विश्व पर्यावरण दिवस पर बागवानी किसानों का दिल टूटा, पढ़िए दर्द भरी दास्तान

विश्व पर्यावरण दिवस पर बागवानी किसानों का दिल टूटा, पढ़िए दर्द भरी दास्तान

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आगरा में तूफान से हजारों फलदार वृक्ष टूट गए, कोई सुध लेने नहीं आया
Agra (Uttar Pradesh, India)।
विश्व पर्यावरण दिवस World environment day के अवसर पर बागवानी किसानों Horticulture farmers का दर्द फूट पड़ा। आगरा के गांव इटौरा, भाडंई, जारुआ कटरा में सैकड़ों बीघा में बाग लगे हुए हैं। जिनमें आम, जामुन, फालसे, अमरूद के पेड़ हैं। गत शुक्रवार को आए तूफान में हजारों की संख्या में पेड़ टूट गए हैं। बागवानी किसानों को काफी नुकसान हुआ है। अभी तक कोई भी जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारी पीड़ित किसानों से मिलने नहीं आया है।

टूट गए पेड़
आगरा-ग्वालियर हाईवे पर स्थित कस्बा इटौरा निवासी किसान शिवसिंह, गौतम सिंह, नगला दौलतिया निवासी जितेन्द्र सिंह ने बताया है कि उनके गांव में 500 बीघा में बाग लगा हुआ है। बाग में आम, जामुन, फालसे, अमरूद के सैकड़ों पेड़ है। शुक्रवार को आए तूफान में पेड़ टूटकर गिर गए। इससे काफी नुकसान हुआ है। भाडंई निवासी किसान रामवीर सिंह और श्यामवीर सिंह ने बताया है कि उनके गांव में 250 बीघा का बाग है। बाग में कई तरह तरह फलों के पेड़ लगे हुए है। तूफान आने के कारण पेड़ टूट गए है। जारुआ कटरा निवासी लखमीचंद शर्मा और जवाहर सिंह ने बताया है कि गांव में 350 बीघा में बाग है। बाग में सैकड़ों फलदार वृक्ष खड़े हुए हैं। तूफान से वृक्ष टूट गए है।

मुआवजा दिया जाए
विश्व पर्यावरण के अवसर पर किसानों से बात की गई तो किसानों का दर्द फूट पडा। किसानों ने बताया कि गत तीन वर्षो से लगातार तूफान में पेड़ गिर रहे है। लेकिन आज तक एक भी रुपये का मुआवजा नहीं मिला है। पेड़ को टूटे हुए आठ दिन हो गए हैं लेकिन अभी तक कोई भी जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारी बाग में नुकसान का आंकलन करने नहीं आए हैं। किसानों ने कहा कि विश्व पर्यावरण पर सरकार लोगों से वृक्ष लगाने की अपील करती है। हमने पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए सैकड़ों बीघा में बाग लगाया है। पीड़ित किसानों ने प्रदेश सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों से नुकसान का मुआयना कर उचित मुआवजे की मांग की है।

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