jain sadhu in agra

आगरा में जैन संत आचार्य चैत्य सागर, डॉ. मणिभद्र, वैराग्य निधि, आर्यिका अर्हम मती माताजी का चातुर्मास से धर्म की प्रवाहना

RELIGION/ CULTURE

डॉ. भानु प्रताप सिंह

ऐतिहासिक आगरा में इन दिनों धर्म ही धर्म है। चार जैन संत धर्म की प्रवाहना कर रहे हैं। कई स्थानों पर रामलीला का मंचन चल रहा है। रामलीला में भले ही दर्शक न पहुंचें लेकिन जैन संतों की धर्म सभा में श्रद्धालु नियमित पहुंच रहे हैं। विद्वता में जैन संत एक से बढ़कर एक हैं। अभी तक इनका मिलन नहीं हो सका है। जैन समाज प्रयास कर रहा है कि सभी जैन संत एक मंच पर आएं। प्रवचन सुनाएं। दुःख-दर्द दूर करने का आध्यात्मिक उपाय बताएं। थोड़ी सी हमारी सुनें और अपनी खूब सुनाएं। इस निमित्त एक ऐतिहासिक कार्यक्रम करने पर मंथन चल रहा है।

कौन से संत कहां पर हैं

आगरा के जैन तीर्थस्थल दादाबाड़ी में परमविदुषी साध्वी वैराग्य निधि महाराज, राजामंडी के जैन स्थानक में नेपाल केसरी एवं मानव मिलन के संस्थापक जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज (दोनों श्वेताम्बर जैन समाज), मोतीकटरा बड़ा मंदिर में चैत्य सागर महाराज और जैन मंदिर कमलानगर में आर्यिका अर्हममती माताजी (दोनों दिगम्बर जैन समाज) चातुर्मास कर रहे हैं। दीपावली के साथ ही चातुर्मास का समापन होगा। सभी जैन संत आगे के लिए प्रस्थान कर जाएंगे। श्वेताम्बर जैन संत श्वेत वस्त्र धारण करते हैं। दिगम्बर जैन संत प्राकृतिक अवस्था में ही रहते हैं।

श्रद्धालु कर रहे तपस्या

चातुर्मास स्थलों पर नित्यप्रति प्रवचन होते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। भक्तामरस्तोत्र का पाठ कराया गया है ताकि सभी प्रकार की बीमारियों से निजात मिल सके। जैन समाज के लोग तपस्या भी कर रहे हैं। 31 दिन तक सिर्फ उबला हुआ पानी पीने की तपस्या भी की गई है। 16 दिन की तपस्या तो आम बात है। आयंबिल तप चल रहा है। जैन श्रद्धालुओं से रोजाना मंदिर जाने और ध्यान करने की प्रतिज्ञा कराई जा रही है। युवा और बच्चे भी जैन संतों की संगत में हैं। यह सब जैन संतों के चातुर्मास का प्रभाव है।

दो नवम्बर को होना है कार्यक्रम

जैन संतों के प्रभाव को और अधिक प्रभावशाली बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए तारीख तय की गई है दो नवम्बर, 2022। पारस पर्ल्स के मुकेश जैन इस तरह का कार्यक्रम करने के लिए आगे आए हैं। गत दिवस लोहामंडी जैन समाज के सुशील जैन दादाबाड़ी पहुंचे। उन्होंने साध्वी वैराग्य निधि महाराज से दो नवम्बर के कार्यक्रम की स्वीकृति ली। अन्य जैन संतों की स्वीकृति मिल गई है। दो नवम्बर के कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। कहा कि उस दिन सभी जैन परिवारों को चूल्ह का न्योता है। सुबह जैन संतों के प्रवचन होंगे और फिर स्वधर्मी वात्सल्य भोज। इसलिए माताएं-बहनें भोजन की चिन्ता छोड़कर आवें।

जैन संत आश्चर्यों में आश्चर्य

आपको बता दूँ कि जैन संत आश्चर्यों में आश्चर्य हैं। दिगम्बर जैन संत 24 घंटे में सिर्फ एक बार भोजन और पानी का सेवन करते हैं। भोजन भी हाथ की अंजुरी में लेते हैं। अगर आहार लेते समय बाल आदि निकल आया तो फिर आहार नहीं लेते हैं पैदल विहार करते हैं। दिगम्बर जैन संत आहार की विधि मन में सोच लेते हैं। अगर वह विधि नहीं मिली तो आहार नहीं लेते हैं भले ही महीनों हो जाएं। दवा का सेवन प्रायः नहीं करते हैं। ऐसे भी दिगम्बर जैन संत हैं जो सप्ताह में एक दिन आहार लेते हैं। आहार का उद्देश्य शरीर संचालन है। पैसा स्पर्श नहीं करते। मुझे करीब तीन वर्ष तक कड़वे प्रवचन पुस्तकों के लेखक क्रांतिकारी जैन संत तरुण सागर महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ है। इस कारण बहुत सारे त्याग की जानकारी है। परमविदुषी वैराग्य निधि महाराज का कहना है-‘जैन साधु पैसा स्पर्श नहीं करता, बिजली का बटन तक नहीं छूता, कच्चे पानी को हाथ नहीं लगाता, याचना करके खाता है, भोजन पात्र में अगर एक दाना भी छूट जाए तो 10 दिन तक उपवास करना पड़ता है। यह नियमावली भगवान महावीर स्वामी के समय से चली आ रही है।’ इस तरह का त्याग कोई और कर सकता है क्या?

Dr. Bhanu Pratap Singh