डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. अंतरराष्ट्रीय भागवत प्रवक्ता संजय शास्त्री जी महाराज वर्ष 2001 से भागवत कथा कर रहे हैं। अब तक 28 शिष्यों को भागवताचार्य के रूप में प्रशिक्षित कर चुके हैं, जो आज देश-विदेश में कथावाचन कर रहे हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए अभियान चला रहे हैं। लाड़ली किशोरी जी सेवा ट्रस्ट श्रीधाम वृंदावन, मथुरा के माध्यम से कई सेवा प्रकल्प चला रहे हैं।
श्री संजय शास्त्री जी महाराज जी की सरलता सबको प्रभावित करती है। शास्त्रीपुरम में आयोजित कथा के दौरान हमने उनसे कुछ सवाल पूछे। महाराज ने प्रत्येक सवाल का जवाब संक्षिप्त किंतु बेबाकी से दिया। वे स्पष्ट कहते हैं कि भागवत कथा को ढोंग कहने वाले राक्षस हैं। भागवत मंच संतों और ब्राह्मणों के लिए ही है। जो बालक तिलक लगाकर न आए उसे स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। भागवत कथा का सबसे बड़ा उद्देश्य युवा पीढ़ी को बदलना है। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंशः
डॉ. भानु प्रताप सिंहः भागवत कथा के माध्यम से आप समाज में किस प्रकार के सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं?
संजय शास्त्री जी महाराजः हम ये चाहते हैं कि हमारे सनातनी जानें कि पूजा, धर्म, पुण्य कैसे करें, युवा पीढ़ी कैसे जाग्रत हो, सनातन-धर्म के रास्ते पर चले और धर्म की जागृति हो।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः बहुत से लोग मानते हैं कि भागवत कथा पंडितों का ढोंग है, इस बारे में क्या कहते हैं?
संजय शास्त्री जी महाराजः ये तो सतयुग, त्रेता, द्वापर के समय से ही चला आ रहा है कि जहां धर्म, पूजा, भक्ति, ज्ञान, वैराग्य की कथा होती है, वहां राक्षस लोग कूदते हैं। भागवत को ढोंग बताने वाले राक्षस लोग हैं। जहां कुंभ लग रहा है, उसके लिए भी लोग कहेंगे कि बहुत ढोंगी साधु आ रहे हैं। राक्षस प्रवृत्ति के लोग कहते हैं कि भागवत कथा पंडितों का ढोंग है, लेकिन इससे कुछ असर नहीं पड़ता है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आप प्रत्येक भागवत कथा में परिवार जोड़े रखने की भी बात करते हैं, क्या इसका कोई प्रभाव पड़ रहा है?
संजय शास्त्री जी महाराजः हम परिवार की चर्चा इसलिए करते हैं कि जब तक घर सही नहीं होगा तब तक भारत सही नहीं होगा। नारी लक्ष्मी का कर्तव्य निभाए। बेटा, बेटी, पुत्रवधु अपना कर्तव्य निभाए, माता-पिता, सास-श्वसुर की सेवा करे, यह मेरी कथा का सबसे बड़ा उद्देश्य है और मैं यहीं से शुरुआत करता हूँ।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः युवा पीढ़ी धर्म को विज्ञान की कसौटी पर कसना चाहती है। ऐसे में धर्म और विज्ञान में किस तरह से समन्वय हो रहा है?
संजय शास्त्री जी महाराजः वेदों से ही विज्ञान निकला है। वेदों को विदेशी ले गए। विदेशी लोग जो अच्छी-अच्छी खोजें कर रहे हैं, वो वेदों द्वारा ही कर रहे हैं। भारत के लोगों को यह पता होना चाहिए कि वेदों से ही सारी चीजें निकलती हैं। विज्ञान की जड़ वेदों में ही है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः भारत को हिंदुओं का देश कहते हैं लेकिन यहां सनातन की शिक्षा नहीं दी जाती है, जबकि मुस्लिमों और ईसाइयों को अपनी धार्मिक शिक्षा देने का कानून बना हुआ है, इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
संजय शास्त्री जी महाराजः यही तो गलत है। पहले गुरुकुल हुआ करते थे, वहां संस्कार पढ़ाए जाते थे, जैसे पूजा कैसे करें, तिलक क्यों लगाएं, जनेऊ क्यों धारण करें, चोटी क्यों रखें, खड़ाऊँ क्यों पहनें, पीले वस्त्र क्यों धारण करें, माता-पिता-गुरु का सम्मान कैसे करें। मुगलों और अंगरेजों के राज के बाद गुरुकुल बंद हो गए। हम आवाज उठाएंगे कि जिस तरह से मदरसे चल रहे हैं, हमारे गुरुकुल भी प्रारंभ हों।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः भागवत कथा सुनने से मानसिक तनाव और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में किस तरह से प्रेरणा मिलती है?
