‘शक्तिमान’ और ‘भीष्म पितामह’ जैसे किरदार निभाकर पॉप्युलैरिटी हासिल करने वाले एक्टर मुकेश खन्ना ने तुनिषा शर्मा सुसाइड केस में काफी कुछ बोला है। जहां फैन्स एक्ट्रेस के मौत पर दुख जता रहे हैं। वहीं एक्टर इसके लिए एक्ट्रेस के माता-पिता को कसूरवार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत से ये सुसाइड का सिलसिला शुरू हुआ और अब तक न जाने कितने कलाकारों ने अपनी जिंदगी को खत्म कर दिया। साथ ही उन्होंने इंडस्ट्री में बढ़ रहे इस तरह से सुसाइड केस पर सवाल उठाए हैं।
यूट्यूब चैनल भीष्म इंटरनेशनल पर मुकेश खन्ना ने 15 मिनट का वीडियो अपलोड किया। इस दौरान उन्होंने तुनिषा के पेरेंट्स के साथ-साथ अन्य लड़कियों के परिवार वालों को नसीहद दी। उन्होंने तुनिषा सुसाइड केस को बचकाना और घटिया बताया। उनका कहना है कि ये लव जिहाद का केस नहीं है। वह कहते हैं- हर खान जरूरी नहीं है कि इस तरह का काम करता हो। ये हो रहा है सिर्फ बचकानी उम्र के पड़ाव पर बोती है बचतानी घटनाओं की वजह से। तुनिषा चली गई। उंगली उसके बॉयफ्रेंड पर उठ रही है। उसको गिरफ्तार भी कर लिया है। लेकिन इसके पीछे जो जड़ है, उस पर कोई बात नहीं कर रहा है।
मुकेश खन्ना ने कहा कि लड़कियों के पेरेंट्स हैं दोषी
एक्टर ने आगे कहा, ‘तुनिषा के सह कलाकार उसको श्रद्धांजलि दे रहे हैं। हैरानी जता रहे हैं। और उसकी आत्मा की शांति की बात कर रहे हैं। लेकिन बाद में वह फिर से उसी दलदल में चले जाते हैं और इस बात से अनजान हो जाते हैं कि अब किसका नंबर आएगा।’
मुकेश खन्ना ने कहा कि सबसे बड़े कसूरवार माता-पिता हैं। खासकर के लड़कियों के। लड़के तो अपने आप को संभाल लेते हैं लेकिन लड़कियों को कारण हमेशा ही इमोशनली अटैज्ड होता है। जो लड़की बॉयफ्रेंड को खुदा मानती है, उसे पता चले कि सामने वाला धोखा दे रहा है तो सोचिए उसके दिल पर क्या गुजरती होगी। तुनिषा ने एक घातक फैसला लिया, जिससे उसका परिवार परेशान हो गया और टीवी इंडस्ट्री स्तब्ध हो गई।
मुकेश खन्ना ने पेरेंट्स को दी नसीहत
मुकेश खन्ना ने आगे कहा सुसाइड 1-2 मिनट का अवसाद होता है। उस समय अगर कोई दोस्त, भाई, बहन, मम्मी या पापा मौजूद होता तो शायद तुनिषा की जान नहीं जाती। वह एक बार बताती कि ऐसा करने जा रही है और सामने वाला सवाल करता। वह रोती। तो रोने दें क्योंकि रोने से भड़ास निकल जाती है। पेरेंट्स अपनी लड़कियों को टैलेंटेड समझकर सैटेलाइट इंडस्ट्री में भेज देते हैं लेकिन उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। हर महीने पेरेंट्स को बच्चों से मिलना चाहिए। उनका हालचाल पूछना चाहिए, उसके दोस्त बनना चाहिए। ऐसे में अवसाद के उन कुछ मिनटों में वो अपनों से बात करके अपना मन हल्का कर सकेंगी।
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