brajendra pal singh

लोक भारती कर रही ऐसा काम कि MSP को भूल जाएंगे किसान, देखें राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेन्द्र पाल सिंह का Interview

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आनुसांगिक संगठन है लोक भारती। इसके राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेन्द्र पाल सिंह आगरा आए। उन्होंने आगरा के लोगों के साथ बैठक की। उन्होंने पर्यावरण, खेती, किसानी, परिवार, गाय, स्वच्छता, जल संकट जैसे मुद्दों पर आगरा वालों को संवेदनशील किया। इस मौके पर लाइव स्टोरी टाइम ने शास्त्रीपुरम में सेवा भारती के प्रमुख वीरेन्द्र वार्ष्णेय के निवास पर लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश-

लाइव स्टोरी टाइमः लोक भारती क्या करने जा रही है?

बृजेन्द्र पाल सिंहः समाज में अच्छा काम करने वाले बहुत सारे लोग हैं, लोक भारती ऐसे लोगों को खोजकर एकदूसरे को जोड़ने का काम करती है। वर्तमान में अनेक प्रकार के संकट हैं, जैसे- पर्यावरण, जल, खाद्यान्न, प्रकृति, कृषि। इन पर भी लोक भारती काम करती है। हमने मंगल परिवार विषय लिया है। हम सेमिनार करते हैं लेकिन करते कुछ नहीं है। अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा, ऐसा सब बोलते हैं, लेकिन करते कुछ नहीं हैं। इसके लिए काम हमारे घर और हमारे परिसर से शुरू होगा तो बात बनेगी।

लाइव स्टोरी टाइमः मंगल परिवार में क्या करना चाहते हैं?

बृजेन्द्र पाल सिंहः हम विचार करते हैं कि भारत विश्व गुरु हो। विश्व गुरु होने के लिए हमें क्या करना है- जो चीज विश्व के पास नहीं है और केवल हमारे पास है, वह है वसुधैव कुटुम्बकम, इसके अनुसार चलना है। विश्व बाजार बनाना चाहता है और हम परिवार बनाना चाहते हैं। हमारे घर स्वच्छ रहें। हमारे घर का हरा कचरा सड़क पर बदबू पैदा करता है। इसे रोकने के लिए घरों में एक उपकरण लगवाते हैं, जिससे हरा कचरा तरल परादर्थ में बदल जाएगा। इसमें 20 गुना पानी मिलाकर रसोई वाटिका, औषधि वाटिका में लगाते हैं। इससे कचरा सड़क पर जाना बंद हो गया और शुद्ध चीजें मिलना शुरू हो गईं। इसके अलावा गाय आधारित प्राकृतिक कृषि शुरू कराई है। गाय किसान के पास सुरक्षित रह सकती है। गाय रहेगी तो भूमि उर्वरा रहेगी। हमको खाद्यान्न इम्युनिटी पावर वाला मिलेगा। इसे लेकर बड़ा अभियान देशभर में शुरू किया गया। सरकार भी सहयोगी बनी है। शहर और गांव को जोड़ने का काम हो रहा है। उत्पादन गांव में होगा और उपभोक्ता शहर में है। दोनों को जोड़ेंगे तो तभी यह काम आगे बढ़ेगा, गाय सुरक्षित रहेगी, खेत सुरक्षित रहेगा, उत्पादन सुरक्षित रहेगा। फिर ऐसा उत्पादन होगा कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) या सरकारी बैसाखी खत्म हो जाएगी। किसान स्वयं द्वारा निर्धारित मूल्य पर अपना उत्पाद बेच सकेगा।

लाइव स्टोरी टाइमः इस तरह का काम कहीं हुआ है या केवल थ्योरी चल रही है।

बृजेन्द्र पाल सिंहः मैं समझता हूँ उत्तर प्रदेश का ऐसा कोई जिला नहीं है जहां किसान न कर रहे हों। इतना ही नहीं भारत सरकार ने भी अपना विषय जोड़ा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने दस प्रदर्शन केन्द्रों पर एक-दो एकड़ में जैविक उत्पादन शुरू कर दिया है।

लाइव स्टोरी टाइमः पर्यावरण, खेती आदि काम को भारत सरकार और प्रदेश सरकार भी कर रही है, आप भी कर रहे हैं, दोनों में कोई समन्वय है क्या?

