महत्वपूर्ण जानकारी: केमिकल हेयर स्ट्रेटनर से गर्भाशय कैंसर का खतरा – Up18 News

महत्वपूर्ण जानकारी: केमिकल हेयर स्ट्रेटनर से गर्भाशय कैंसर का खतरा

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अमेरिका में दुर्लभ और खतरनाक यूटरिन कैंसर (गर्भाशय कैंसर) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। 15 साल पहले जहां 39 हजार केस आते थे, वहीं अब यह आंकड़ा 66 हजार पर पहुंच गया है। इसमें अश्वेत मरीजों की संख्या ज्यादा है। अब हाल ही में जर्नल ऑफ द नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की एक रिसर्च के मुताबिक, जो महिलाएं नियमित रूप से केमिकल हेयर स्ट्रेटनर का इस्तेमाल करती हैं, उनमें इस कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।

रिसर्चर्स के अनुसार, जिन लोगों ने कभी कोई हेयर स्ट्रेटनिंग प्रोडक्ट यूज नहीं किया, 70 साल की उम्र में उन्हें यूटरिन कैंसर होने का खतरा 1.64% था। वहीं जो लोग ऐसे प्रोडक्ट्स यूज करते रहते हैं, उनमें यूटरिन कैंसर का जोखिम 4.05% था। बालों को कलर करने वाली डाई से कैंसर का कोई संबंध नहीं पाया गया।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 35 से 74 आयु वर्ग की 33,497 अमेरिकी महिलाएं को शामिल किया था, जो सिस्टर स्टडी का ही हिस्सा थी।

कई केमिकल जो स्ट्रेटनर में पाए जाते हैं जैसे कि पैराबीन, बिस्फेनोल-ए, मेटल्स, फार्मल्डिहाइड गर्भाशय कैंसर के बढ़ते जोखिम में योगदान दे सकते हैं।

यह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ साइंसेज (एनआईईएचएस) के नेतृत्व में किया गया एक अध्ययन है, जो स्तन कैंसर और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के जोखिम और कारकों की पहचान के लिए किया गया था। इसमें करीब 11 वर्षों तक महिलाओं का अध्ययन किया गया। पता चला है कि इस दौरान गर्भाशय कैंसर के 378 मामले सामने आए थे।

शोधकर्ताओं को पता चला है कि जिन महिलाओं ने बालों को सीधा करने वाले उत्पादों के लगातार उपयोग की सूचना दी थी। मतलब की पिछले वर्ष में चार या उससे ज्यादा बार इनका उपयोग किया था, उनमें अन्य महिलाओं जिन्होंने उत्पादों का उपयोग नहीं किया था, उनकी तुलना में गर्भाशय कैंसर का शिकार बनने की संभावना दोगुनी से ज्यादा थी।

इस बारे में अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता एलेक्जेंड्रा व्हाइट ने जानकारी दी है कि वो महिलाएं जिन्होंने कभी हेयर स्ट्रेटनर का इस्तेमाल नहीं किया उनमें से 1.64 फीसदी में 70 वर्ष की आयु तक गर्भाशय से जुड़े कैंसर के होने का खतरा है। वहीं दूसरी तरफ हेयर स्ट्रेटनर इस्तेमाल करने वाली 4.05 फीसदी महिलाओं में इस कैंसर के होने का खतरा है।

उनके अनुसार यह जानकारी महत्वपूर्ण है कि गर्भाशय कैंसर अपेक्षाकृत एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है। ऐसे में कैंसर के मामलों में होने वाली यह दोगुनी से ज्यादा वृद्धि मायने रखती है। यदि सिर्फ अमेरिका से जुड़े आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2022 में इससे जुड़े कुल 65,950 मामले सामने आए थे, जोकि अमेरिका में सामने आए कैंसर के कुल मामलों का करीब तीन फीसदी है। अध्ययन से पता चला है कि अमेरिका में गर्भाशय कैंसर की घटनाओं की दर बढ़ रही है। विशेष रूप से अश्वेत महिलाओं में इसकी कहीं ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है। पता चला है कि इसकी वजह से अमेरिका में 2022 के दौरान 12,550 महिलाओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।

बड़ा खतरा हैं हेयर स्ट्रेटनर में मौजूद यह केमिकल

नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, पिछले वर्ष हेयर स्ट्रेटनर का उपयोग करने वाली प्रतिभागियों में से करीब 60 फीसदी अश्वेत महिलाएं थीं। हालांकि, अध्ययन में यह नहीं पाया गया कि स्ट्रेटनर का उपयोग और गर्भाशय के कैंसर की घटनाओं के बीच उनके रंग का भी कोई प्रभाव था।

हालांकि इन केमिकल के ज्यादा उपयोग के कारण अश्वेत महिलाओं के स्वास्थ्य पर कहीं ज्यादा गंभीर पड़ने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इस बारे में अध्ययन से जुड़े एक अन्य शोधकर्ता ची-जंग चांग का कहना है कि चूंकि अश्वेत महिलाएं बालों को सीधा करने उत्पादों का कहीं ज्यादा बार उपयोग करती हैं और दूसरी महिलाओं की तुलना में वो इसके इस्तेमाल को कहीं ज्यादा पहले शुरू करने की प्रवृत्ति रखती हैं, ऐसे में ये निष्कर्ष उनके लिए और भी ज्यादा प्रासंगिक हो सकते हैं।

देखा जाए तो यह निष्कर्ष इससे पहले के अध्ययनों से भी मेल खाते हैं जिनमें दर्शाया गया था कि यह स्ट्रेटनर महिलाओं में हार्मोन संबंधित कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने महिलाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले ब्रांडों या उसमें मौजूद घटकों के बारे में जानकारी एकत्र नहीं की है। हालांकि, शोध के अनुसार कई केमिकल जो स्ट्रेटनर में पाए जाते हैं जैसे कि पैराबीन, बीपीए (बिस्फेनोल-ए), मेटल्स, फार्मल्डिहाइड गर्भाशय कैंसर के बढ़ते जोखिम में योगदान दे सकते हैं।

शोध के मुताबिक बालों के उत्पादों में उपयोग होने वाले केमिकल, विशेष रूप से स्ट्रेटनर, अन्य व्यक्तिगत देखभाल संबंधी उत्पादों की तुलना में स्वास्थ्य के लिए कहीं ज्यादा खतरा पैदा कर सकते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि सिर की त्वचा और बाल के माध्यम से अवशोषण में वृद्धि होती है, जोकि जो स्ट्रेटनर के कारण होने वाले घावों और जलन में वृद्धि कर सकती है।

साथ ही शोधकर्ता एलेक्जेंड्रा व्हाइट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अलग-अलग लोगों पर इन निष्कर्षों की पुष्टि करने और उन विशिष्ट केमिकलों की पहचान के लिए जो महिलाओं में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं, अभी और अध्ययन करने की जरूरत है। इस टीम को अपने पिछले अध्ययन से यह भी पता चला था कि स्थाई हेयर डाई और स्ट्रेटनर के उपयोग से महिलाओं में ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।

भले ही यह अध्ययन अमेरिका में महिलाओं पर किया गया हो लेकिन इससे एक बात तो पूरी तरह स्पष्ट है कि जिस तरह से हम बिना सोचे समझे केमिकल्स का प्रयोग अपने शरीर पर कर रहे हैं वो हमारे स्वास्थ्य के लिए कहीं ज्यादा हानिकारक हो सकता है।

Dr. Bhanu Pratap Singh