जान है तो जहांन है, कोरोना से बचने के लिए बरतें सावधानी

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Hathras (Uttar Pradesh, India)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉक डाउन के वक़्त कहा था कि जान है तो जहांन है। जिंदगी को पटरी पर लाने और दैनिक दिन चर्या को सुचारू रूप से  चलाने के लिए फिर  जान भी और जहाँन भी। इसी के साथ सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय खोल दिए गए। कार्यालय खुलने के साथ ही नई जीवन शैली के साथ चलने की चुनौती भी सामने आ गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देश अनुसार युवा लोगो को सीढ़ियों का उपयोग करने की सलाह दी गई है, जिसके तहत अगर उनका ऑफिस दो या तीन मंजिला हो तो बिना रेलिंग को छुए सीढ़ियों का प्रयोग करना बेहतर रहेगा। इस  तरीके को जीवन शैली में अपनाने से शारीरिक दूरी  के साथ- साथ   आपसी संक्रमण से  भी बचाव होगा।


ये करें 
इस दौर में जितना हो सके उतना घर का खाना खाने में भलाई है, क्योंकि इससे आपसी संक्रमण फैलने से बचाव हो सकता है। घर से बिस्कुट आदि लाए और लंच सभी के साथ बैठके न करे। कार्यालय के दरवाजे खोलने के लिए संभव हो तो कोहनी का ही प्रयोग करें क्योंकि लोगों द्वारा बार-बार दरवाजों को खोलने-बंद करने से उनमें वायरस का खतरा अधिक रहता है। वर्क स्टेशन, कारिडोर, लिफ्ट, सीढ़ियों, पार्किंग स्थलों, मीटिंग रूम, कांफ्रेंस हाल आदि को सेनेटाइज करने की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। कार्य अवधि में समय-समय पर साबुन-पानी से हाथ धुलें या सेनेटाइजर से साफ़ करें। कार्यालय में कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था भी कुछ इस तरह की जाए कि एक-दूसरे से उचित दूरी यानि दो गज की दूरी बनी रहे। कार्यालय में मीटिंग के दौरान भी सोशल डिस्टेंशिंग का पूरी तरह पालन किया जाए।

साफ़ सूती कपड़े से बने मास्क का उपयोग  
जिला स्वास्थ्य शिक्षा सूचना अधिकारी सुचिका सहाय ने बताया मास्क से मुंह व नाक को ढ़ककर ही अब बाहर निकलना है और दफ्तर में कार्य के दौरान भी इसका इस्तेमाल करना है तो कुछ इस तरह के मास्क, गमछा, रुमाल या स्कार्फ का चयन करें जो कि उलझन पैदा करने वाला न हो ताकि बार-बार छूने या उतारने से बचा जा सके। इसके लिए ऐसे साफ़ सूती कपड़े से बने मास्क का उपयोग किया जा सकता है जो कि मुंह और नाक को अच्छे से कवर कर सके और उलझन भी न पैदा करे। इसे आसानी से घर पर भी बनाया जा सकता है। इसे अच्छी तरह से धुलकर दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है।