बृजेन्द्र पाल सिंहः भारत सरकार के नीति आयोग के उपाध्यक्ष स्वयं कर रहे हैं। गुजरात के राज्यपाल कुरुक्षेत्र में 200 एकड़ भूमि पर इसी तरह से खेती कर रहे हैं। वे गुजरात से पहले हिमाचल के राज्यपाल थे। हिमाचल में इसी तरह से खेती हो रही है। गुजरात के 50 हजार किसान इसी तरह से खेती कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों पर इसी वर्ष काम शुरू हो जाएगा।

लाइव स्टोरी टाइमः क्या संघ गाय, खेती और घरों को अपने अनुसार चलाना चाहता है?

बृजेन्द्र पाल सिंहः नहीं, हमको उस रास्ते पर जाना है जिसमें विकास होने पर पीछे न लौटना पड़े। यह भारतीय संस्कृति से होगा और इसकी विश्व को जरूरत है। उन परम्पराओं और व्यवस्थाओं को आधार बनाना है जो विज्ञान के आधार पर कसी जा संके।

लाइव स्टोरी टाइमः विश्व तो औद्योगीकरण की ओर बढ़ रहा है?

बृजेन्द्र पाल सिंहः विश्व के रास्ते पर चलेंगे तो हमें पीछे लौटना पड़ेगा, विध्वंश को ओर जाएंगे। क्योंकि उनका मानक है जीडीपी। जीडीपी का मतलब है अधिक उपभोग करना, यानी कूड़ा इकट्ठा करना। हमारी संस्कृति सीमित उपयोग का संदेश देती है। उनका है विश्व को बाजार बनाना, हमारा है विश्व परिवार बनाना। दोनों में विरोधाभास है। वास्तव में कल्याण वसुधैव कुटुम्बकम से होगा, विश्व बाजार से नहीं।

लाइव स्टोरी टाइमः शादी विवाह के नाम पर फालतू प्रदर्शन हो रहा है, इसे रोकने की कोई योजना है लोभारती की?

बृजेन्द्र पाल सिंहः पहले बारात में 300-400 लोग आते थे। उनके तीन दिन रहने की व्यवस्था पूरा गांव करता था। कोई टैंट हाउस नहीं, कोई भोजन बनाने वाला नहीं आता था। आज तो कैटर्स आते हैं। उनके आने पर क्या होता है कि रिश्तेदारों से कोई संबंध नहीं। आया, खाया और भाग गए। इस चक्कर में परिवार व्यवस्था नष्ट हो रही है। परस्पर सहयोग खत्म हो गया। किसी से कुछ लेना होता है तो उससे संबंध रखते हैं। आज की शादी में सहयोग की जरूरत कहां रह गई है।

लाइव स्टोरी टाइमः पर्यावरण बचाने के लिए हर साल करोड़ों पेड़ लगते है लेकिन बचते नहीं है, इस काम को लोक भारती करे सरकार के स्थान पर तो कैसा रहे?

बृजेन्द्र पाल सिंहः हम कर्ज में न जीएं। हम प्रकृति से ऑक्सीजन लेते हैं, यह प्रकृति का कर्ज है। उसके लिए हमने क्या पौधा लगाया? हम अपने परिवार के लिए पौधे लगाएं और उन्हें जीवित रखें। घर में भी जागृति पैदा की जा रही है। टेरस गार्डन बनता है, जिससे फल व सब्जी मिलते हैं, घर का तापमान घट जाता है और हमारा रक्तचाप भी घट जाता है। एक-एक कदम जो करणीय है, हम कर सकते हैं, वह कराना लोक भारती का काम है।