संजय शास्त्री जी महाराजः अगर भागवत कथा को आधा घंटा भी मन से सुन लिया तो मुझे विश्वास है कि वह जीवन को बदलेगा।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपके अनुसार, सनातन धर्म के सिद्धांतों को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल करने का क्या महत्व हो सकता है?
संजय शास्त्री जी महाराजः मैं तो शिक्षकों से कहता हूँ कि जब बच्चा स्कूल पहुँचे तो उसे पहली शिक्षा दें कि माता-पिता के चरण छूकर नहीं आए, ठाकुर जी के मंदिर से तिलक लगाकर नहीं आए तो उसे प्रवेश न दें।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः भागवत कथा के माध्यम से समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
संजय शास्त्री जी महाराजः महिला तो लक्ष्मी है, शक्तिवान हैं। पति कमाकर लाता है और घर का संचालन महिला करती हैं। लक्ष्मी रूप धारण कर महिला घर को स्वर्ग बना सकती है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः धर्म और समाज में जातिवाद और भेदभाव को समाप्त करने के लिए भागवत कथा का क्या योगदान हो सकता है?
संजय शास्त्री जी महाराजः गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिख दिया है- जाति-पात पूछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि को होई। भागवत कथा में हम बताते हैं कि जो राम का नाम लेता है, उसकी कोई जाति नहीं है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपके विचार से, क्या सनातन धर्म और भागवत कथा के माध्यम से भारत को पुनः विश्व गुरु बन सकता है?
संजय शास्त्री जी महाराजः बिलकुल बन सकता है। अगर हर सनानती इस बात को धारण कर ले तो बहुत जल्दी बनेगा। सनातनी को एकजुट होना होगा। हम आवाज उठा रहे हैं कि गोमाता को राष्ट्र माता घोषित करो। मेरी अकेला आवाज से कुछ नहीं होगा, मुझे सारे सनातनियों की आवश्यकता है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपके अनुसार, भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को सनातन संस्कृति और धर्म के संरक्षण के लिए किन ठोस कदमों को उठाना चाहिए?
संजय शास्त्री जी महाराजः मेरी नजर में तो ये भगवा सरकार हैं। इस सरकार में सनातनियों की जो इच्छा थी, वे धीरे-धीरे पूरी होने जा रही है। जैसे राम मंदिर बन गया, जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने रक्त बहाया और संतों ने पूजापाठ किया। हमारे अगला टारगेट है कि मथुरा में मस्जिद हटाकर भव्य कृष्ण मंदिर बनाया जाए।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः हर घर में रामचरित मानस होती है लेकिन लोग उसे पढ़ने के स्थान पर पूजा करते हैं, इस बारे में क्या कहना है?
संजय शास्त्री जी महाराजः वेद कोई भी हो, रामचरितमानस या भागवत या शिव पुराण या देवी भागवत हो, जब उसे पढ़ना शुरू करें तो पूजन करना चाहिए क्योंकि इनमें भगवान का वास है, पढ़ते इसलिए हैं कि जीवन का बदलाव होता है। पूजन के साथ पढ़ना भी चाहिए।
दैदीप्यमान व्यक्तित्व और विनम्रता का संगम: अंतरराष्ट्रीय भागवत प्रवक्ता संजय शास्त्री जी महाराज
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आप कृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने का अभियान चलाए हुए हैं, यह कहां तक पहुंचा है?
संजय शास्त्री जी महाराजः करीब 6-7 माह पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आए थे। बैठक में प्रस्ताव पारित हुआ। अभियान जोरों से चल रहा है। कोई दिक्कत नहीं है। महाकुंभ आने से थोड़ी ढिलाई आ गई है। 2025 तक स्पष्ट हो जाएगा।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आप कहते हैं कि भागवत कथा केवल ब्राह्मणों के लिए है और गैर ब्राह्मण भी घुस आए हैं, यह बात क्यों?
संजय शास्त्री जी महाराजः भागवत कथा कोई भी जाति का व्यक्ति अपने जीवन के उद्धार के लिए पढ़ सकता है, लेकिन भागवत मंच संत और ब्राह्मणों का ही है। हर जाति घर में बैठकर घर वालों, पड़ोसियों को सुना सकती है, लेकिन भागवत मंच पर पूजन केवल संत और ब्राह्मण का ही होगा।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में युवाओं की भूमिका को आप किस प्रकार देखते हैं और उन्हें प्रेरित करने के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?
संजय शास्त्री जी महाराजः भागवत का सबसे बड़ा उद्देश्य युवा पीढ़ी को बदलना है। युवा पीढ़ी बदलेगी तो भारत बदलेगा। भारत बदलेगा तो सनातनियों में ताकत आएगी। फिर राम का जय-जयकार विश्व के हर कोने में होगी। सनातनियों को जोड़ने का काम उनके माता-पिता कर सकते हैं।
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