हिंदी के प्रख्यात लेखक और पत्रकार राजेन्द्र अवस्थी वर्ष 1930 में आज के ही दिन मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में पैदा हुए थे।
नवभारत, सारिका, नंदन, साप्ताहिक हिन्दुस्तान और कादम्बिनी के संपादक रहे राजेन्द्र अवस्थी की मृत्यु 30 दिसंबर 2009 को हुई। उन्होंने अनेक उपन्यास, कहानियां और कविताओं की रचना की। वह ऑथर गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे। दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी ने उन्हें 1997-98 में साहित्यिक कृति से सम्मानित किया था।
राजेन्द्र अवस्थी की साठ से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। उपन्यास, कहानी, निबंध, यात्रा-वृत्तांत के साथ-साथ उनका दार्शनिक स्वरूप भी है, जो बहुत कम कथाकारों में देखने को मिलता है। उनके उपन्यासों में सूरज किरण की छाँव, जंगल के फूल, जाने कितनी आँखें, बीमार शहर, अकेली आवाज और मछली बाजार शामिल हैं। मकड़ी के जाले, दो जोड़ी आँखें, मेरी प्रिय कहानियाँ और उतरते ज्वार की सीपियाँ, एक औरत से इंटरव्यू और दोस्तों की दुनिया उनके कविता संग्रह हैं जबकि उन्होंने जंगल से शहर तक नाम से यात्रा वृतांत भी लिखा है। वे विश्व-यात्री हैं। दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं जहाँ अनेक बार वे न गए हों। वहाँ के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन के साथ उनका पूरा समन्वय रहा है। कथाकार और पत्रकार होने के साथ ही उन्होंने सांस्कृतिक राजनीति तथा सामयिक विषयों पर भी भरपूर लिखा है। अनेक दैनिक समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं में उनके लेख प्रमुखता से छपते रहे। उनकी बेबाक टिप्पणियाँ अनेक बार आक्रोश और विवाद को भी जन्म देती रहीं लेकिन अवस्थी जी कभी भी अपनी बात कहने से नहीं चूके।
-Legend News
- इराक में समलैंगिक संबंध अपराध घोषित, संसद में हुआ बिल पास - April 28, 2024
- संग्राम सिंह ने दिखाई राम लला की खूबसूरत झलक - April 28, 2024
- “तेरी मेरी जोड़ी” से दर्शकों को लुभाने के लिए तैयार हैं सुमित पार्टा - April 28, 2024