रही थीं, छँटनी की जा रही थी तब ‘जनसंदेश टाइम्स’ ने कोविड की चुनौती को स्वीकार किया। इस दौरान हमने कोरोना के काल को देखा। हमने बाजार की टेढ़ी चाल को भी देखा। हमने गरीबों के सूने थाल को देखा। ये दृश्य हमारे लिए सिर्फ ‘न्यूज’ नहीं थे। हमने केन्द्र और प्रदेश सरकार के आह्वान पर जो संभव था, वह किया। ‘जनसंदेश टाइम्स’ एक परिवार की भांति मैदान में डटा रहा। हमारे कर्मठ साथियों ने जब सबकुछ बंद था, तब भी अखबार निकाला। कोरोना को पराजित किया। कोरोना काल में हमने अखबार निकालने के साथ सामाजिक दायित्व का निर्वहन भी किया। जरूरमंदों को भोजन, जल, औषधि… जो हमारे वश में था, वह किया। हमारा यह प्रयास भले ही ‘गिलहरी प्रयास’ माना जाए लेकिन संतोष इस बात का है कि कुछ किया। ‘जनसंदेश टाइम्स’ ने ‘जन’ को ‘संदेश’ दिया कि सकारात्मक भावना से कार्य करें तो कंटकाकीर्ण पथ भी सुमन शैया बन जाता है। आंधी क्या है तूफान मिले, चाहे जितने व्यवधान मिले, बढ़ना ही अपना काम है। आप सबके सहयोग से हम यूं ही बढ़ते रहेंगे।
आज के समय में अखबार निकालना अपने आप में बड़ी चुनौती है। हमने इस चुनौती को सहर्ष स्वीकार किया है। अखबार ही है जिससे पीड़ित जन न्याय की आस करते हैं। अखबार में हमारी प्रतिदिन परीक्षा होती है। जब आप रात्रि में सुखपूर्वक निद्रा में लीन होते हैं, तब हमारे साथी सूचनाएं जुटा रहे होते हैं। कोरोना की त्रासदी बीते कल की बात हो गई है। आज नया सवेरा है। नई उमंग और तरंग के साथ ‘जनसंदेश टाइम्स’ आपकी सेवा में हाजिर है। आशा है हमारे पाठकों का प्रेम और स्नेह यूं ही बना रहेगा। अखबार को और बेहतर बनाने के लिए आपके सुझावों का सदैव स्वागत है।
हमारा मानना है कि लघु प्रयासों से परिवर्तन अवश्य आता है। एक-एक कदम चलने से मंजिल मिलती है। इसी तरह से हम चलते रहे हैं और चलते रहेंगे। हमारी भावनाएं इन पंक्तियों से समझी जा सकती हैं-
हम नई चेतना की धारा, हम अंधियारे में उजियारा
हम उस बयार के झोंके हैं, जो हर ले जग का दुख सारा…।
नितेश शर्मा, संपादक
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