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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. जाने-माने आईपीएस अधिकारी और राज्यसभा सदस्य बृजलाल ने अपनी आत्मकथा लिखी है। शीर्षक हैः मेरा जीवन संघर्ष। यह उनकी 10वीं पुस्तक है। इसमें कुल 37 अध्याय हैं। इसका प्रकाशन प्रभात प्रकाशन नई दिल्ली द्वारा किया जा रहा है।
‘मेरा जीवन संघर्ष’ आत्मकथा पुस्तक के बारे में श्री बृजलाल के शब्दों में – मैंने 12वीं तक की पढ़ाई गाँव से की है और गाँव से लगातार जुड़ा रहता हूँ। मेरी पुस्तक में ग्रामीण- जीवन, लोक संस्कृति, नाच, त्योहार, फसलें, देवी – देवता, अंध विश्वास, शिक्षा आदि पर विस्तार से लिखा है। पुस्तक लगभग 350 पृष्ठ की है।
मैंने पुस्तक में उन सभी लोक संस्कृतियों के संबंध में भी लिखा हैं जो अब विलुप्त हो गई हैं। गावों में उस समय मनोरंजन के साधन नहीं थे और लोग अशिक्षित थे। आल्हा, रानी सांगा, बिरहा, चनैनी, सीका- ढोला, लोरिक-साँवर आदि उन्हें कंठस्थ थे। मैंने जो कुछ गुनगुनाया है, यह “रानी सारंगा, राज कुमार सदाबृक्ष” की प्रेम कहानी पर आधारित है, जिसको मेरे गाँव के चिन्नू काका उर्फ़ भंडारी दादा गाया करते थे और उनके पुत्र पुद्दन भाई संगति करते थे। इस क़िस्सा में किसी साज का प्रयोग नहीं होता था।
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