Brij Lal IPS Sparrow

गौरैया मारने से चीन में 1.5 करोड़ लोग भूख से मर गए थे, अकाल से बचना है तो गौरैया को बचाइए, IPS बृजलाल का घर बना गौरैया कॉलोनी, देखें वीडियो

लेख

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, Bharat, India. हमारे घरों के आसपास क्या घरों में रहने वाली चिड़िया है गौरैया (sparrow)। जैसे-जैसे कंकरीट के जंगल खड़े हो रहे हैं, गौरैया घरों से गायब हो रही है। गौरैया की महत्ता का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि चीन ने जब देश की सभी गौरैया को मार दिया तो वहां भयंकर अकाल पड़ गया था। डेढ़ करोड़ चीनी नागरिक भूख से मर गए थे। इसके बाद चीन को गौरैया आयातित करनी पड़ी। ऐसे में भारत के लिए गौरैया के महत्व का अनुमान लगा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद बृजलाल का लखनऊ स्थित घर ‘गौरैया कॉलोनी’ के रूप में प्रसिद्ध हैं। जानते हैं बृजलाल से कि उन्होंने गौरैया को अपने घर में किस तरह से संरक्षण दिया है।

गौरैया एवं अन्य पक्षियों का यह “नेस्टिंग” सीजन है। मेरे घर की गौरैया ने हर वर्ष की भांति इस साल भी अपने आशियाने चुन लिये हैं। हमारे यहाँ 45 घोंसले हैं और हमेशा दाना- पानी रखा जाता है।

    मैं 2012 में अपना मकान बनवा रहा था। मकान पूरा बना भी नहीं था कि मुझे गौरैया का एक जोड़ा दिखाई पड़ा। मैं समझ गया कि यह जोड़ा अपने आशियाने की तलाश में है। मैंने तुरंत बाजार से एक मिट्टी का गुल्लक मँगाया और एक होल बनाकर टाँग दिया। बस क्या था, गौरैया जोड़े ने इसे आशियाना बना लिया। दोनों ने तिनके लाकर घोंसले में रखे और अंडे दे दिये। थोड़े दिन में दो चूजे निकल आये।

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   मैंने बढ़ई बुलाकर घोंसले बनवाये और बरामदे में टाँग दिये। अब मेरे यहाँ 45 घोंसले हैं। गौरैया आती गईं और हमारा घर ‘गौरैया कॉलोनी’ बन चुका है। ये हमारे परिवार की तरह रहती हैं। इनके लिए हमेशा बाजरा, काकुन, टूटे चावल और रोटी के महीन टुकड़े रखे जाते हैx।

   पहले हमारे घरों में हमेशा गौरैया रहती थी। हमने पक्के मकान बनवा लिए परन्तु गौरैया के घर का ध्यान नहीं दिया। अब आवश्यकता है इन्हें पुनः बसाने की। गौरैया पर्यावरण के लिए बहुत आवश्यक है। हमारे घरों के आसपास मच्छर के लारवा और कीड़े- मकोड़े खाती है और कई बीमारियों से बचाती है।

    गौरैया को समाप्त करने का खामियाजा चीन ने 1958-59 में भुगता है, जब चेयरमैन मावो ने गौरैया को मारने का हुक्म दिया। चीन में गौरैया का सफाया हो गया। उसके बाद कीड़े- मकोड़ों की इतनी संख्या बढ़ी कि वहाँ के फसल नष्ट हो गये और भयंकर अकाल पड़ गया। करीब डेढ़ करोड़ चीनी भूख से मर गये। इस त्रासदी के बाद चीन ने रूस और कनाडा से गौरैया आयातित किए।

  मित्रो, हमें चीन की त्रासदी नहीं दुहरानी है। घर के अभाव में हमारी गौरैया विलुप्त हो रही है। कृपया इसे पुनः बसाने के लिए घरों में घोंसले लगाएं। यह आप के पास ही रहेगी। यदि घर से दूर घोंसले लगाये तो गौरैया वहाँ नहीं जायेगी क्योंकि यह कौवा, महोखा, शिकरा जैसे मांसाहारी चिड़ियों से डरती है।

    गर्मी आ गई है, कृपया चिड़ियों के लिए पानी की ब्यवस्था अवश्य करें। जय हिन्द।

Dr. Bhanu Pratap Singh